पुराणों के अनुसार पूर्व युग में एक महाभूत उत्पन्न हुआ; जिसने अपने सुप्त शरीर से समस्त संसार को आच्छादित कर लिया। उसे देखकर इन्द्र सहित समस्त देवगण हुए और यम भयभीत होकर ब्रह्मा जी की शरण में गए और उनसे प्रार्थना की कि- हे देव ! हे भूतेश लोकपितामह ! हम सभी बहुत भयभीत हैं। आपकी शरण में आएं हैं कृप्या हमारी मदद कीजिए हमारा मार्गदर्शन कीजिए। तब ब्रह्माजी ने कहा- हे देवगणों ! भय मत करो। इस महाबली को पकड़कर भूमि पर अधोमुख गिराकर तुम सब निर्भय हो जाओगे। ब्रह्माजी के परामर्शानुसार सभी देवगण उस महाबली को गिराकर उस पर बैठ गएं। विश्वकर्मा प्रकाश के प्रथम अध्याय के 11 व 12 में श्लोक में कहा गया है-
तमेव वास्तुपुरुषं ब्रह्मासमसृजत्प्रभुः ।
कृष्णपक्षे तृतीयायां मासि भाद्रपदे तथा ॥
शनिवारे भवेज्जन्म नक्षत्रे कृत्तिकासु च।
योगस्तस्य व्यतीपातःकरणं विष्टिसंज्ञकम् ॥
उसी को अर्थात महाभूत को समर्थ ब्रह्माजी ने वास्तुपुरुष की संज्ञा दी । भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की तृतीय तिथि; शनिवार; कृतिका नक्षत्र, व्यतीपात योग; विष्टिकरण; भद्रा के मध्य में; कुलिका मुहुर्त में इसकी उत्पत्ति हुई।
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उत्साह एवं उमंग का त्यौहार बैसारवी
बैसारवी के दिन पंज प्यारों का रूप धारण कर इनका स्मरण किया जाता है। इस दिन पंजाब का परंपरागत नृत्य भांगड़ा और गिद्दा किया जाता है। उत्तर भारत में बैसारवी को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है।
धर्म-कर्म और उनका वैज्ञानिक महत्व
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सुहागिनों का लोक पर्व गणगौर
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चैत्र नवरात्रि पर भगवान श्रीराम की पूजा का क्या है महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को रामनवमी कहते हैं और मानते हैं इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म हुआ था इसीलिए यह पर्व रामनवमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
आंखों का दुश्मन ग्लूकोमा
ग्लूकोमा एक नेत्र रोग है, जो आंख के अंदर के द्वव्य का दबाव बढ़ने से होता है । इलाज न करवाने पर इंसान अंधा भी हो सकता है।
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गर्भावस्था के दौरान दांतों का रखें ऐसे ख्याल
गर्भावस्था के दौरान दांतों की समस्या गर्भवती महिला और उसके होने वाले बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था में दांतों की ख़ास देखभाल की जरूरत होती है।