Uday India Hindi Magazine - August 22, 2021Add to Favorites

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August 22, 2021

स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ- संगठित समाज का साकार होता सपना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम आज देश ही नहीं, विश्व में किसी भी सामाजिक व्यक्ति के लिए अनसुना नाम नहीं है। सामाजिक-राजनीतिक सक्रियता रखने वाला कोई भी व्यक्ति संघ के विचारों से सहमत हो या असहमत, परंतु वह उसकी उपेक्षा नहीं कर सकता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरे विश्व में एक विशाल तथा शक्तिशाली हिंदू संगठन के रूप में उभरा है। स्वाभाविक ही है कि देश की स्वाधीनता की इस 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर देश में हुए सामाजिक पुनर्जागरण में उसके योगदान को स्मरण करने का यह सर्वोपयुक्त समय है।

स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ- संगठित समाज का साकार होता सपना

1 min

राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः बौद्धिक स्वराज की उपलब्धि का स्वर्णिम अवसर

किसी भी देश की सबसे बड़ी पूंजी उसके योग्य और सक्षम नागरिक ही होते हैं। चरित्र, ज्ञान और कौशल युक्त नागरिक ही योग्य और सक्षम कहे जाते हैं जो किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत अथवा सामूहिक चुनौती को अवसर में बदल डालते हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः बौद्धिक स्वराज की उपलब्धि का स्वर्णिम अवसर

1 min

खेल नीति से दिखने लगी मैदान में चमक

ओलंपिक के सवा सौ साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत ने सात पदक जीते हैं। एक अरब 40 करोड़ की जनसंख्या और दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश के लिए यह उपलब्धि कुछ खास नहीं है। लेकिन अतीत की ओर झांके तो यह उपलब्धि भी कम नहीं है। इसके पहले भारत ने लंदन ओलंपिक में छह पदक जीते थे।

खेल नीति से दिखने लगी मैदान में चमक

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बदलते भारत की तस्वीर को बयां करता टोक्यो ओलंपिक

बदलते भारत की तस्वीर कों बयां करता टोक्यो ओलंपिक 'पढोगे लिखोगे, बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे, होगे खराब' अक्सर घर में बड़े बुजुर्गों से इस वाक्य को आपने कई बार सुना होगा, क्योंकि पुराने समय में एक धारणा थी कि सिर्फ पढ़ाई करने से बच्चे का भविष्य सुधरता है। इसी कारण माता-पिता अपने बच्चों को खेल कूद से दूर रखते थे। लेकिन, अब जमाना बदल चुका है।

बदलते भारत की तस्वीर को बयां करता टोक्यो ओलंपिक

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समय है टॉप्स पे जाने का

हर चार साल बाद जब ओलंपिक का मौसम आता है तो ये सवाल अपने आप खड़ा हो जाता है कि हममें वह काबिलियत क्यों नहीं।

समय है टॉप्स पे जाने का

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खेलों में भी कॉरपोरेट कल्चर की आवश्यकता

टोक्यो ओलंपिक में पहली बार कुल सात पदक लाकर भारतीय खिलाड़ियों ने देश में यकायक एक नई खेल संस्कृति के पुष्पित और पल्लवित होने के शुभ संकेत दिए हैं। इस अति अभिनन्दनीय अभियान की खास बात यह रही कि कुछ मामलों में तो हमारे देश से प्रत्येक स्तर पर शक्तिशाली रूस, ब्रिटेन, और जर्मनी भी हम से पिछड़ गए। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।

खेलों में भी कॉरपोरेट कल्चर की आवश्यकता

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ओडिशा और हॉकी

पांच अगस्त को जब भारत ने टोक्यो ओलंपिक खेलों के पुरूष हॉकी में 41 वर्षों बाद पदक हासिल किया तो उसमें खिलाड़ियों के पसीने व परिश्रम की महक के साथ ओडिशा के योगदान का एक अंश भी शामिल था।

ओडिशा और हॉकी

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डिग्री के साथ-साथ स्किल का होना भी जरूरी

भारत में इस समय 90 प्रतिशत नौकरियां ऐसी हैं जिनके लिए किसी न किसी प्रकार के विशेष स्किल (कौशल) की जरूरत पड़ती है। परिणाम स्वरूप 20 प्रतिशत डिग्री या डिप्लोमा धारक लोगों को नौकरियां मिल ही नहीं पातीं। भारत में ज्यादातर लोग स्किल डेवलपमेंट में रुचि नहीं रखते क्योंकि उन्हें लगता है कि यह तोश्रम से जुड़ा हुआ कोई मामला है।

डिग्री के साथ-साथ स्किल का होना भी जरूरी

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Uday India Hindi Magazine Description:

Publisheruday india

CategoryNews

LanguageHindi

FrequencyFortnightly

Uday India is successfully running in the 12th year of its existence. It is not a run-of-the-mill publication. Uday India does not fall as a thud on your doorstep but enters as a whiff of fresh air into reading corridors of the country. The weekly is based on the staple of news and current affairs. It focuses on politics, security, youth affairs, health, women, net space, diplomacy, media, economy, education, sports, showcasing the slow and steady march of India towards the goal of becoming a global power in every sense of the term. A new feather in the cap is spiritualism that has lately permeated every aspect of human endeavour. The cover story every week is spun out of the most current happening. There are for sure pages for book review and technological advancements. Apart from these building blocks, there are incessant efforts to customize the magazine to the taste of the reader. Its quality commensurates with the prolific promise.

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