सोलहवें वसंत ने जैसे ही सीमा दिवाकर को छुआ, उस के अंगप्रत्यंग मादकता से महक उठे. छरहरी होने के बावजूद उस के पुष्ट उन्नत उभार, पतली कमर और मांसल नितंब किसी की भी आंखों में चाहत की एक ज्योति जगा देते थे. इस संगमरमरी छवि के साथ ही उस की आंखों का कातिलाना अंदाज हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता था. उस का रूपरंग तो आकर्षक था, साथ ही उस का स्वभाव भी बड़ा मिलनसार था. उस का यही मोहक अंदाज हर किसी का मन मोह लेता था. नाम भले ही उस का सीमा था, लेकिन वह चाहने वालों को सीमा रेखा पार नहीं करने देती थी.
सीमा के पिता नरेश कुमार दिवाकर फतेहपुर जनपद के मलवां थाना क्षेत्र के अस्ता गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी विमला के अलावा 2 बेटे अजय कुमार, विजय कुमार तथा एक बेटी सीमा थी. नरेश कुमार किसान थे. खेतीबाड़ी से ही वह परिवार का भरणपोषण करते थे. किसानी के काम में दोनों बेटे भी उन की मदद करते थे.
सीमा दोनों भाइयों से छोटी थी. इसलिए घर वालों की दुलारी थी. घर वाले उस की हर जिद पूरी करते थे. सीमा पढ़ने में भी तेज थी. हाईस्कूल पास करने के बाद उस ने ब्यूटीशियन का भी कोर्स किया था.
खूबसूरत सीमा ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो अन्य लड़कियों की तरह वह भी राजकुमार सरीखे जीवनसाथी के सपने देखने लगी. वह पढ़ीलिखी व खूबसूरत थी, लेकिन अहंकार या घमंड से वह कोसों दूर थी. हर किसी से घुलमिल कर और हंसहंस कर बातें करना उस के स्वभाव में शामिल था.
नरेश दिवाकर चाहते थे कि सीमा पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो जाए तो वह उस की शादी कर दें, लेकिन उन की पत्नी विमला उसे आगे नहीं पढ़ाना चाहती थी. वह उस का विवाह कर ससुराल भेजना चाहती थी.
पत्नी की जिद के आगे नरेश को झुकना पड़ा और वह उस के लिए कोई सही लड़का देखने लगा. आखिर उन की तलाश मनोज दिवाकर पर जा कर खत्म हुई.
मनोज के पिता कन्हैया लाल दिवाकर कानपुर जनपद के कुरथा गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी सुनीता के अलावा एक बेटी रजनी तथा बेटा मनोज था. रजनी की वह शादी कर चुके थे, लेकिन बेटा मनोज अभी कुंवारा था. मनोज पढ़ालिखा नवयुवक था और वह सूरत (गुजरात) में किसी कपड़ा फैक्ट्री में काम करता था. कन्हैया लाल की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.
Esta historia es de la edición October 2023 de Manohar Kahaniyan.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 8500 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición October 2023 de Manohar Kahaniyan.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 8500 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
राजा की मोहब्बत का साइड इफेक्ट
इंदौर के राजा तुकोजीराव होल्कर ने नर्तकी मुमताज से विवाह जरूर कर लिया था, लेकिन मुमताज उन्हें छोड़ कर चली गई और मुंबई के व्यवसाई अब्दुल कादिर बावला के साथ रहने लगी. इसी दौरान ऐसा क्या हुआ कि कादिर बावला का मर्डर हो गया और राजा होल्कर को भारत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा?
अपनी मौत की खूनी स्क्रिप्ट
विक्रांत वर्मा ने खुद को मरा दिखाने के लिए एक अनजान व्यक्ति को छक कर शराब पिलाई. फिर अपने बकरी फार्म में उसे जिंदा जला दिया. ताज्जुब की बात यह कि रमेश वर्मा ने भी उस लाश की शिनाख्त अपने बेटे विक्रांत वर्मा के रूप में कर ली. आखिर विक्रांत ने क्यों लिखी अपनी ही मौत की यह खूनी स्क्रिप्ट?
राघव मगुंटा रेड्डी को मिला वफादारी का इनाम
शराब किंग के नाम से मशहूर सांसद श्रीनिवासुलु रेड्डी का बेटा राघव मगुंटा रेड्डी दिल्ली शराब घोटाले में आरोपी था. ईडी ने उसे अपने शिकंजे में ले लिया था. फिर ईडी की जांच के दौरान ही ऐसा क्या हुआ कि राघव इस मामले कि राघव इस मामले में खलनायक से नायक बन गया?
एसआई भरती घोटाला वरदी उतरी, रौब गया मिली जेल
टीचर भरती में धांधली के बाद राजस्थान में फरजीवाड़ा कर नौकरी कर रहे थानेदारों की धड़ाधड़ गिरफ्तारी से तब हड़कंप मच गया, जब 10 साल बाद उन की परीक्षा के पेपर लीक की पोल खुली. 3 दरजन से अधिक थानेदारों की वरदी उतर गई, जेल हुई और 300 से अधिक जांच एजेंसी के रडार पर आ गए. आप भी जानें कि आखिर कैसे चला यह गोरखधंधा?
खलनायक से नायक बना विजय नायर
विजय नायर का आम आदमी पार्टी से गहरा लगाव रहा है. वह पार्टी के लिए फंड की व्यवस्था करता था. कथित शराब घोटाले में उस का नाम खलनायक के रूप में उभरा तो सभी चौंक गए. तभी ईडी ने उसे कौन सी घुट्टी पिलाई कि वह खलनायक से नायक बन गया.
ईडी और सीबीआई के निशाने पर विपक्ष ही क्यों
केंद्रीय जांच एजेंसियों को 'पिंजरे का तोता' बना कर रखने के आरोप पूर्व सरकार पर लगते रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार ने तो इन एजेंसियों को अपना सियासी हित साधने का जरिया ही बना लिया है.. ताज्जुब की बात यह है कि विपक्षी पार्टियों के दागदार नेता बीजेपी की वाशिंग मशीन में जाते ही पाकसाफ हो रहे हैं. आखिर कैसे?
चंदे का धंधा 'इलेक्टोरल बौंड' क्यों फैला यह वायरस
केंद्र सरकार ने चुनावी फंड इकट्ठा करने के लिए इलेक्टोरल बौंड नाम का वायरस पैदा किया. इस का सब से ज्यादा फायदा बीजेपी को ही हुआ, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस वायरस पर ऐसा हथौड़ा चलाया कि....
साइबर ठगी का नया तरीका औनलाइन अरेस्टिंग
साइबर ठगों ने अब नए तरीके से उच्चशिक्षित लोगों को ठगना शुरू कर दिया है. वह पहले एक योजना के तहत शिकार को औनलाइन अरेस्ट कर लेते हैं. इस के बाद शिकार खुद ठगों के खातों में लाखों रुपए बड़ी आसानी से ट्रांसफर कर देता है. आप भी जानें कि क्या है औनलाइन अरेस्टिंग और इस से कैसे बचा जा सकता है?
सैंटियागो मार्टिन दिहाड़ी मजदूर से कैसे बना लौटरी किंग
सोशल मीडिया पर आजकल एक नाम बहुत ज्यादा वायरल हो रहा है और वह है लौटरी किंग सैंटियागो मार्टिन का. सब से अधिक चुनावी बौंड खरीदने वाला एक दिहाड़ी मजदूर मार्टिन आखिर कैसे बना लौटरी किंग?
दिल्ली शराब घोटाला पलटते गवाहों के दम पर गिरफ्तारियां क्यों
पिछले सवा साल से भाजपा दिल्ली शराब घोटाले का राग अलाप रही है. सीबीआई और ईडी भी इस मामले की जांच में जुटी हुई हैं, लेकिन वह अभी तक यह पता नहीं लगा पाई हैं कि घोटाला कितने रुपए का हुआ और घोटाले का पैसा किस खाते से आया, किस खाते में गया. गिरगिट की तरह रंग बदलते गवाहों के बयानों पर आखिर क्यों हो रही हैं धड़ाधड़ गिरफ्तारियां?