يحاول ذهب - حر
साथ तो आ गए चलेंगे कहां तक?
July 2023
|DASTAKTIMES
दरअसल, ताजा राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए बीते नौ वर्षों से केन्द्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ पटना से विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद शुरू हुई। इसके तहत बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने भाजपा के खिलाफ विभिन्न प्रांतों के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का बीड़ा उठाया। नीतीश इस कवायद में खासे सफल भी रहे और उन्होंने पटना में एक साथ 15 दलों के 27 नेताओं को एकसाथ बैठा दिया।
 इसी पटना की धरती पर 49 साल पहले 5 जून 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था। तब उन्होंने कहा था कि 'सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबेकुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है।' वास्तव में उस दौर में कांग्रेस केन्द्रीय सत्ता में ही नहीं, देश के लगभग सभी राज्यों में सत्तारुढ़ थी। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की नीतियों के खिलाफ ही देश के तमाम दल एक छत और एक मंच पर आये थे। वहीं, बिहार से उठे जेपी के संपूर्ण क्रांति के नारे का असर पूरे देश में देखने को मिला था। दिलचस्प बात यह है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक जेपी के 1974 आंदोलन के ही उपज हैं। लालू प्रसाद यादव ने तो जेपी की संपूर्ण क्रांति को ही अपना सियासी शस्त्र बनाया और उसे जमीन पर भी लागू किया। मरहूम राम विलास पासवान, सुशील कुमार मोदी, रवि शंकर प्रसाद सरीखे राजनेताओं की लंबी फेहरिस्त है, जो आज सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे। यह तो हुई इतिहास की बात लेकिन अब 49 साल बाद एक बार फिर पटना और बिहार चर्चा में है। दरअसल, ताजा राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए नौ वर्षों से केन्द्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ पटना से विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद शुरू हुई। इसके तहत बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने भाजपा के खिलाफ विभिन्न प्रांतों के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का बीड़ा उठाया। नीतीश इस कवायद में खासे सफल भी रहे और उन्होंने पटना में एक साथ 15 दलों के 27 नेताओं को एकसाथ बैठा दिया।
هذه القصة من طبعة July 2023 من DASTAKTIMES.
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