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खरीफ तिलहन फसलों में खाद प्रबन्धन

Modern Kheti - Hindi

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15th June 2023

डॉ. अमित कुमार, डॉ. जसबीर सिंह एवं डॉ. दीपक कुमार

खरीफ तिलहन फसलों में खाद प्रबन्धन

भारत विश्व में खाद्य तेलों के बड़े उत्पादक तथा उपभोक्ता देशों में से एक हैं। आदिकाल से ही तिलहनी फसलों एवं भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। खाद्य तेलों की आर्थिक दुनिया में भारत का एक स्थान संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन व ब्राजील के बाद चौथा सबसे बड़ा खाद्य तेल आर्थिक शक्ति के रूप में हैं। भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से तिलहनी फसलें अनाज वाली फसलों के बाद दूसरा महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। जलवायु की विभिन्नता के कारण भारत में कई तिलहनी फसलें ऊगाई जाती हैं। खरीफ तिलहनी फसलों में सोयाबीन, मूँगफली, तिल व अरण्ड इत्यादि मुख्य हैं। खरीफ तिलहन फसलों का उत्पादन वनस्पति तेल एवं औद्योगिक प्रयोग के लिए किया जाता है। तेल के उपयोग के आधार पर इनको 2 भागों में बाँटा गया है : (1) खाद्य तेल-जिसमें मूँगफली एवं सोयाबीन शामिल हैं। (2) गैर खाद्य तेल या औद्योगिक तेल-जिसमें मुख्यता अरण्ड शामिल हैं। भारत में प्रतिवर्ष लगभग 16.8 लाख मीट्रिक टन खाद्य तेल का आयात किया जाता है। भारत में प्रति व्यक्ति खाद्य तेल का सेवन बढ़कर 18 किलो तक पहुँच गया है जो अभी भी दुनिया की प्रति व्यक्ति खाद्य तेल सेवन की औसत का 24.7 किलो से कम है।

भारत में उत्पादित की जाने वाली विभिन्न खरीफ तिलहन फसलों का फसलवार क्षेत्रफल, उत्पादन एवं उत्पादकता का विवरण निम्नवत् है:-

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