मन को शान्त और स्थिर करने का साधन मन्त्र है। सही मन्त्र जप और मार्गदर्शन व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ाता है। इससे प्रत्येक मनुष्य को अपने कार्य में दक्षता प्राप्त होगी। इस प्रकार हम जीवन में आगे बढ़ेंगे।
प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक ही मन्त्र का जप ठीक नहीं होता है। सभी व्यक्ति अलग-अलग मन्त्रों का जप करें, जिससे मन्त्र जप का सही लाभ मिल सके। जिस तरह हम बीमार होने पर एक डॉक्टर की सलाह लेते हैं, उसी तरह हमें अपने जीवन को व्यवस्थित करने के लिए एक आध्यात्मिक व्यक्ति जिसे हम 'गुरु' कहते हैं, उसकी हमें सहायता लेनी चाहिए, जिससे आने वाले समय में हम आगे बढ़ सकें। मनुष्य वही है, जो वह सोचता है।
प्रत्येक व्यक्ति को एक अच्छे मन्त्र का जप करना चाहिए। मन्त्र का जप मनुष्य को जीवन में बहुत आगे बढ़ाता है। इस मन्त्र का निर्धारण भी आप स्वयं नहीं करें। किसी अच्छे मार्गदर्शक से कराएँ, जिससे आप अपने जीवन में तुरन्त आगे बढ़ सकें। आप इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि जहाँ तक मन करता है, प्रत्येक व्यक्ति अपनेअपने लिए मन्त्र का चयन कर लेता है।
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सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।
जब नारद जी ने दिया श्रीहरि को शाप!
जिस रास्ते से नारद जी जा रहे थे, उसी रास्ते पर श्रीहरि ने सौ योजन का एक मायावी नगर रचा। उस नगर की रचना भगवान् विष्णु के नगर वैकुण्ठ से भी ज्यादा सुन्दर थी।
घर की सीढ़ियों की दशा और दिशा आदि का विचार
दक्षिण-पश्चिम अथवा नैर्ऋत्य कोण सीढ़ियों के लिए शुभ माना जाता है, वहीं उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सीढ़ियाँ निर्मित नहीं करनी चाहिए।
पीपल को क्यों नहीं काटना चाहिए?
श्री मद्भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने बताया है कि, पीपल उन्हीं का एक रूप है। इसी कारण पीपल की पूजा करने पर भगवान् श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और हमारे दःखों को दूर करते हैं।
वास्तु शास्त्र से जानें कौनसे पेड़ लगाने चाहिए और कौनसे नहीं?
घर के समीप अशुभ वृक्ष लगे हों और उनको किसी कारण से नहीं काट सकते हों, तो अशुभ वृक्ष और घर के बीच में शुभ फल वाले वृक्ष लगा देने चाहिए।
अहिंसा के प्रवर्तक भगवान् महावीर
जैन धर्म की चार संज्ञाओं का बहुत महत्त्व है। प्रथम संज्ञा है 'जिनेन्द्र' अर्थात् जिन्होंने इन्द्रियों को जीतकर अपने वश में कर लिया है। दूसरी ‘अरिहंत’ अर्थात् जिन्होंने केवल ज्ञान प्राप्त किया है। तीसरी संज्ञा 'तीर्थंकर' है।
ज्योतिष और वैवाहिक सुख
जन्मपत्रिका में शुक्र ग्रह हमारे मानव जीवन में अहम स्थान रखते हैं। यह समस्त प्रकार के भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक शुक्र ही है।
वक्री ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
अपनी जन्मपत्रिका में वक्री ग्रह को पहचानकर कोई भी व्यक्ति उस वक्री ग्रह द्वारा परोक्ष रूप से दी जाने वाली सीख को आत्मसात करके अपने जीवन को सरल बना सकता है।
नववर्ष का अभिनन्दन
भारत के विभिन्न हिस्सों में नववर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः ये तिथियाँ मार्च और अप्रैल के माह में आती हैं। पंजाब में नया साल बैसाखी के नाम से 13 अप्रैल को मनाया जाता है।
ऊर्जा प्रदायिनी आद्याशक्ति
नवरात्र का पर्व व्यक्ति के भीतर स्थित आसुरी शक्ति (काम, क्रोध, असत्य, अहंकार आदि) को नष्ट कर दैवीय सम्पदा के तत्त्वों का प्रार्दुभाव करता है।