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कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस
DASTAKTIMES
|December 2024
बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी गार्ड को राष्ट्रीय खुफिया विभाग का निदेशक नियुक्त किया है। तुलसी गार्ड का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना और गहरा नाता है। नरेंद्र मोदी के निजी निमंत्रण पर तुलसी गबार्ड न केवल भारत आ चुकी हैं बल्कि उन्होंने अमेरिका में नरेन्द्र मोदी की छवि को पुनर्स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2015 में तुलसी के विवाह समारोह में आरएसएस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रह चुके व तत्कालीन भाजपा प्रवक्ता, राम माधव, नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत शुभकामनाएं देने हवाई राज्य पहुंचे थे। तब मोदी ने नव-विवाहित जोड़े को न केवल देवों की भूमि में अपना हनीमून मनाने के लिए आमंत्रित किया था बल्कि उनके लिए उपहार में पश्मीना शॉल और एक गणेश प्रतिमा भी भेजी थी। अमेरिका में एक आरएसएस विरोधी वर्ग ने तो उन्हें 'आरएसएस की राजकुमारी' तक का तमगा दे दिया है। अब कहा जा रहा है कि अमेरिका में संघ परिवार से जुड़े रसूखदारों की कोशिशों के कारण ही ट्रंप ने यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी तुलसी गार्ड को दी है। इसे भारतीय कूटनीति और मोदी-ट्रंप की दोस्ती से भारत को होने वाले फायदों की कड़ी के रूप में भी देखा जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि गार्ड का नामांकन अमेरिका द्वारा पूर्व भारतीय खुफिया अधिकारी विकास यादव के खिलाफ अभियोग लगाने के कुछ महीने से भी कम समय बाद आया है, जिसमें उन पर 2023 में अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश का आरोप लगाया गया है। जिस संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने यह तमाशा खड़ा किया है, तुलसी गबार्ड अब उस एफबीआई की बॉस होगी।
यह कहानी DASTAKTIMES के December 2024 संस्करण से ली गई है।
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