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Jansatta Lucknow - May 27, 2025

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In this issue

May 27, 2025

आत्मरक्षा का घेरा

मा नव का मन हमेशा से ही अपनी सुरक्षा के लिए सचेत रहा है। सभ्यताओं के शुरुआती दौर से लेकर आज तक हमने इस मामले को कभी हल्के में नहीं लिया है। जब हम बहुत सारी चीजों से अनभिज्ञ थे, तब भी हम पत्थर से बने हथियारों को प्रयोग में लाते थे। वहीं आज विश्व में परमाणु हथियारों और युद्ध का दौर है। जिसे देखा जाए, वही अपने आपको सुरक्षित रखना चाहता है। यह समझने की जरूरत है कि यह सुरक्षा किससे और क्यों सुनिश्चित करने की कोशिश की जाती है। यह सुरक्षा किसी जानवर या अन्य शक्ति से नहीं है, बल्कि इंसान किसी अन्य इंसान से तय करना चाहता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे आर्थिक, राजनीतिक या अन्य कोई भी कारण। गांधी से लेकर नेल्सन मंडेला तक बहुत से अहिंसा के पुजारी और अन्य ऐसे महानतम लोग हमारा पथ प्रदर्शन करते आए हैं कि चाहे जो भी हो जाए, हमें अहिंसा का पालन करना है। ऐसे महान लोगों का मानना था कि अपना विरोध भी अहिंसक नीतियों के तहत ही दर्ज कराना चाहिए। मगर क्या आज के इस विश्व और विध्वंसकारी युग में ऐसा संभव है? हम सभी का उत्तर संभवतः न में ही सामने आएगा। राष्ट्रीय स्तर पर तो हमारी सुरक्षा के लिए हमारी सरकार कार्य कर रही है, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर इस तरफ हमारा खास ध्यान नहीं है। आतंकवादी हमलों में देश के नागरिक मारे जाते हैं। अगर आत्मरक्षा के कुछ तरीकों को अपनाया जाए तो आत्मबल से हम अपने आपको इन हमलों से बचा सकते हैं। नहीं तो कम से कम सामना तो कर ही सकते हैं। आतंकवादी सिर्फ बाहर ही नहीं है, हमारे आसपास भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो स्त्रियों और बच्चों को अपने आतंक का शिकार बनाते हैं। यह याद रखने की जरूरत है कि हमला सिर्फ कमजोर व्यक्ति पर ही नहीं होता है, बल्कि हमारे आत्मबल की ताकत पर भी होता है। ज्यादातर घरों में आतंक का साया धीरे-धीरे फैलता जा रहा है। बाहरी खतरे से लेकर भीतरी और रहस्यमय अपराधों का जाल काम कर रहा लगता है। इन्हें काटना जरूरी है। सब कुछ दबा-कुचला है। बाहर की ओर सिर्फ सफेद प्लास्टर लगा है, जिसे बाहर निकालकर सफाई करना बेहद जरूरी है। अरस्तू ने कहा था कि एथेंस को स्पार्टा की तरह सैनिक शिक्षा को अपनाना चाहिए। हम यहां सैनिक शिक्षा समर्थित राष्ट्रों का गुणगान नहीं करना चाहते, क्योंकि हमारे लोकतांत्रिक राष्ट्र में ऐसा संभव नहीं है और न ही मानवीय दुनिया के लिए यह कोई अच्छा विकल्प है। मगर शिक्षा में आत्मरक्षा का प्रशिक्षण अगर दिया जाए तो व्यक्ति काफी हद तक आने वाली दुर्घटनाओं का

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