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बूँद-बूंद सिंचाई फसलों के लिए वरदान

Modern Kheti - Hindi

|

1st August 2022

ड्रिप इरीगेशन

- जयपाल, संतोष कुमारी व दिनेश कुमार

बूँद-बूंद सिंचाई फसलों के लिए वरदान

बूँद-बूँद सिंचाई द्वारा पौधों को उनकी आयु, फैलाव, किस्म, फलन, भूमि के प्रकार व जलवायु को ध्यान में रखकर पौधों की वास्तविक जल माँग के अनुरूप जल स्त्रोत से पानी सीधा पौधे के जड़ क्षेत्र में पहुँचाया जाता है। जो पूर्ण रूप से नियंत्रित अवस्था में रहता है। यह पद्धति मुख्यतः कृषि के क्षेत्र में नई क्रान्ति ला सकती है। विश्व के कुछ विकसित देशों में जहाँ इस प्रणाली से 50-60 प्रतिशत भूमि पर सिंचाई की जाती है। वहीं भारत वर्ष में इस प्रणाली का उपयोग नहीं (11.5 प्रतिशत) के बराबर है। इस प्रणाली से सिंचाई करने पर अन्य सिंचाई विधियों की अपेक्षा 60-70 प्रतिशत तक पानी की बचत कर शुष्क अर्द्धशुष्क, ऊँची-नीची भूमियों एवं पर्वतीय क्षेत्रों में भी बहुत प्रभावी सिंचाई की जा सकती है। आवश्यकता पड़ने पर सिंचाई जल के साथ पोषक तत्व (तरल खाद एवं उर्वरक) व कीटनाशी दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है। यह सिंचाई पद्धति बागानों (उद्यानों) में तो विशेष महत्व रखती है। साथ ही साथ सभी प्रकार की फसलों में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।

बूँद-बूंद सिंचाई पद्धति की संरचना : बूँदबूँद सिंचाई पद्धति में जल स्त्रोत से आने वाले पानी को प्रारम्भिक तथा द्वितीयक फिल्टर द्वारा फिल्टर करने के बाद मुख्य पाइप लाइन से होता हुआ उपनाली के माध्यम से लेटरल पाइपों पर लगे ड्रिपरों द्वारा पौधों के जड़ क्षेत्र में बूँद-बूँद करके दिया जाता है, जिससे पानी बिना किसी नुकसान के सीधा जड़ क्षेत्र में पहुँच जाता है।

1. मुख्य अंग :

1. पम्प : पम्प का कार्य नलकूप व कुँए से पानी निकालना होता है। पम्प की क्षमता जल स्तर की गहराई व पानी की आवश्यकता पर निर्भर करती है। सिंचाई का सम्पूर्ण तन्त्र पम्प की क्षमता के आधार पर बनाया जाता है। आवश्यकता से अधिक डिसचार्ज देने वाले पम्प का पानी दूसरे तरीके से भी सिंचाई हेतु प्रयोग कर सकते हैं तथा पुनः नलकूप में भी छोड़ा जा सकता है।

2. जल संग्रहण टैंक : आवश्यकता से अतिरिक्त पानी के रखने हेतु या नलकूप नहीं होने पर जल संग्रहण टैंक की आवश्यकता पड़ती है। जल संग्रहण टैंक खेत में सबसे ऊँचे स्थान पर बनाया जाता है जिससे सम्पूर्ण खेत में सिंचाई की जा सके।

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