स्वैः एवं सांझा-मंडीकरण फसली विभिन्नता का मार्ग
Modern Kheti - Hindi|15th February 2024
पंजाब में हारत क्रांति की कामयाबी का मुख्य कारण मोटे तौर पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से तैयार बीजों, सिफारिश किये रसायनों, खेती मशीनों एवं यंत्रों और सिंचाई को ही बताया जाता है, जबकि मंडीकरण इसकी कामयाबी का एक बहुत अहम एवं बड़ा कारण बना है। मंडी बोर्ड की ओर से हर 5-10 गाँवों के पीछे निश्चित मंडियों एवं इन मंडियों को गाँवों से जोड़ने के लिए ग्रामीण एवं लिंक सड़कें बना कर फसलों की खरीद को आसान किया गया।
इंजी. अशोक कुमार
स्वैः एवं सांझा-मंडीकरण फसली विभिन्नता का मार्ग

पंजाब में लगभग 41 लाख हैक्टेयर (102.5 लाख एकड़) क्षेत्रफल में खेती की जाती है और खेती घनत्व 200% से अधिक है, जिसमें से बड़ा हिस्सा गेहूँ (85%) - धान (70% से अधिक) के फसली चक्र अधीन है, जिसका मुख्य कारण कम से कम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एवं निश्चित सरकारी खरीद है। दो कु दशक पहले तक यह फसली चक्र किसानों के लिए काफी लाभदायक रहा, परन्तु जैसे-जैसे जिंदगी जीने के ढंग बदलते गए और पारिवारिक वृद्धि से भूमियों की मालकी घटती गई, खेती का यह मॉडल किसानों के लिए उतना लाभदायक नहीं रहा। हरित क्रांति की तकनीकों से उत्पादन भी कई वर्षों से लगभग स्थिर है और खेती खर्च लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। नई मशीनों एवं यंत्रों की खरीद के कारण किसानों पर और अधिक आर्थिक बोझ पड़ रहा है। इस एक फसली चक्र एवं मौजूदा हालात में किसान को खेती के इस मॉडल का भविष्य अंधेरे में ही दिख रहा है और वह इसको छोड़ भी नहीं सकता क्योंकि पहले निर्धारित मूल्य एवं निश्चित खरीद किसान के लिए आमदनी का एक निश्चित जरिया है। यही कारण है कि पंजाब में सरकारों एवं विभागों के प्रयत्नों के बावजूद पंजाब में फसली विभिन्नता के सभी प्रयास लगभग नाकामयाब सिद्ध हो रहे हैं - सिवाये कुछ मेहनती किसानों के। 

उचित मंडीकरण - हरित क्रांति की कामयाबी का मुख्य कारण: पंजाब में हरित क्रांति की कामयाबी का मुख्य कारण मोटे तौर पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से तैयार बीजों, सिफारिश किये रसायनों, खेती मशीनों एवं यंत्रों और सिंचाई को ही बताया जाता है, जबकि मंडीकरण इसकी कामयाबी का एक बहुत अहम एवं बड़ा कारण बना है। मंडी बोर्ड की ओर से हर 5-10 गाँवों के पीछे निश्चित मंडियों एवं इन मंडियों को गाँवों से जोड़ने के लिए ग्रामीण एवं लिंक सड़कें बना कर फसलों की खरीद को आसान किया गया। मंडी आम किसान की पहुँच में आ गई और किसानी के साथ-साथ इस तरह बने सड़की ढांचों का गाँवों के विकास को भी नई दिशा मिली और हजारों को रोजगार भी। 

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