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जन्मपत्रिका से जानें मकान प्राप्ति के योग
रोटी, कपड़ा और मकान इन तीन चीजों को जीवन-यापन की मूलभूत आवश्यकता माना जाता है। हम अपनी कमाई से रोटी की व्यवस्था करते हैं, कपड़ों की भी व्यवस्था करते हैं, लेकिन एक अपना मकान बनाना अधिक समय और लागत माँगता है।
शिवोपासना की महिमा
सृष्टि के प्रारम्भ में फाल्गुन त्रयोदशी (कृष्ण पक्ष की) तिथि को मध्यरात्रि में भगवान् शिव का ब्रह्मा से रूद्र के रूप में अवतरण हुआ था। शिवरात्रि के दिन व्रत एवं उपवास रखकर शिवलिंग पर बिल्वपत्र अर्पित करने चाहिए।
शिवरात्रि का वास्तविक मर्म
महाशिवरात्रि पर विशेष
रात्रिजागरण एवं चार प्रहर पजा
08 मार्च, 2024 (शुक्रवार)
होलिका दहन का शास्त्रीय विधान
गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है अर्जुन! जो कुछ करते हो, जो कुछ खाते हो, अग्नि के अर्पण करते हो, दान देते हो, तपस्या करते हो, उसे मेरे अर्पण करते हुए करो।
श्रीदुर्गासप्तशती : एक रहस्य
श्रीदुर्गासप्तशती के 700 श्लोक रूपी सीढ़ियाँ ब्रह्म की शक्ति भगवती चण्डिका के पास पहुँचने के माध्यम हैं। श्रीदुर्गासप्तशती के तीनों चरित्रों के विनियोग से ही इस विषय का स्पष्ट आभास होता है।
सरवाड़ (केकड़ी) का वीणाधारिणी मूर्ति फलक
सभ्यता के उदय से ही मातृशक्ति की पूजा किसी न किसी रूप में प्रचलित रही है। सभ्यता के आरम्भ से ही मातृदेवी के रूप में मूर्त संकल्पना मानवीय एवं प्रतीक दोनों रूपों में मिलती है।
अनूठा है गजकेसरी योग
यदि गुरु और चन्द्रमा की युति होती है, तो जातक तेज दिमाग वाला, तुरन्त निर्णय लेने वाला, धार्मिक, परोपकारी तथा स्वयं के बल पर सफलता प्राप्त करने वाला होता है।
बाँसवाड़ा की सरस्वती प्रतिमाएँ
बाँसवाड़ा जिले में तलवाड़ा ग्राम में स्थित माँ त्रिपुर सुन्दरी मन्दिर।
विलक्षण सन्त श्री रामकृष्ण परमहंस
‘महाशय! क्या आपने ईश्वर को देखा है?' तब महान् साधक रामकृष्ण ने उत्तर दिया, ‘हाँ देखा है। जिस प्रकार तुम्हें देख रहा हूँ, ठीक उसी प्रकार, बल्कि उससे कहीं अधिक स्पष्टता से।'
भारतीय गणितज्ञ भास्कराचार्य
यह सत्य है कि विज्ञान की अन्य शाखाओं की भाँति गणित विज्ञान में भी भारतीय गणितज्ञों के काफी शोध कार्य किए जाते हैं। यह भी निर्विवाद सत्य है कि विज्ञान की उन्नति मुख्यत: गणित पर ही निर्भर है। प्राचीन काल से ही भारतीय गणितज्ञों ने अंक विज्ञान में काफी प्रगति की है। भास्काराचार्य का नाम उनमें से एक है।
गजलक्ष्मी रूपी स्त्री प्राप्ति के योग
यदि चतुर्थ भाव में वृषभ राशि हो और उसमें चन्द्रमा स्थित हो तथा दशम अथवा अष्टम स्थान में गुरु स्थित हो, तो ऐसे योग वाली स्त्री विवाह होकर जिस परिवार में जाती है, उसके अशुभ फलों को नष्ट करके घर को शुभता से भर देती है।
घर में पानी का सही स्थान बनेगा भाग्योदय में सहायक
उत्तर–पूर्व (NE) में ओवरहैड वाटर टैंक नहीं होना चाहिए, क्योंकि यदि आपके घर में इस तरह की व्यवस्था है, तो इससे आपका ईशान कोण भारी हो जाएगा, जो वास्तु की दृष्टि से उचित नहीं है।
महर्षि अरविन्द जन्मपत्रिका विश्लेषण
महर्षि अरविन्द की भारत की महान् आध्यात्मिक विभूतियों में गणना होती है। उनका ओरोविले आश्रम आस्था का एक केन्द्र बन चुका है। न केवल गीता, उपनिषद् एवं योग पर उनके व्याख्यान, वरन् उनकी कविताएँ भी लोगों को आकृष्ट करती हैं।
ज्योतिष के कतिपय प्राकृत भाषायी ग्रन्थ
इस ग्रन्थ को कूष्माण्डिनी देवी से प्राप्त कर धरसेन आचार्य ने पुष्पदन्त एवं भूतबलि नामक अपने शिष्यों के लिए लिखा था। इस ग्रन्थ में 800 गाथाएँ हैं।
भाग्य से जगमगाते अमीरी के सितारे
लग्नेश-कर्मेश और भाग्येश का सम्बन्ध बन रहा हो और ये उच्च के होकर कर्म स्थान, भाग्य स्थान अथवा लग्न स्थान, इनमें से किन्हीं दो को अपनी दृष्टि से देख रहे हों, तो जातक समय आने पर प्रसिद्धि और धन प्राप्त करता है।
श्री जगन्नाथ मन्दिर हैरिटेज कॉरिडोर नए स्वरूप में तैयार है पुरी का जगन्नाथ मन्दिर!
लीजिए, अब पुरी का जगन्नाथ मन्दिर भी अपने नए स्वरूप में तैयार हो चुका है। 17 जनवरी, 2024 को श्री जगन्नाथ मन्दिर हैरिटेज कॉरिडोर का उद्घाटन ओडीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक एवं गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने किया।
आइए चलें...महातीर्थ खजुराहो
खजुराहो में केवल एक मन्दिर नहीं है। वहाँ 25 मन्दिर हैं।
जिन्हें गोविन्ददेव के साक्षात् दर्शन हुए!
कवि, परम भक्त और महान् निर्माता महाराजा सवाई प्रतापसिंह
निम्बार्क सम्प्रदाय में सूर्यदेव
आचार्य श्री ने रात्रि में सूर्यदेव का दर्शन कराया और यतिस्वरूप ब्रह्मा का आतिथ्य किया। यह देखकर ब्रह्मा जी विस्मित हुए और तत्काल प्रत्यक्ष स्वरूप में प्रकट होकर श्री आचार्यवर्य को 'निम्बार्क' नाम से सम्बोधित किया।
सूर्योपासना का पर्व है मकर संक्रांति
प्रत्येक साल सूर्य भगवान् जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब सूर्योपासना के रूप में 'मकर संक्रांति का पर्व की मनाया जाता है।
कर्मयोगी स्वामी विवेकानन्द जन्मपत्रिका विश्लेषण
गुरु महादशा में गुरु की अन्तर्दशा तथा शुक्र की प्रत्यन्तर्दशा में हुए शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में दिए गए व्याख्यानों से उन्हें अभूतपूर्व ख्याति प्राप्त हुई।
सूर्य-चन्द्रमा की युति एक विश्लेषण
चन्द्रमा के अस्त होने के बावजूद भी कई जातक जीवन में उच्चस्तरीय सफलता प्राप्त करते हुए देखे जाते हैं।
भारत में सूर्योपासना एक विवेचना
वेद कहते हैं 'सूर्य आत्मा जगत: तस्थुषश्च' अर्थात् सूर्य समस्त चराचर जगत् की आत्मा हैतथा ‘असवादित्योब्रह्मः' अर्थात् सम्मुख आदित्य (सूर्य) 'ब्रह्म' है। वेदों में यद्यपि सूर्य की प्रधान देवों में गणना नहीं है, फिर भी वैदिक काल में सूर्यपूजा की विद्यमानता दृष्टिगोचर होती है। सविता (सूर्य) की उपासना में गायत्री मन्त्र सर्वविदित है। आज भी नित्य सन्ध्या वन्दन में गायत्री मन्त्र का जप किया जाता है। वेदों के अनुसार भगवान् सूर्य के रथ के सात घोड़े हैं, जो ज्योतिष की दृष्टि से 'वार' के प्रतीक हैं। कालगणना सूर्य की गति पर ही आधारित है।
लग्नानुसार ज्योतिष के महत्त्वपूर्ण सूत्र
मिथुन लग्न के जातकों को भाग्य में कमी का अनुभव होता है। बुध एवं शुक्र का सम्बन्ध सर्वाधिक शुभ फलदायक होता है। गुरु एवं शुक्र की युति दशम भाव में राजयोग के फल प्रदान करती है।
श्रीराम की वनवास यात्रा का भौगोलिक परिचय
भगवान् श्रीराम का यौवराज्याभिषेक कैकेयी के तीन वर माँगने के कारण न केवल स्थगित हुआ, वरन् उन्हें 14 वर्ष वनवास भी भोगना पड़ा। ये 14 वर्ष उन्होंने भ्राता लक्ष्मण एवं पत्नी सीता के साथ मध्य एवं दक्षिण भारत के दुर्गम वनों में व्यतीत किए।
ऐसा था रामयुग
रामयुग में सामान्यतः राजतन्त्रात्मक व्यवस्था का प्रचलन था। राजा को देवता सम माना जाता था और उसका राजत्व दैवीय था। वंशानुगत उत्तराधिकार का प्रचलन था।
कुश से लेकर विवाद, शिलान्यास और उद्घाटन तक राम मन्दिर
वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या नगरी की स्थापना मनु द्वारा की गई थी। विभिन्न राजाओं ने इस नगरी में निर्माण एवं विस्तार का कार्य किया। दशरथ जी ने भी यहाँ कई इमारतें बनवाईं।
लो तैयार हो गया 'रामलला' का नया भव्य मन्दिर
इन्तजार की घड़ियाँ समाप्त होने को हैं। उल्टी गिनती आरम्भ हो चुकी है। 22 जनवरी को मध्याह्न में रामलला अपने नए मन्दिर में दर्शन देंगे।
बजरंगबली के चित्रों की घर में स्थापना द्वारा मनोरथों की सिद्धि
भक्ति में यदि किसी देवता का नाम लिया जा सकता है, तो वे हैं श्री बजरंगबली हनूमान जी। इनकी राम भक्ति का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब इन्होंने अपनी छाती को फाड़ा, तो उसमें भी भगवान् श्रीराम विराजमान थे।