ओबीसी वोट बैंक को लुभाने में जुटीं भाजपा और आजसू
DASTAKTIMES|November 2022
आजसू बिहार की तरह राज्य में भी जातीय जनगणना की मांग कर रही है। आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो का यह भी कहना है कि सरकार को ओबीसी के आरक्षण की सीमा बढ़ाने से पहले जातीय जनगणना कराना चाहिए था | पंचायत चुनाव की तरह राज्य के ओबीसी समुदाय नगर निकाय चुनाव में आरक्षण के लाभ से वंचित न रह जाए।
उदय चौहान
ओबीसी वोट बैंक को लुभाने में जुटीं भाजपा और आजसू

झारखंड में भाजपा और आजसू को नए मुद्दे की तलाश है। 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति तथा ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण लागू कर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आजसू से और भाजपा से दोनों बड़े मुद्दे छीन लिए, जिसके बाद दोनों पार्टियां कोई और मुद्दे पर फोकस कर रही हैं। कुछ अन्य संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। खतियान आधारित स्थानीय नीति तथा ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करना आजसू पार्टी का बड़ा मुद्दा था। पार्टी इन दोनों के आधार पर पर अपनी राजनीति करती रही है। अब यह पार्टी जातीय जनगणना और निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण का बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास कर रही है। इन दोनों विषयों पर राज्य सरकार ने अभी तक कोई पहल नहीं की है। इसका लाभ उठाते हुए आजसू इन दोनों मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के प्रयास में है। आजसू बिहार की तरह राज्य में भी जातीय जनगणना की मांग कर रही है।

आजसू पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो का यह भी कहना है कि सरकार को ओबीसी के आरक्षण की सीमा बढ़ाने से पहले जातीय जनगणना कराना चाहिए था। पंचायत चुनाव की तरह राज्य के ओबीसी समुदाय नगर निकाय चुनाव में आरक्षण के लाभ से वंचित न रह जाए।

Diese Geschichte stammt aus der November 2022-Ausgabe von DASTAKTIMES.

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