Samay Patrika - December 2021
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समय पत्रिका के इस अंक में हमने चर्चित किताबों को स्थान दिया है। इनमें 'हौसले की ऊँची उड़ान', 'एक आइएएस एस्पीरेंट की रोमांचक सक्सेस स्टोरी', 'उलटी गिनती', 'गंगापुत्र भीष्म', '123किमी.', 'इतना तो याद है मुझे' आदि की चर्चा की है।
सुरेंद्र मोहन का उपन्यास 'हौसले की ऊँची उड़ान' बेहद रोचक और प्रेरणादायक पुस्तक है जिसे युवाओं को जरुर पढ़ना चाहिए। वहीं पीयूष रोहनकर की पुस्तक भी उत्साहित करती है।
बॉबी सिंह की पुस्तक 'इतना तो याद है मुझे' में सत्यजीत रे, बिमल रॉय, गुलज़ार, दिलीप कुमार, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, शम्मी कपूर, देवानंद, हृषिकेश मुखर्जी, अमिताभ बच्चन, मीना कुमारी आदि की अनसुनी-अनकही बातें हैं।
वहीं महान निवेशक वॉरेन बफ़ेट की पूर्व पुत्रवधु मैरी बफ़ेट द्वारा लिखित पुस्तक 'बफ़ेटोलॉजी' में उन्होंने बफ़ेट के निवेश के रहस्यों को उजागर किया है। डॉ. मृदुला दाढे-जोशी द्वारा लिखित पुस्तक 'रहें न रहे हम' में हिंदी फिल्म संगीत के अमर गीतों की दास्तान को दिलचस्प अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है। देवदत्त पट्टनायक की नई किताब 'भारतवर्ष के 32 तीर्थ स्थल' राष्ट्र के निर्माण की तीन सहस्राब्दियों की यात्रा है।
प्रभात प्रकाशन ने विश्व के सबसे महान् और शानदार आधुनिक आविष्कारकों में से एक एलन मस्क पर तीन पुस्तकें प्रकाशित की हैं —''एलन मस्क की बायोग्राफी', 'एलन मस्क के सक्सेस सीक्रेट्स' और 'एलन मस्क के प्रेरक विचार'। ये प्रेरणादायक पुस्तकें हमें सफलता,
दृढ़-इच्छाशक्ति, विश्वास, दूरदर्शी सोच के बारे में विस्तार से बताती हैं।
साथ में नई किताबों की चर्चा।
अनकही-अनसुनी फिल्मी बातें
फिल्मों की तरह उनसे जुड़ी कहानियाँ भी कम फिल्मी नहीं होतीं। 'इतना तो याद है मुझे' प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित ऐसी पस्तक है जो हमें फिल्मी दनिया के ऐसे किस्से और कहानियों से अवगत कराती है जिन्हें जानकर हम हैरान हो सकते हैं। फिल्मी जगत से जुड़ी ऐसी बातें भी इस किताब का हिस्सा हैं जिनसे पर्दे के आगे और पीछे की दिलचस्प दुनिया के अलग-अलग रंगों का पता चलता है।
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संघर्ष, सफलता और प्रेरणा
हौसले की ऊँची उड़ान
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नई किताबें
इन दिनों पढ़ें कुछ खास किताबें
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किताबें पढ़ना, लिखने से ज्यादा जरूरी है
पिछले दिनों प्रवीण कुमार की किताब 'डार्विन जस्टिस' फ्लाई ड्रीम्स प्रकाशन से प्रकाशित हुई। इस किताब को पाठकों ने किताब के आकर्षक कवर के साथ-साथ इसकी कहानी को लेकर भी खूब सराहा। आइये लेखक प्रवीण कुमार से इस किताब के बारे में जानते हैं...
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रोमांचक सक्सेस स्टोरी
जीवन को देखने का पीयूष का नजरिया कुछ ऐसा है कि आप उन्हें पढ़ते चले जाते हैं। जीवन के सबसे बेरंग अनुभवों में कल्पना के रंग भरना एक कला है और हमारा लेखक निश्चित रूप से एक कलाकार है
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गंगापुत्र भीष्म
प्रभात प्रकाशन जहां विभिन्न विषयों पर विद्वान लेखकों की पुस्तकों का प्रकाशन कर रहा है वहीं भारतीय सांस्कृतिक इतिहास के महान नायकों के जीवन चरित्र को पाठकों के सम्मुख प्रमुखता से प्रस्तुत करने वाले लेखकों की पुस्तकों की लंबी श्रृंखला जारी रखे है। इसी श्रृंखला में महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण पात्र यानी कौरवपांडव दोनों पक्षों के पितामह भीष्म की जीवन यात्रा पर प्रख्यात लेखक अंकुर मिश्रा की 'गंगापुत्र भीष्म' पुस्तक प्रकाशित की है।
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भारतीय सेना के अदम्य साहस की कहानियाँ
भारतीय सेना के प्रशंसकों के लिए यह सर्वोत्तम और पठनीय पुस्तक है। क्या आपने कभी सोचा है कि एक सैनिक का जीवन कैसा होता है? भारत के जाँबाज'भारतीय सेना के सबसे जाने-माने अधिकारियों में से एक की ओर से किया गया बेहद अनूठा वर्णन है। पुस्तक में जान की बाजी लगानेवाले अभियानों और साहसिक सर्जिकल स्ट्राइक की हैरतअंगेज कहानियाँ हैं। जंग लड़नेवाले सैनिक कितने कठोर प्रशिक्षण से गुजरते हैं; एल.ओ.सी. पर जीवन कैसा होता है, और कैसे होते हैं वे जवान, जो अपने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हैं-इनका अत्यंत प्रेरक और रोचक विवरण इस पुस्तक में प्रस्तुत है। इस पुस्तक में आप भारतीय सेना और हमारे शूरवीर जवानों को इतना करीब से देखेंगे जितना पहले कभी नहीं देखा होगा। भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस, अप्रतिम त्याग-समर्पण और अद्भुत जिजीविषा का सजीव वर्णन करती पुस्तक, जो हर भारतीय को राष्ट्रप्रेम के लिए प्रेरित करेगी।
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झाँसी की वीरांगना
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भारतवर्ष के सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की नेत्री थीं। झाँसी के कण-कण में रानी लक्ष्मीबाई का त्याग और शौर्य विद्यमान है। यद्यपि बुंदेलखंड में कई वीरांगनाएँ हुईं पर उनमें लक्ष्मीबाई आज भी भारतीय आकाश में नक्षत्र की भाँति देदीप्यमान हैं। उन्होंने उफनती बेतवा नदी को घोड़े पर पार करके, पार्श्ववर्ती राज्य ओरछा को पराजित कर, अंग्रेज लेफ्टनेंट डॉकर को घायल करके, सिंधिया के ग्वालियर पर विजय प्राप्त कर तथा युद्धों में अपनी तलवार से शत्रु के सैकड़ों सैनिकों को मारकर तथा घायल करके अपने अद्वतीय रणपराक्रम तथा रणनीतिक कौशल को स्थापित किया जो आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी सेना में सभी जातियों, धर्मों और कई देशों के सैनिकों तथा सेनानायकों को उनकी योग्यता के आधार पर शामिल किया गया। साथ-साथ उन्होंने स्थानीय महिलाओं को सैन्य रूप में संगठित करके नारी-शक्ति को बुलंद किया। उनका प्रशासन पूर्णतः विकेंद्रीकृत था। झाँसी राज्य की समृद्धि तथा राजकोषीय आय का उपयोग उन्होंने सन् 1857 की क्रांति के पृष्ठपोषण में किया। विश्व इतिहास में लक्ष्मीबाई सैन्य नेत्रियों में अग्रणी हैं। ऐसी विश्वनेत्री का व्यक्तित्व एवं कृतित्व भारत की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रखने हेतु भारतीयों के लिए अजस्र प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक हैं।
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Samay Patrika Magazine Description:
Editor: Samay Patrika
Categoría: Fiction
Idioma: Hindi
Frecuencia: Monthly
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