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होलिका दहन शास्त्रीय विधान
Jyotish Sagar
|March 2021
रंगो का पर्व होली अपना विशिष्ट स्थान रखती है। जिस प्रकार प्रकाश पर्व दीपावली शीतऋतु के प्रारम्भ की संसूचक है, उसी प्रकार होलिका ग्रीष्म ऋतु के आगमन की परिचायक है।
ऋतुराज बसन्त का प्राकट्य भी इस शृंखला की प्रथम कड़ी है। विविध वर्ण से शृंगार की हुई प्रकृति मानव-मन को भाव विभोर कर देती है। वह प्रकृति की रंगों से रंग जाता है। रंगों से खेलना इस ऋतु का चरमोत्कर्ष है। वर्षभर के कटु-मधुर सम्बन्धों से परे होकर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से गले मिलता है। एक-दूसरे को रंग डालकर अतीत को भूलाकर भविष्य की सुखानुभूति के
このストーリーは、Jyotish Sagar の March 2021 版からのものです。
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॥ आत्मदीपो भव ।।
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