Intentar ORO - Gratis

इंसाफ़ ...

Aha Zindagi

|

August 2025

व्यवस्था के हर स्तर पर अन्याय का शिकार होता आम आदमी आख़िर क्या करेगा, भगवान के यहां ही अर्ज़ी लगाएगा। हारे को हरिनाम! वही उसकी आशा है, वही उसकी शक्ति।

- - उमेश तिवारी विश्वास

इंसाफ़ ...

...होगा या नहीं, दैवीय चमत्कार होगा कि नहीं, भगवान जाने, लेकिन यह कहानी है बार-बार सताए जा रहे आदमी की कर्मठता, जीवट और अटल विश्वास की जो ख़ुद किसी चमत्कार से कम नहीं।

कुछ अक्खड़ क़िस्म का आदमी है वह, झुकता-झुकाता नहीं, सामने रिश्तेदार हों या ग्राहक या भगवान ही क्यों न हो! राह चलते मंदिर दिखा तो हाथ जोड़ दिए, पूजा-पाठ के नाम पर इतना ही करता है वह। हां, गोल्ज्यू उनके इष्ट हैं, न्याय के देवता माने जाते हैं तो उनके प्रति मन में एक विश्वास दुबका बैठा है। शायद इसीलिए गोलू देवता के मंदिर में खुद भी अर्ज़ी लगाना तय किया था उसने।

मंदिर में अर्जियों के लिए कोई ख़ास जगह निश्चित है नहीं, लोग घंटियों के बीच तारों या कीलों पर अपनी शिकायत नत्थी कर जाते हैं। यहां लिखित फ़रियाद करने से इंसाफ़ मिलता है, ऐसा लोगों का विश्वास है। यहां के फ़रियादी मुख्तलिफ़ जाति, धर्म, और तबक़ों से हैं। उनके मसले भी भांति-भांति के हैं; चोरी, अमानत में खयानत, प्रताड़ना, धोखा, मार-पीट से लेकर हत्या तक के मामले। कोर्ट-कचहरी, पुलिस-पटवारी, नेता-अफ़सर जब हाथ खड़े कर दें तो गोलू देवता ही आमजन का सहारा हैं। कोई फीस नहीं देनी, न ही पूजा करवानी है, अर्जी लग गई तो समझो इंसाफ़ होगा। इंसाफ़ किसी तय ढर्रे के बजाय निराले, गैर रस्मी अंदाज़ में मिल सकता है: उनके भय से चुराया हुआ सामान या उधार लौटा दिया जाता है, झूठे मुक़दमे वापस लिए जाते हैं। बड़े से बड़े रसूखदार, डरावने सपनों से लेकर कुदरती क़हर, अप्रत्याशित नुक़सान जैसे संकेत पाकर पीड़ित से समझौता करते देखे गए हैं। लोगों का मानना है कि एक जघन्य अपराधी कोर्ट से बरी हो सकता है, पर मजलूम की फ़रियाद पर गोल्ज्यू के कोप से नहीं बच सकता।

उसने तीखी-सर्द हवाओं और कड़कती बिजली के बीच दीवार पर संतुलन बनाते हुए ऊंची टंगी घंटियों के बीच अपनी तहरीर गूंथ दी। हवा के एक ताज़ा झोंके से कुछ पन्ने फड़फड़ाए और कुछ घंटियां सहसा घनघना उठीं।

'पुलिस वाले ने चार सौ रुपये ले लिए और धमकाकर भगा दिया वकील साब।' हिम्मत सिंह ने शिकायत के लहजे में अपना पक्ष रखा।

'तेरे पास कोई सबूत या गवाह है? कोई साथ में था तेरे?'

'नहीं... सबूत तो पुलिस ही है। मेरी जेब में कुछ था ही नहीं, जाने कहां से उसने अत्तर की गट्टी जैसी पैदा कर दी...।' वह कंधों को झटका देते बोला।

MÁS HISTORIAS DE Aha Zindagi

Aha Zindagi

Aha Zindagi

डिजिटल संसार में मानव अधिकार

वक़्त बदल चुका है! अब एक झूठी तस्वीर भी आपकी पूरी छवि और गरिमा को तार-तार कर सकती है। यह सिर्फ़ आपकी समस्या नहीं, आज पूरी दुनिया इसके घेरे में है।

time to read

6 mins

December 2025

Aha Zindagi

Aha Zindagi

सौदा

पुरानी वस्तुएं देकर कोई नई चीज़ मिल जाए तो इससे ख़ुशी की बात और क्या होगी! इस सौदे में अक़्लमंदी भी है। लेकिन निधि ने बिना अक़्ल लगाए कहीं बेहतर सौदा कर लिया। उसे बदले में कुछ मूल्यवान मिला है, यह उसके चेहरे की चमक बता रही थी।

time to read

7 mins

December 2025

Aha Zindagi

Aha Zindagi

क्या कहती है पुरुष की चुप्पी

कहते हैं कि स्त्रियों को समझा नहीं जा सकता, किंतु पुरुषों को समझना भी कहां आसान होता है! वे कम बोलते हैं, ज़्यादा महसूस करते हैं और अपनी भावनाएं शब्दों से कम, व्यवहार से ज़्यादा जताते हैं। उन्हें समझने की शुरुआत होती है उनकी चुप्पी, उनके नज़रिए और उनकी अनकही भावनाओं को महसूस करने से।

time to read

7 mins

December 2025

Aha Zindagi

Aha Zindagi

सभ्यता का गणित

ब्रह्मांड के हर हिस्से में गणित है। सौरमंडल की सीमा में और असीम निर्वात में। प्रत्येक चेतन में और जड़ में। विज्ञान में और कला में। इसके बिना न तो पानी संभव है, न प्राणी। बिन गणित सब सून !

time to read

7 mins

December 2025

Aha Zindagi

Aha Zindagi

ये माटी सभी की कहानी कहेगी...

भले ही मुहावरे की भाषा में मिट्टी के मोल का अर्थ बहुत सस्ता होता है, किंतु दुनिया की कोई शै एक मुट्ठी मिट्टी से अधिक समृद्ध नहीं है।

time to read

8 mins

December 2025

Aha Zindagi

Aha Zindagi

टीवी और हम लोग

टेलीविज़न ने केवल मनोरंजन नहीं किया, ख़बरें ही नहीं दिखाईं, उसने हम भारतीयों को भी बदल दिया।

time to read

6 mins

December 2025

Aha Zindagi

Aha Zindagi

चलें झरनों की ओर

.. यानी एक ऐसी यात्रा जहां एक ही सफ़र में मिलेंगे कई झरने।

time to read

1 mins

December 2025

Aha Zindagi

Aha Zindagi

मंजिल के क़रीब गुमराह होने की चाह...

पहली नज़र में यह चाहना एकदम अटपटी और अस्वाभाविक लगती है, लेकिन जब इसकी परतें खुलती हैं तो दुनियावी दौड़ के फ़लसफ़े बेमानी लगने लगते हैं।

time to read

4 mins

December 2025

Aha Zindagi

Aha Zindagi

टालमटोल पर जीत के 7 क़दम

कई बार कुछ ज़रूरी काम होते हैं, लोग उस काम के चारों ओर गोल-गोल चक्कर काटते रहते हैं। दिल चाहता है कि शुरू तो करें पर दिमाग़ कहता है, अभी नहीं। टालमटोल का यही नाज़ुक नृत्य एक कशमकश बन जाता है। आख़िर कैसे निकलें इस चक्रव्यूह से।

time to read

3 mins

December 2025

Aha Zindagi

Aha Zindagi

आप कौन-से ग्रह पर रहते हैं?

अगर आप सुर्खियां देखें, फिल्में देखें और इतिहास की किताबें पढ़ें तो आपको लगेगा कि हम पूरी तरह से एक बुरी प्रजाति हैं। लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है। ग़ौर से देखने पर आपको पता चलेगा कि हम वास्तव में बहुत अच्छे हैं।

time to read

4 mins

December 2025

Listen

Translate

Share

-
+

Change font size