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भूजल संरक्षण के लिए धान की बुवाई बदलने की जरूरत

Modern Kheti - Hindi

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15th June 2023

भूजल को बचाने के लिए किसानों को धान की सीधी बुआई के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

भूजल संरक्षण के लिए धान की बुवाई बदलने की जरूरत

जल ऊर्जा का भंडार, पोषक तथा जीवनदाता है। इसके बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं और साथ ही पीने योग्य जल धरती पर अत्यल्प मात्रा में उपलब्ध है। ऐसे में दुनियाभर में जल बचाने की कोशिशें जारी हैं। विश्व स्तर पर जन जागरूकता अभियान जारी है। 

जल संरक्षण एक नागरिक के तौर पर भी हमारा दायित्व है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51ए (7) के मुताबिक, हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है- वनों, झीलों, नदियों, भूजल और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना।

केन्द्रीय भूजल बोर्ड व जल आयोग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश की खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सघन कृषि क्षेत्र वाले उत्तरी राज्यों पंजाब-हरियाणा में पिछले 50 वर्षों से लगातार धान-गेहूं फसल चक्र अपनाने के कारण भूजल स्तर आधा मीटर प्रतिवर्ष गिरने से इन राज्यों के आधे से ज्यादा ब्लॉक गंभीर भूजल संकट में आ चुके हैं।

इसे रोकने के लिए, इन राज्यों ने वर्ष 2009 में "हरियाणा और पंजाब प्रिज़र्वेशन आफ सबसायल वाटर एक्ट" बनाए, जिसमें 15 जून से पहले धान फसल की रोपाई पर प्रतिबन्ध लगाया गया, लेकिन इन सब सरकारी प्रयासों के बावजूद अभी तक जल संरक्षण खास तौर पर भूजल संरक्षण के प्रयास निरर्थक साबित हुए हैं।

धान रोपाई भूजल बर्बादी के लिए मुख्यता दोषी

यह सर्वविदित है कि 1970 तक उत्तर भारत में शिवालिक हिमालय के साथ लगते मैदानी खादर व तराई क्षेत्रों में भूजल भूमि सतह के बिल्कुल नजदीक था, लेकिन हरित क्रांति दौर की सघन कृषि तकनीक विशेष तौर पर रोपाई धान, औद्योगिकीकरण और शहरीकरण आदि से भूजल का अंधाधुंध दोहन होने से गंभीर भूजल संकट बनता जा रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन उपयोगी जल की उपलब्धता पर भी सवाल खड़ा हो रहा है।

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