Essayer OR - Gratuit
डेयरी पशुओं का चुनाव
Modern Kheti - Hindi
|November 01, 2023
पशुपालकों का एक सवाल होता है कि वह डेयरी फार्म के लिए गाय रखें या भैंस ताकि वह साल भर दूध उत्पादन कर सकें तथा दूध की गुणवत्ता भी बनी रहे व उसे दूध का अच्छा मूल्य भी मिल सके। इसके लिए जरूरी है कि हम दोनों प्रकार के पशुओं के गुणों को जानें।
1. दूध की मात्रा: मुर्रा भैंस भारत वर्ष के हरियाणा, पंजाब, दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश के भागों में बहुतायत में पाली जाती है। इसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता एक ब्यांत में 3000 लीटर है। इस नस्ल की लगभग 3 प्रतिशत भैंसें तो 3500 लीटर से भी अधिक दूध देती हैं। संकर नस्ल की गाय 3500-7000 लीटर तक दूध दे देती है। देशी नस्ल की गाय 1500-2000 लीटर तक दूध देती है। भैंस के दूध में चिकनाई की मात्रा 7 प्रतिशत से अधिक होती है जिससे दूध का अधिक मूल्य मिलता है, जबकि गाय के दूध में चिकनाई की मात्रा 3-5 प्रतिशत तक ही होती है जिससे उसका भैंस के दूध के मुकाबले कुछ कम मूल्य मिलता है।
2. प्रजनन समय: यह देखा गया है कि भैंसें अधिकतर अगस्त से जनवरी महीने के बीच गर्भाधारण करती हैं तथा अगस्त से दिसम्बर की अवधि में ब्याती हैं जबकि गाय गर्मी के मौसम में गर्भ धारण करती है। गर्मी का भैंसों के प्रजनन काल पर विपरीत असर पड़ता है। वर्षा ऋतु के बाद जब इन्हें हरा चारा उचित मात्रा में मिलता है साथ ही वातावरण का तापक्रम भी कम होने लगता है तब ये प्रजनन में आती है।
3. व्यस्कता: भैंसें 2.5 से 3 साल की आयु में व्यस्क हो जाती हैं परन्तु यदि शुरू से ही कटियों का पालन-पोषण अच्छी तरह से हो तो 2 साल की उम्र में यह प्रजनन योग्य हो जाती है। संकर गाय 16-20 महीने की उम्र में व्यस्क होती है वहीं देशी गाय 2.5 से 3 साल की उम्र में प्रजनन योग्य हो जाती है।
ब्याने के बाद मदकाल में आने की अवधि: पशु आहार, उचित रखरखाव एवं सांड का संसर्ग मदकाल में आने की अवधि को प्रभावित करते हैं। भैंसें ब्याने के 130 से 150 दिन बाद मदकाल में आ जाती है परंतु आदर्श अवधि 90 दिन है। भैंसों में यह अवधि इसके ऋतुकालिक होने के कारण प्रभावित होती है। यदि भैंस वर्षा या ग्रीष्म ऋतु में ब्याती हैं तो मदकाल में आने की अवधि बढ़ जाती है जबकि जाड़ों में ब्याने वाली भैंस 80 से 100 दिन बाद ही मदकाल में आ जाती है। गायों में यह अवधि 40-60 दिन की होती है। परन्तु यह 60-90 दिन की भी हो सकती है।
Cette histoire est tirée de l'édition November 01, 2023 de Modern Kheti - Hindi.
Abonnez-vous à Magzter GOLD pour accéder à des milliers d'histoires premium sélectionnées et à plus de 9 000 magazines et journaux.
Déjà abonné ? Se connecter
PLUS D'HISTOIRES DE Modern Kheti - Hindi
Modern Kheti - Hindi
मक्का की बिजाई करने के लिए मेज़ प्लांटर
मक्का की बिजाई करने वाली मशीन, मेज़ प्लांटर को नेशनल एग्रो इंडस्ट्रीज़ की ओर से बनाया गया है।
1 min
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
घृतकुमारी का औषधीय योगदान एवं महत्व
कुमारी, गृह कन्या, घृतकुमारिका आदि, इसके पत्तों में छेद करने या दबाने पर लसलसा पदार्थ निकलता है।
3 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
क्या जीनोम-संपादित धान की किस्में उचित हैं ?
देश के शीर्ष कृषि अनुसंधान संस्थान आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) और कृषि मंत्रालय पर जीनोम-संपादित (जीनोम-एडीटेड) धान के परीक्षणों में वैज्ञानिक हेरफेर और बेईमानी के आरोप लगे हैं।
3 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
गन्ना की खेती देखभाल और पैदावार
गन्ना एक प्रमुख व्यवसायिक फसल है, विषम परिस्थितियां भी इसकी फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती।
10 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
खाद्य उत्पादन की बढ़ती मांग से धरती पर पड़ रहा है प्रभाव
इसमें कोई शक नहीं कि इंसानी सभ्यता ने अपने विकास के लिए प्रकृति का बड़े पैमाने पर दोहन किया है।
3 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
टिकाऊ कृषि विकास के लिए भूमि सुधार आवश्यक ...
कृषि के मुख्यतः तीन प्रमुख स्तम्भ हैं-मिट्टी, पानी और बीज परंतु गत कुछ दशकों में परंपरागत कृषि तकनीकों जैसे अत्याधिक जुताई, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग एवं जैविक खाद के कम उपयोग, इत्यादि के कारण मिट्टी की गुणवत्ता में बहुत गिरावट आई है।
8 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
निराशा से समाधान तक कैसे भारत पराली जलाने की समस्या का कर सकता है अंत
पराली जलाने की समस्या का हल संभव है। समझदारी बरतते हुए अगले तीन वर्षों में इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं अरुणाभ घोष और कुरिंजी केमांथ
5 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
अलसी की खेती से लाभ कमाएं
अलसी तेल वाली फसलों में दूसरी खास फसल है।
8 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
क्रांतिकारी मॉडल विकसित करने वाले सफल किसा सीताराम निगवाल
मध्यप्रदेश के धार जिले के किसान सीताराम निगवाल ने 30 वर्षों के अनुभव से खेती का एक क्रांतिकारी मॉडल, विकसित किया है।
2 mins
15th November 2025
Modern Kheti - Hindi
भूमि क्षरण से बढ़ रहा कुपोषण
लगभग 1.7 अरब लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां मानवीय कारणों से भूमि के क्षरण के चलते फसलों की पैदावार घट रही है।
2 mins
15th November 2025
Translate
Change font size

