अगर किसी जातक की जन्मपत्रिका में शुक्र ग्रह कमजोर हो, तो जातक अपने जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं से वंचित रहता है, उसे जीवन में भोग-विलास का मौका नहीं मिलता। उसे वैवाहिक जीवन का सुख नहीं मिलता और जीवन में आराम नहीं मिल पाता। कमजोर शुक्र होने पर व्यक्ति का धर्म और अध्यात्म की तरफ ज्यादा झुकाव होता है। इसके विपरीत यदि किसी जातक की जन्मपत्रिका में शुक्र अच्छा हो, तो उसका खाने-पीने, गीत-संगीत अथवा भोग विलास में ज्यादा मन लगता है।
शुक्र का प्रभाव कभी भी अकेले नहीं देखा जाता। शुक्र का प्रभाव देखने के लिए जन्मपत्रिका में शनि की उपस्थिति भी देखनी पड़ती है जैसे कि यदि शनि खराब हो, नीच का हो तब भी शुक्र का बुरा असर होता है। पत्नी अथवा पति से अनावश्यक शुक्र के खराब होने की निशानी है। शारीरिक रूप से गंदे बने रहना, गंदे-फटे कपड़े पहनने से भी शुक्र मंदा हो जाता है। घर की साफ-सफाई को महत्त्व नहीं देने से भी शुक्र खराब हो जाता है। शुक्र काम-प्रबलता का कारक भी है। उच्चस्थ शुक्र वाले जातक की मित्रता एक से अधिक महिलाओं से होती है।
कमजोर शुक्र होने के फल
किसी जातक की जन्मपत्रिका में कमजोर शुक्र होने के कारण निम्नलिखित फल मिल सकते हैं:
• चेहरे की चमक लगातार कम होती जाती है।
• आँखों की रोशनी कम होती जाती है।
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