विधानसभा-1
मेहमान और नेता के मुकाबले में था बेटा...
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 में चुनाव सबसे ज्यादा रोचक रहा है। यह एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जिस पर पूरे शहर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की नजर टिकी हुई है। कांग्रेस की ओर से अपने विधायक संजय शुक्ला को मैदान में उतारा गया जबकि भाजपा की ओर से राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय मैदान में उतरे। विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 के निवासी विजयवर्गीय जब चुनाव लड़ने के लिए इस क्षेत्र में गए तो कांग्रेस ने शुरुआत में ही उन्हें मेहमान का दर्जा दे दिया। फिर विजयवर्गीय के विवादित बयानों ने उन्हें नेता के रूप में सामने रख दिया। इस पूरे चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी आपका भाई आपका बेटा बन कर सामने रहे। इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा 18 साल की भाजपा की सरकार और 13 साल तक भाजपा के विधायक होने के बावजूद क्षेत्र का विकास भाजपा द्वारा नहीं किए जाने का रहा। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस की ओर से बहुत तीर चलाए गए। भाजपा प्रत्याशी ने 5 साल में इस विधानसभा क्षेत्र को विकास में नंबर एक बनाने का वादा कर वोट पाने की कोशिश की।
■ इस विधानसभा क्षेत्र के चुनाव को अनाप-शनाप खर्च वाले चुनाव के रूप में पहचाना जा रहा है।
■ चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में यह आरोप लगा कि भाजपा प्रत्याशी की ओर से क्षेत्र में साड़ी, कंबल, बर्तन, शराब, बाइक बांटी गई है।
■ जिला निर्वाचन कार्यालय के पास सबसे ज्यादा शिकायत इस विधानसभा क्षेत्र को लेकर ही आई।
■ मतदान के एक दिन पहले एरोड्रम थाने पर दोनों दलों के कार्यकर्ता छेड़छाड़ के मामले को लेकर आमने-सामने हो गए।
■ इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की ओर से क्षेत्र को गुंडागर्दी और चंदाखोरी से मुक्त रखने के लिए भी वोट मांगे गए।
■ भाजपा प्रत्याशी की जीत को सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इस विधानसभा क्षेत्र में ही रोड शो किया गया। यह एक अलग बात है कि रोड शो की जीप में प्रधानमंत्री के द्वारा अपने साथ अपनी पार्टी के प्रत्याशी को नहीं बैठाया गया।
विधानसभा-2
आंख फोड देने और जमीन में गाढ़ देने तक पहुंचा चुनाव
Diese Geschichte stammt aus der 22 November 2023-Ausgabe von Rising Indore.
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यूपी: मुद्दे दरकिनार...शहजादे-शहंशाह और आरक्षण पर रार, पहले जोर-शोर से उठे ये मुद्दे, फिर जुबानी जंग पर बढ़ा जोर
शाहजा... शहर शाह... मंगलसूत्र... आरक्षण... झूठ की मशीन...। कुछ इस तरह के विशेषणों के इर्द-गिर्द चुनाव सिमटता जा रहा है। पहले चरण में जहां पार्टियों ने अपने घोषणापत्रों के जरिये जनता के मुद्दे उठाए, वहीं चुनावी रथ के तीसरे चरण में पहुंचते ही जुबानी जंग शबाब पर पहुंच गई। इन सबके बीच जनता के मुद्दे दरकिनार हो गए हैं।