Open Eye News Magazine - February 2021Add to Favorites

Open Eye News Magazine - February 2021Add to Favorites

Go Unlimited with Magzter GOLD

Read Open Eye News along with 8,500+ other magazines & newspapers with just one subscription  View catalog

1 Month $9.99

1 Year$99.99 $49.99

$4/month

Save 50% Hurry, Offer Ends in 5 Days
(OR)

Subscribe only to Open Eye News

1 Year $1.99

Buy this issue $0.99

Gift Open Eye News

7-Day No Questions Asked Refund7-Day No Questions
Asked Refund Policy

 ⓘ

Digital Subscription.Instant Access.

Digital Subscription
Instant Access

Verified Secure Payment

Verified Secure
Payment

In this issue

MAGAZINE HAS BEEN PUBLISHED ON 15.02.21

कारगर साबित होती वैक्सीन कूटनीति

भारत की वैक्सीन रणनीति ने पश्चिमी वर्चस्व वाले विमर्श की हवा निकाल दी है। दुनिया अब भारत को वैक्सीन के प्रभावी एवं किफायती आपूतकर्ता की दृष्टि से देख रही है।

कारगर साबित होती वैक्सीन कूटनीति

1 min

सरकारी तंत्र में सुधार का मतलब

खासतौर पर शहरी मध्य वर्ग और नीति निर्माताओं द्वारा सरकार में सुधार करने की वकालत की जाने लगी। महत्वपूर्ण मुद्दा यह बना कि सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्रों में अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या को कम करना है। इसके पीछे यह धारणा काम कर रही थी कि सरकारी क्षेत्र में जरूरत से ज्यादा नौकरियां हैं, जिन्हें कम करके सरकारी घाटे को कम किया जा सकता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का रोजगार अनुपात दुनिया में सबसे कम है। सातवें वेतन आयोग के अनुसार अगर रेलवे और डाक विभाग को निकल दिया जाए तो प्रत्येक 100,000 लोगों के लिए केवल 139 सरकारी कर्मचारी हैं। इसके विपरीत संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे बाजारवादी और कथित तौर पर न्यूनतम सरकार वाले देश में प्रति 100,000 निवासियों पर 668 सरकारी कर्मचारी हैं। भारत में ज्यादातर सरकारी कर्मचारी रेलवे, डाक विभाग, गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के तहत काम करते हैं, जबकि स्वास्थ्य, शिक्षा और शहरी विकास जैसे क्षेत्रों में सरकारी कर्मचारियों की संख्या न के बराबर है।

सरकारी तंत्र में सुधार का मतलब

1 min

विदेशी शक्तियों की मदद से चल रहे आंदोलन से आम जनता हो रही है परेशान

सर्वोच्च न्यायालय ने जन-प्रदर्शनों, आन्दोलनों, बन्द, रास्ता जाम, रेल रोको जैसी स्थितियों के बारे में जो ताजा फैसला किया है, उस पर लोकतांत्रिक मूल्यों की दृष्टि से गंभीर चिन्तन होना चाहिए, नयी व्यवस्थाएं बननी चाहिए। भले ही उससे उन याचिकाकर्ताओं को निराशा हुई होगी, जो विरोध-प्रदर्शन के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। कोई भी आन्दोलन जो देश के टुकड़े-टुकड़े कर देने की बात करता हो, लाल किले का अपमान करता हो, 500 पुलिसवालों पर हिंसक एवं अराजक प्रहार करके उन्हें घायल कर देता हो या राष्ट्रीय ध्वज का निरादर करता हो, उसे किस तरह और कैसे लोकतांत्रिक कहा जा सकता है? वही लोकतंत्र अधिक सफल एवं राष्ट्रीयता का माध्यम है, जिसमें आत्मतंत्र का विकास हो, स्वस्थ राजनीति की सोच हो एवं राष्ट्र को सशक्त करने का दर्शन हो, अन्यथा लोकतंत्र में भी एकाधिपत्य, अव्यवस्था, अराजकता एवं राष्ट्रविरोधी स्थितियां उभर सकती है। सत्ता, राजनीति एवं जन-आन्दोलनों के शीर्ष पर बैठे लोग यदि जनतंत्र के आदर्श को भूला दें तो वहां लोकतंत्र के आदर्शों की रक्षा नहीं हो सकती। आज लोकतंत्र के नाम पर जिस तरह के विरोध प्रदर्शन की संस्कृति पनपी है, उससे राष्ट्र की एकता के सामने गंभीर खतरे खड़े हो गये हैं। यह बड़ा सच है कि यदि किसी राज्य में जनता को विरोध-प्रदर्शन का अधिकार न हो तो वह लोकतंत्र हो ही नहीं सकता। विपक्ष या विरोध तो लोकतंत्र का आधार होता है क्योंकि जिस देश की जनता एवं राजनीतिक दल पंगु, निष्क्रिय और अशक्त हो तो वह लोकतांत्रिक राष्ट्र हो ही नहीं सकता। विरोध तो लोकतंत्र का हृदय है और देश की अदालत ने भी विरोधप्रदर्शन, धरने, अनशन, जुलूस आदि को भारतीय नागरिकों का मूलभूत अधिकार माना है लेकिन उसने यह भी साफ-साफ कहा है कि उक्त सभी कार्यों से जनता को लंबे समय तक असुविधा होती है तो उन्हें रोकना सरकार का अधिकार एवं दायित्व है। विरोध भी शालीन, मर्यादित होने के साथ आम जनजीवन को बाधित करने वाला नहीं होना चाहिए। अदालत की यह बात एकदम सही है, क्योंकि आम जनता की जीवन निर्वाह की स्थितियों को बाधित करना तो उसके मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है। यह सरकार का नहीं, जनता का विरोध है।

विदेशी शक्तियों की मदद से चल रहे आंदोलन से आम जनता हो रही है परेशान

1 min

बजट में आयकर सुधारों को गति

कोविड-19 की आर्थिक चुनौतियों के बीच छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्ग को नये बजट से मुस्कराहट नहीं मिली है.

बजट में आयकर सुधारों को गति

1 min

Read all stories from Open Eye News

Open Eye News Magazine Description:

PublisherOpen Eye Media Publications

CategoryNews

LanguageHindi

FrequencyMonthly

Open Eye News is an informative political, social and investigative news magazine published from Bhopal, Madhya Pradesh, that believes in journalism for public interest. The articles and reporting from different levels given in it are fascinating, insightful and packed with unique content. It is a purely unbiased feature of local influence with a national perspective. Our targeted readers are the common man, influential people, intellectuals and decision-makers of important segments of the state. Open Eye News fully perceives the local issues and provides comprehensive coverage on the same. A unique publication printed in both English and Hindi keeping the suitability and comfort of both kinds of readers in mind.

  • cancel anytimeCancel Anytime [ No Commitments ]
  • digital onlyDigital Only
MAGZTER IN THE PRESS:View All