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|September 15, 2025
ट्रम्प के 50 प्रतिशत टैरिफ ऐलान के साथ ही मोदी सरकार की विदेश नीति क्यों औंधे मुंह गिरी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुआई वाली केंद्र सरकार विदेश नीति के मोर्चे पर अपनी कामयाबी का डंका पीटकर घरेलू राजनीति में अपनी ताकत ठोस राष्ट्रवादी के नाते बढ़ाती रही है। यह छवि प्रचारित हुई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक ताकतों के विशाल आकाश में विराजमान हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जैसे शक्तिशाली नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं। 2015 में, जब ओबामा राष्ट्रपति थे और गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में भारत आए थे, तो मोदी ने कूटनीतिक प्रोटोकॉल तोड़कर उन्हें उनके पहले नाम बराक से संबोधित किया था। जबकि ओबामा ने बदले में औपचारिक कूटनीतिक और थोड़े अलग अंदाज में मिस्टर प्राइम मिनिस्टर कहा था।
हालांकि कई दक्षिणपंथी लोकप्रिय नेताओं के विपरीत, मोदी अपने अंतरराष्ट्रीय बयानों में सावधानी बरतते रहे हैं और संयमित स्वर में बोलने की पूरी कोशिश करते रहे हैं। मसलन, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के वर्ष में उनके इस बयान को देखें कि "यह युद्ध का समय नहीं है।" इसे प्रबुद्ध बुजुर्ग राजनेता के विश्व की स्थिति पर प्रवचन देने के उदाहरण की तरह देखा गया था। यह घरेलू मोर्चे पर उनके अधिक कठोर बयानों के विपरीत है, जब उन्होंने 2019 में सुझाव दिया था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने वालों की पहचान उनके कपड़ों से की जा सकती है, जिससे उनकी धार्मिक पहचान का संकेत मिलता है।
विदेश नीति के मोर्चे पर कथित सफलता का एक घटक मोदी की विदेश यात्राओं का सिलसिला रहा है, जहां उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत को स्थापित करने के उद्देश्य की भावना व्यक्त की है। इस सफलता का बड़ा हिस्सा विदेश मंत्री एस. जयशंकर से जुड़ा है, जो पेशेवर राजनयिक हैं और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की भाषा कुशलता से बोल सकते हैं, साथ ही मोदी शासन के कुछ विशिष्ट नीतिगत तत्वों को भी व्यक्त करने की क्षमता रखते हैं। स्लोवाकिया में ग्लोबसेक 2022 फोरम में जब जयशंकर से यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर भारत की स्थिति के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यूरोप को अपनी समस्याओं को दुनिया की समस्याओं के रूप में देखना बंद कर देना चाहिए।
मोदी की विदेश नीति के तीन विरोधाभास
Diese Geschichte stammt aus der September 15, 2025-Ausgabe von Outlook Hindi.
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