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होलिका दहन शास्त्रीय विधान
Jyotish Sagar
|March 2021
रंगो का पर्व होली अपना विशिष्ट स्थान रखती है। जिस प्रकार प्रकाश पर्व दीपावली शीतऋतु के प्रारम्भ की संसूचक है, उसी प्रकार होलिका ग्रीष्म ऋतु के आगमन की परिचायक है।
ऋतुराज बसन्त का प्राकट्य भी इस शृंखला की प्रथम कड़ी है। विविध वर्ण से शृंगार की हुई प्रकृति मानव-मन को भाव विभोर कर देती है। वह प्रकृति की रंगों से रंग जाता है। रंगों से खेलना इस ऋतु का चरमोत्कर्ष है। वर्षभर के कटु-मधुर सम्बन्धों से परे होकर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से गले मिलता है। एक-दूसरे को रंग डालकर अतीत को भूलाकर भविष्य की सुखानुभूति के
Cette histoire est tirée de l'édition March 2021 de Jyotish Sagar.
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Jyotish Sagar
तन्त्र में पुरश्चरण विधान
मन्त्र का पुरश्चरण सामान्य क्रिया नहीं है, वरन् विशेष क्रिया है, जो गुरु की आज्ञा एवं उनकी कृपा पर निर्भर करती है। यह दीर्घकालिक और श्रमसाध्य प्रक्रिया है । इस सम्बन्ध में जानकारों का कहना है कि पुरश्चरण के आरम्भ में अनेक प्रकार की विघ्न और बाधाएँ आती हैं।
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नवांश से विवाह विवेचन
विहंगमः पक्षद्वयेन भूषितः उड्डीयते व्योम्नि सुखेच्छ्या यथा। तथा गृहस्थस्य गृहस्य शोभा प्रजायते यत्र द्वयो अस्ति सौहृदः॥ अर्थात् जिस प्रकार एक पक्षी अपने दोनों पंखों के सहारे आकाश में सुखपूर्वक उड़ता है, उसी तरह पति और पत्नी दोनों के परस्पर प्रेम और सहयोग से ही गृहस्थ जीवन शोभायमान होता है।
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गुलजार जीवन यात्रा, ग्रह-योगों और दशाओं का साथ
समान्यतः माना जाता है कि परिवार का जैसा माहौल होता है, वैसा ही व्यक्ति का आचार-विचार, व्यवहार और यहाँ तक कि कॅरिअर भी बनता है।
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ज्योतिष की प्रमुख अवधारणा 'तिथि'
एकादशी का व्रत करने से क्रोध पर काबू पाया जा सकता है, क्योंकि मंगल क्रोध देने वाला ग्रह होने के साथ-साथ एकादशी का स्वामी भी है।
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सिंह लग्न के नवम भाव में स्थित बुध एवं गुरु के फल
प्रस्तुत लेखमाला 'कैसे करें सटीक फलादेश?' के अन्तर्गत विगत दो अंकों से सिंह लग्न के नवम भाव में स्थित ग्रहों के फलों का विवेचन किया जा रहा है, जिसमें अभी तक सूर्य से मंगल तक के फलों का विवेचन कर चुके हैं। अब उसी क्रम में प्रस्तुत आलेख में सिंह लग्न के नवम भाव में स्थित बुध एवं गुरु के भावजन्य, राशिगत, नक्षत्रगत, दृष्टिजन्य एवं युतिजन्य फलों का विवेचन किया जा रहा है।
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November 2025
Jyotish Sagar
जानें वह गुप्त हनुमत्साधना, जिसे श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया
महाभारत युद्ध से पूर्व श्रीकृष्ण जानते थे कि पाण्डवों का पक्ष निर्बल है, क्योंकि कौरवों के पक्ष में अजेय योद्धा भीष्म और द्रोणाचार्य के अलावा महारथी कर्ण, कृपाचार्य आदि भी थे, जिन्हें सामान्य शस्त्रों से पराजित करना सम्भव नहीं था।
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November 2025
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नीचराशिस्थ मंगल के फल
जन्मपत्रिका में नीचराशिस्थ ग्रहों के फल : एक विस्तृत अध्ययन
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November 2025
Jyotish Sagar
सूक्ष्म शरीर एवं उसकी असीम शक्ति
भारतीय दर्शन के अनुसार देह के तीन भेद हैं—(1) स्थूल देह, (2) सूक्ष्म देह और (3) कारण देह। दिखाई देने वाला पार्थिव शरीर ही स्थूल शरीर है। इससे परे सूक्ष्म शरीर है। सूक्ष्म शरीर कैसा है? किन तत्त्वों से बना हुआ है और उनमें क्या विशेषताएँ हैं? उसके चारों ओर फैला आभामण्डल कैसा है? आदि विषयों पर विद्वानों ने विभिन्न मत प्रस्तुत किए हैं। विश्व के प्रायः सभी धर्म और सम्प्रदाय सूक्ष्म शरीर के अस्तित्व पर विश्वास करते हैं।
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November 2025
Jyotish Sagar
॥ आत्मदीपो भव ।।
दीपक ज्ञान एवं प्रकाश का सदैव से प्रतीक रहा है। दीपोत्सव पूर्व वैदिक काल से भारत ही नहीं, वरन् विश्व के अधिकांश भागों में मनाया जाता रहा है। आज से लगभग 3,000 वर्षों पूर्व विश्व की आदिम जातियाँ प्रकृति पूजक ही रही हैं। अग्नि ऊर्जा का रूप है, जिसका अधिदेवता सूर्यदेव को माना गया है। दीपोत्सव प्रकाशमय पर्व है। ज्योति अर्थात् प्रकाश की उपासना का उल्लेख भारतीय वाङ्मय वेदों में भी हुआ है। यथा;
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November 2025
Jyotish Sagar
गुजरात की आस्था का अद्भुत तीर्थ डाकोर का रणछोड़राय मन्दिर
भारत भूमि पर अनगिनत तीर्थस्थल हैं, जहाँ केवल दर्शन ही नहीं वरन् आत्मा का शुद्धिकरण और आस्था का साक्षात्कार होता है। ऐसा ही एक पवित्र धाम है गुजरात के खेड़ा जिले में स्थित डाकोर का श्री रणछोड़राय जी मन्दिर। भगवान् श्रीकृष्ण को 'रणछोड़राय' के रूप में यहाँ पूजित किया जाता है। इसलिए इस धार्मिक स्थल का इतिहास भक्ति और लोकजीवन का अनूठा संगम है। मान्यता है कि श्री रणछोड़राय जी मन्दिर के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
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