घर के अंदर का वायु प्रदूषण आज हमारी जिंदगी में एक जहर की तरह शामिल हो गया है। शायद आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि भारत में हर साल लगभग 13 लाख मौतों का कारण वायु प्रदूषण है। हमें लगता है कि घर के अंदर होने से हम प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव से बचे हुए हैं, जबकि सच्चाई यह है कि भारत जैसे देश में, जहां घर के अंदर खाना पकाने से लेकर हानिकारक रसायनों और अन्य सामग्रियों के कारण हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है, यह आपके और आपके परिवार के लिए बाहरी वायु प्रदूषण की तुलना में 10 गुना अधिक घातक सिद्ध हो सकता है। वायु प्रदूषण लाखों बच्चों की जानें ले रहा है। आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि छह अरब से अधिक लोग इतनी प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया है। इसमें एक-तिहाई संख्या तो केवल बच्चों की ही है।
क्या कहते हैं दुनिया-भर के आंकड़े अगर 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' के आंकडों पर गौर किया जाए तो दुनिया में 10 में से एक बच्चे की मौत वायु प्रदूषण की वजह से हो रही है। यूनिसेफ के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली बीमारियों और इंफेक्शन के चलते दुनिया-भर में हर साल 5 साल से कम उम्र के करीब छह लाख बच्चों की मौत हो जाती है। जरा सोचिए, कितना खतरनाक है हमारे बच्चों के लिए वायु प्रदूषण।
वायु प्रदूषण का असर बच्चों पर ज्यादा क्यों?
Diese Geschichte stammt aus der May 2024-Ausgabe von Sadhana Path.
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