Modern Kheti - Hindi - 1st August 2023Add to Favorites

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सरकार ने उत्तरी राज्यों के लिए फसल अवशेष प्रबंधन दिशा-निर्देशों में किया संशोधन

केंद्र ने कहा कि उसने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के लिए फसल अवशेष प्रबंधन दिशा-निर्देशों को संशोधित किया है, ताकि इन राज्यों में पराली जलाने की चुनौती से निपटने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिल सके।

सरकार ने उत्तरी राज्यों के लिए फसल अवशेष प्रबंधन दिशा-निर्देशों में किया संशोधन

1 min

कीटनाशकों का अधिक प्रयोग कर रहा है पानी के स्रोतों को दूषित

दुनिया भर में हर साल खेतों में करीब 30 लाख टन कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इसमें से करीब 70,000 टन कीटनाशक जमीन के अंदर रिसकर भूजल में मिल रहा है जो जमीन के अंदर मौजूद पानी को भी जहरीला बना रहा है।

कीटनाशकों का अधिक प्रयोग कर रहा है पानी के स्रोतों को दूषित

3 mins

शूगर रोग पर नियंत्रण करेंगे चावल

वैज्ञानिकों ने पाया है कि भारत के सुदूर पूर्वोत्तर में उगाई जाने वाली सुगंधित चावल की किस्म, जिसे जोहा चावल के नाम से जाना जाता है, न केवल टाइप 2 मधुमेह को रोकती है, बल्कि अनसैचुरेटेड या असंतृप्त फैटी एसिड से भी भरपूर होती है, जो हृदय रोग के खिलाफ काम करती है।

शूगर रोग पर नियंत्रण करेंगे चावल

2 mins

ज्वार जलवायु चुनौतियों पर नियंत्रण करने के लिए गेहूं का विकल्प...

बढ़ती जलवायु चुनौतियों के सामने एक नए अध्ययन ने ज्वार को भारत में गेहूं के लचीले विकल्प के रूप में उजागर किया है। देश के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक के रूप में, भारत ने 2000 के दशक की शुरुआत से गेहूं उत्पादन में 40% की आश्चर्यजनक वृद्धि देखी है। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान ने गेहूं की गर्मी के प्रति संवेदनशीलता के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं, जिसके परिणामस्वरूप पानी की आवश्यकताएँ बढ़ गई हैं और पानी का पदचिह्न भी बढ़ गया है।

ज्वार जलवायु चुनौतियों पर नियंत्रण करने के लिए गेहूं का विकल्प...

2 mins

फसलों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम कैसे किया जाए?

एक अध्ययन के मुताबिक, दुनिया भर के कई इलाकों में फसल पैदावार के कम होने के खतरों को कम करके आंका गया है। अध्ययन में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि, जलवायु परिवर्तन हमारे खाद्य प्रणालियों पर भारी प्रभाव डाल रहा है।

फसलों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम कैसे किया जाए?

2 mins

महिला सशक्तिकरण से सुधरेगी फसली व्यवस्था

महिलाओं के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण कामयाबी के मुद्दों का समर्थन करने, एक स्वस्थ ग्रह से स्वस्थ आहार के प्रावधान के लिए कृषि उत्पादन और खाद्य प्रणाली के लचीलेपन के संदर्भ में महिला सशक्तिकरण पर विचार करने के प्रयासों को प्रोत्साहित करने की उम्मीद करते हैं।

महिला सशक्तिकरण से सुधरेगी फसली व्यवस्था

2 mins

जैविक खेती से गुणवत्तायुक्त उत्पादन लें

जैविक खेती मुख्यतः फसल चक्र, फसल अवशेष, पशु खाद, हरी खाद, प्रक्षेत्र खाद, कम्पोस्ट, जैव उर्वरक, केंचुए की खाद, मृदा आरक्षक फसलें, खलियां तथा कार्बनिक पदार्थों के प्रयोग पर स्थिर है तथा भूमि की उर्वरता को स्थिर रखने, वृद्धि पोषक तत्वों की पूर्ति करने तथा कीट व्याधियों एवं खरपतवारों के नियंत्रण के लिए जैव पीडक प्रणाली पर विश्वास रखती है।

जैविक खेती से गुणवत्तायुक्त उत्पादन लें

4 mins

टमाटर की उन्नत खेती

टमाटर के फलों पर जब लाल व पीले रंग की धारियां दिखने लगें, उस अवस्था में तोड़ लेना चाहिए व कमरे में रख कर पकाना चाहिए। अधपके टमाटरों को दूर स्थानों तक भेजा जा सकता है।

टमाटर की उन्नत खेती

5 mins

शहद की मक्खियों पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव

मधुमक्खी के लार्वा के बेहतर जीवित रहने और प्रभावी परागण के लिए श्रमिकों की पर्याप्त आबादी में परिपक्व होने के लिए गर्म तापमान आवश्यक है। समशीतोष्ण देशों में, जलवायु परिवर्तन के कारण शुरुआती बसंत में ठंडे झटके आते हैं जो कई विकासशील श्रमिक मधुमक्खियों को मारते हैं और उनकी आबादी के निर्माण में देरी का कारण बनते हैं।

शहद की मक्खियों पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव

4 mins

बीज से फसल तक कृषि में खोज ढंगों का योगदान

टिकाऊ कृषि की ओर जाने के अलावा, अच्छी क्वालिटी के बीजों की खोज करना भी आवश्यक है। बीज चयन खोज विधियों में शुद्धता फसल की संपूर्ण गुणवत्ता में सुधार करने में सहायता करेगी। इन खोज विधियों में विशेष गुणों वाले बीजों का ध्यान पूर्वक चयन एवं प्रजनन शामिल होता है जो फसलों की कार्यकारी, उत्पादन एवं स्थिरता को बढ़ाने में सहायता करते हैं।

बीज से फसल तक कृषि में खोज ढंगों का योगदान

4 mins

बेलगिरी फल-तथ्य व जानकारी

व बेलगिरी को बंगाली क्विंस/गोल्डन एप्पल/स्टोन एप्पल/वुड एप्पल के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम एजिल मारमिलोस है।

बेलगिरी फल-तथ्य व जानकारी

3 mins

बदलते भारतीय भोजन की तरफ: मीलेट्स की वापसी

मिलेट्स में पोषक तत्वों का अधिक मात्रा मौजूद होने के कारण इन्हें 'सुपर फूड' के रूप में जाना जाता है। इनमें प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन सी, विटामिन ए और विटामिन बी के अच्छे स्तर पाए जाते हैं। मिलेट्स का खाद्य संचार और पोषण में महत्वपूर्ण योगदान होता है।

बदलते भारतीय भोजन की तरफ: मीलेट्स की वापसी

8 mins

अच्छे उत्पादन हेतु समन्वित पादप पोषक तत्व प्रबंधन

धान व गेहूं के फसल चक्र में ढेंचे की हरी खाद का प्रयोग करें। फसल चक्र में परिवर्तन करें। उपलब्धता के आधार पर गोबर तथा कूड़ा करकट का कम्पोस्ट बनाकर प्रयोग किया जाये। खेत में फसल के अवशिष्ट जैविक पदार्थों को मिट्टी में मिला दिया जाये।

अच्छे उत्पादन हेतु समन्वित पादप पोषक तत्व प्रबंधन

2 mins

नींबू वर्गीय फसलों के रोग एवं उनकी रोकथाम

नींबू वर्गीय फल उष्ण उपोष्णकटिबंधीय देशों की महत्वपूर्ण फल फसल है। ये फल विटामिन सी, शर्करा, अमीनों अम्ल एवं अन्य पोषक तत्वों के सर्वोत्तम श्रोत होते हैं।

नींबू वर्गीय फसलों के रोग एवं उनकी रोकथाम

2 mins

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Modern Kheti - Hindi Magazine Description:

الناشرMehram Publications

فئةBusiness

لغةHindi

تكرارFortnightly

Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.

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