जम्मू कश्मीर में जी 20 समिट मोदी का मास्टर स्ट्रोक
DASTAKTIMES|July 2022
अभी जम्मू कश्मीर के मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण आत्मनिर्धारण के अधिकार, आतंकवाद, आजाद कश्मीर जैसे मुद्दों को लेकर पाकिस्तान ने किया है और उसको समर्थन चीन द्वारा भी मिला है। इस्लामिक सहयोग संगठन के सदस्य देशों ने भी जम्मू कश्मीर की स्वायत्तता पर टिप्पणियां की हैं और भारत को यह नसीहत दी है कि वह जम्मू कश्मीर के साथ छेड़छाड़ न करें लेकिन भारत ने भी यह ठान लिया है कि वह जम्मू कश्मीर को आर्थिक विकास का हब बनाकर ही छोड़ेगा। यही कारण है कि भारत ने इससे पहले खाड़ी सहयोग संगठन के खाड़ी देशों को भी जम्मू कश्मीर में निवेश, व्यापार, वाणिज्य को बढ़ाने का निमंत्रण दिया
विवेक ओझा
जम्मू कश्मीर में जी 20 समिट मोदी का मास्टर स्ट्रोक

धारा 370 और अनुच्छेद 35अको हटाने के बाद से भारत सरकार की से लगातार यह कोशिश रही है कि जम्मू कश्मीर में कोई दखलअंदाजी ना रह जाए, जम्मू कश्मीर के अंदरूनी मामले में कोई तीसरी ताकत आवाज ना उठा सके और इसीलिए जम्मू कश्मीर के समावेशी विकास को ध्यान में रखकर वहां दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए और इन दोनों प्रदेशों में विकास के ऐसे कार्य किए गए, सुरक्षा की ऐसी व्यवस्थाएं दी गईं जिससे दुनिया को एक संदेश मिले कि भारत जम्मू कश्मीर को अपने एक अभिन्न अंग के रूप में विकसित करने की हर रणनीति पर चलने का मन बना चुका है और इसी कड़ी में भारत सरकार ने एक और बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है जिसके तहत 2023 में जम्मू कश्मीर में जी 20 समिट का आयोजन कराए जाने का निर्णय हुआ है। जी 20 समिट का आयोजन जम्मू कश्मीर में होने के दूरगामी लाभ सामने आएंगे।

भारत अब जम्मू कश्मीर को विवाद का नहीं बल्कि संवाद का विषय बनाना चाहता है। भारत चाहता है कि जिस तरह से अभी पाक अधिकृत कश्मीर क्षेत्र में गिलगिट बाल्टिस्तान और उसके आसपास के क्षेत्र चीन और पाकिस्तान के भ राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का अंग बने हुए हैं, उस पर एक विराम लगे और यह विराम तभी लग सकता है जब इन देशों पर विश्व की महाशक्तियों का एक दबाव बने। अब डायरेक्ट अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, यूरोपियन यूनियन जम्मू कश्मीर में भारत के हितों के मसले पर चीन, पाकिस्तान को कुछ बोलेंगे या नहीं, इस बात में संशय बना रहता है लेकिन अगर दुनिया के 19 सबसे बड़े औद्योगिकृत देश और यूरोपीय संघ की सदस्यता वाले संगठन जी 20 का समिट कश्मीर में आयोजित किया जाए और इस तरीके के अन्य आयोजन भी किए जाएं तो धीरे-धीरे जम्मू कश्मीर की छवि बदलेगी।

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