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मुस्लिम सियासत से बेपटरी सपा 24 में फिर बड़े दॉव की तैयारी

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October 2022

आजमगढ़-रामपुर लोकसभा उपचुनाव में हार के बाद अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति में कई बदलाव किए हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दरअसल, अखिलेश ने यह समझ लिया है कि उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव और यूपी में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव तक पार्टी को बीजेपी से मुकाबले के लिए तैयार रखना है तो फिर पार्टी में पूरी तरह एकजुटता कायम करनी होगी। इसी क्रम में उन्होंने पार्टी के पुराने नेताओं और सिपहसलारों को नए सिरे से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है। पिछले दिनों आजमगढ़ जाकर जेल में बंद रमाकांत यादव से मुलाकात करना और लगातार आजम खां का मुद्दा उठाना इसी रणनीति का हिस्सा है।

- संजय सक्सेना

मुस्लिम सियासत से बेपटरी सपा 24 में फिर बड़े दॉव की तैयारी

राजनीति के मैदान में लगातार भारतीय जनता पार्टी से पटखनी खा रहे समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के लिए नई राह पकड़ ली है। इन दिनों अखिलेश काफी बदले-बदले नजर आ रहे हैं। एक तरफ तो वह सड़क पर संघर्ष करते दिखाई दे रहे हैं तो दूसरी ओर सपा के पुराने और नाराज साथियों को भी मनाने में लगे हैं। राजनीति के कुछ जानकार इस बदलाव को मुलायम की राजनैतिक शैली से जोड़ कर देख रहे हैं। नेताजी के नाम से विख्यात मुलायम हमेशा अपनी सियासत का तानाबाना सड़क पर संघर्ष करते हुए तैयार करते थे तो अपने वफादारों को कभी नाराज या अनदेखा नहीं करते थे। यही नेताजी की सियासी पूंजी हुआ करती थी, लेकिन जब से समाजवादी पार्टी में अखिलेश युग का प्रारम्भ हुआ है, तब से समाजवादी पार्टी की सियासत ड्राइिंग रूम तक में सिमट कर रह गई थी। अखिलेश हॉ में हॉ मिलाने वाले चटुकारों से घिरे रहते थे। सपा के संघर्ष के दिनों के नेताओं को यह अच्छा नहीं लगता था, लेकिन उनकी कहीं सुनी नहीं जाती थी। ऐसे में कई नेताओं ने समाजवादी पार्टी से किनारा कर लिया तो कुछ अपने घरों में सिमट गए। खासकर मुसलमान नेताओं की नाराजगी समाजवादी पार्टी के लिए खतरे की घंटी नजर आ रही थी। विधान सभा चुनाव खत्म होने के बाद कई मुस्लिम नेताओं ने अखिलेश पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी। एक के बाद एक सपा के मुस्लिम नेताओं के तीखे बयान सामने आ रहे हैं। कई मुस्लिम नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। आजम खान के मीडिया हैं प्रभारी से लेकर सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क तक अखिलेश के खिलाफ अपनी भड़ास निकाल रहे थे। संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने अपनी ही पार्टी पर हमला बोला। उन्होंने मीडिया से कहा कि भाजपा के कार्यों से वह संतुष्ट नहीं हैं। भाजपा सरकार मुसलमानों के हित में काम नहीं कर रही है। भाजपा को छोड़िए, समाजवादी पार्टी ही मुसलमानों के हितों में काम नहीं कर रही। रालोद प्रदेश अध्यक्ष रहे डॉ. मसूद ने चुनाव नतीजे आने के कुछ दिनों बाद ही अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज दिया। इसमें उन्होंने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ सपा मुखिया अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा था। अखिलेश को तानाशाह तक कह दिया था। सपा पर टिकट बेचने का आरोप भी लगाया था। सहारनपुर क

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एच-1बी वीज़ा की फीस करीब 50 गुना बढ़ाकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नया दांव खेला है। इस एक फैसले ने लाखों भारतीय युवा प्रोफेशनलों के भविष्य में अमेरिका जाने की राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अमेरिका को एक सर्वशक्तिमान देश बनाने में इन अप्रवासी प्रोफेशनलों की बड़ी भूमिका रही है। इस फैसले से सिलिकॉन वैली की कंपनियों और भारतीय प्रतिभाओं पर क्या असर पड़ेगा? क्या फीस बढ़ाकर अमेरिका ने अपने पांव पर कुल्हाड़ी दे मारी है ? इसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? अमेरिका के लोकप्रिय एच-1बी वीज़ा पर दस्तक टाइम्स के संपादक दयाशंकर शुक्ल सागर की रिपोर्ट।

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कौन होगा सीएम, सब हैं खामोश!

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