भाजपा के राजनीतिक करिश्मे के कर्णधार अटल बिहारी वाजपेयी
Open Eye News|April 2024
पूर्व सांसद एवं पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाजपा देश में जनसंघ का पहला अपना निजी कार्यालय जो ग्वालियर में बना था, उसमें रहता था, मैं भी स्वर्गीय शेजवलकर जी के साथ बैठक में बतौर पत्रकार चला गया।
प्रभात झा
भाजपा के राजनीतिक करिश्मे के कर्णधार अटल बिहारी वाजपेयी

बैठक प्रारंभ हुई, पहले आडवाणीजी ने जनता पार्टी से उत्पन्न सभी बातें रखीं। उन्होंने कहा कि दोहरी सदस्यता के नाम जनता पार्टी के अन्य घटक हमें संघ के स्वयं सेवक नहीं रहने और उनके कार्यक्रमों के साथ-साथ संघ की सदस्यता छोड़ने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने और अटलजी ने जनता पार्टी के नेताओं को बहुत समझाने की कोशिश की और कहा कि संघ में सदस्यता नहीं होती है संघ से हमारा वैचारिक संबंध है। लेकिन जनता पार्टी नेताओं और अन्य घटकों को यह बात समझ में नहीं आई। वहां उपस्थित सर्वश्री जगन्नाथ राव जोशी, भैरो सिंह शेखावत, सुंदर सिंह भंडारी, केदारनाथ साहनी, डॉ मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार, विजय कुमार मल्होत्रा, कुशाभाऊ ठाकरे, जे.पी. माथुर, कैलाशपति मिश्र, उत्तम राव पाटिल, विष्णुकांत शास्त्री, ओ. राजगोपाल, यज्ञदत्त शर्मा, मदनलाल खुराना, अश्विनी कुमार, केशुभाई पटेल, यदुरप्पा जी सहित देश के सौ सवा सौ से अधिक नेताओं ने एक साथ कहा कि हम सबसे पहले स्वयंसेवक हैं और संघ से हमारा नाता मरणोंपरांत भी नहीं छूट सकता, इसके लिए भले ही जनता पार्टी छोड़ना पड़े। अंत में सभी की भावना सुनकर अटलजी भाव विभोर हो गए और उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं और सदैव रहेंगे। लेकिन अब जनता पार्टी के सदस्य नहीं रहेंगे। उपस्थित सभी नेताओं ने अटल जी की बात सुनकर तालियां बजाई और एक स्वर से कहा कि हमने जनसंघ राजनैतिक दल जनता पार्टी में मिलाया था, पर जनसंघ के कार्यकर्ता तो आज भी गांव-गांव में हैं। जनसंघ के कार्यकर्ताओं और संघ के सहयोग के कारण ही जनता पार्टी को देश में इतनी सीटें सन 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद मिली। बैठक में एक समिति सुंदर सिंह भंडारी की अध्यक्षता में बनाई गई, और इस समिति को नया दल, नया चुनाव चिन्ह और नया संविधान बनाने का कार्य सौंपा गया।

Diese Geschichte stammt aus der April 2024-Ausgabe von Open Eye News.

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