भारतीय संस्कृति के प्रतीक संत रविदास
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|February 2020
संत रविदास जी राम और खुदा में, कृष्ण और करीम में, वेद और कुरआन में कोई भेद नहीं मानते। रविदास जी कहते है कि मुसलमान और हिन्दू दोनों से मिलता और प्रेम करना चाहिए क्योंकि सभी परमात्मा की ज्योति से उत्पन्न हुए है।
संत रविदास निगुर्ण भक्ति धारा, के प्रभुभक्त, साथक, सामाजिक एकता, मानववादी तथा सर्व-धर्म समभाव के तपरवी महापुरुष थे। वे मध्यकालीन संतों में श्रेष्ठ साधक संत थे। जिन्होंने सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध की तरह 'सब्बे सत्तासुखी होन्तु' जैसे राज-समाज की कल्पना की, जिसमें छोटे-बड़े, ऊंच-नीच, ब्राह्मण-शूद्र सभी एक समान रूप से निवास करें। उनमें कोई भेदभ
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संत रविदास जी राम और खुदा में, कृष्ण और करीम में, वेद और कुरआन में कोई भेद नहीं मानते। रविदास जी कहते है कि मुसलमान और हिन्दू दोनों से मिलता और प्रेम करना चाहिए क्योंकि सभी परमात्मा की ज्योति से उत्पन्न हुए है।
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