Open Eye News Magazine - July 2020Add to Favorites

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LATEST ISSUE OF OPEN EYE NEWS JULY 2020

कोरोना काल में किसानों की कड़ी मेहनत के चलते ही ढहने से बच गयी अर्थव्यवस्था

दुनिया के देशों द्वारा किसानों को अनुदान देने पर नुक्ताचीनी की जाती रही है पर कोरोना ने खेती किसानी के महत्व को और अधिक बढ़ा दिया है। जहां तक भारत की बात है सरकार, किसानों व कृषि विज्ञानियों के समग्र प्रयासों से देश आज खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है। जिस कोरोना वायरस ने पिछले करीब छह माह से सारी दुनिया को हिलाकर रख दिया है उसमें यदि कोई चीज सोने जैसी खरी उतरी है तो वह है खेती- किसानी। दरअसल 2019 के अंतिम माहों में चीन में जिस तरह से कोरोना ने अपना प्रभाव दिखाना आरंभ किया और चीन के बाद इटली और फिर योरोपीय देशों में मौत का ताण्डव मचा उससे सारी दुनिया हिल के रह गई। मार्च के दूसरे पखवाड़े से हमारे देश में भी कोरोना ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू किया और चार लॉकडाउन भुगतने के बाद अब अनलॉक-2 का दौर चल रहा है। हमारे देश में ही कोरोना संक्रमितों की संख्या 6 लाख को पार कर गई है। लाख प्रयासों के बावजूद दुनिया भर में हजारों की संख्या में संक्रमण के मामले प्रतिदिन आ रहे हैं। सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि चीन सहित कुछ देशों में कोरोना जिस तरह से लौटकर आ रहा है वह गंभीर है।

कोरोना काल में किसानों की कड़ी मेहनत के चलते ही ढहने से बच गयी अर्थव्यवस्था

1 min

भारतीय राजनीति में 'सवालों' के 'जवाब' के 'उत्तर' में क्या सिर्फ 'सवाल' ही रह गए हैं?

भारतीय राजनीति का एक स्वर्णिम युग रहा है। जब राजनीति के धूमकेतु डॉ राम मनोहर लोहिया, अटल बिहारी बाजपेई, बलराम मधोक, के. कामराज, भाई अशोक मेहता, आचार्य कृपलानी, जॉर्ज फर्नाडिस, हरकिशन सिंह सुरजीत, ई. नमबुरूदीपाद, मोरारजी भाई देसाई, ज्योति बसु, चंद्रशेखर, तारकेश्वरी सिन्हा जैसे अनेक हस्तियां रही है। ये और उनके समकक्ष अनेक नेता गण संसद मैं व बाहर इतने हाजिर जवाब होते थे, जब इनसे मीडिया या अपने विपक्षियों द्वारा कोई प्रश्न पूछा जाता था। तब उनका उत्तर सामने वाले से उल्टा प्रश्न करना नहीं होता था, जैसे कि आजकल यह एक परिपाटी ही बन गई है। बल्कि वे सटीक जवाब देकर सामने वाले को निरूतर कर आवश्यकतानुसार प्रति-प्रश्न करने में भी सक्षम होते थे व माहिर थे।

भारतीय राजनीति में 'सवालों' के 'जवाब' के 'उत्तर' में क्या सिर्फ 'सवाल' ही रह गए हैं?

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हालात यही रहे तो पेट्रोल-डीजल के लिए भी बैंक से लोन लेना पड़ेगा

सुबह-सुबह बैंक खुलते ही जाकर अभिनव ने आसन जमाया। उसके साथ उसकी पत्नी, पत्नी की सहेली, सहेली का पति, गारंटर सभी थे। वैसे प्रबंधक जी उस दिन भी व्यस्त थे। लेकिन पहले से ही फिल्डिंग जमाकर रखने का लाभ यह हुआ कि अभिनव को कोई दिक्कत नहीं हुई।

हालात यही रहे तो पेट्रोल-डीजल के लिए भी बैंक से लोन लेना पड़ेगा

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यूपी में सधे कदमों से मिशन 2022 की ओर बढ़ती जा रही हैं प्रियंका गांधी

उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी सधे हुए कदमों से 2022 के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रही हैं। 2022 का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रियंका ने पुराने चेहरों को साइड लाइन करके अपनी पसंद की टीम तैयार कर ली है। प्रदेश से लेकर जिला और नगर इकाइयों तक पर उनकी नजर है। कोरोना काल में प्रियंका जिस तरह की सियासत कर रही हैं उसकी 'टाइमिंग' पर सवाल उठाये जा सकते हैं, लेकिन प्रियंका के जज्बे को तो 'सलाम करना ही पड़ेगा, जो कोराना से निपटने लिए जद्दोजहद कर रही योगी सरकार को लगातार आईना दिखाने का काम कर रही हैं। बिना इन आरोपों की चिंता किए कि कोरोना काल में भी गांधी परिवार घटिया सियासत कर रहा है।

यूपी में सधे कदमों से मिशन 2022 की ओर बढ़ती जा रही हैं प्रियंका गांधी

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इस तरह गूगल और एपल मिलकर तोड़ेंगी कोरोना संक्रमण की चेन

पिछले कुछ महीनों से विभिन्न देशों द्वारा कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। कई देशों ने लॉकडाउन को एक कारगर हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया तो कइयों ने इसके लिए आधुनिक तकनीक का भी उपयोग किया है।

इस तरह गूगल और एपल मिलकर तोड़ेंगी कोरोना संक्रमण की चेन

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कोरोना ने 'कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश एक है की भावना को 'तार-तार तो नहीं कर दिया है?

हमारा देश अनेकता में एकता लिये हुए ऐसा देश है, जिसमें भिन्न- भिन्न संस्कृति, राजनैतिक विचार धाराएं, धार्मिक आस्थाएं नदियों पहाड़ों व जंगलों के साथ सुंदर प्राकृतिक भौगोलिक संरचना होते हुये भी, एकता लिए हुए एक मजबूत देश है। कतिपय संवैधानिक प्रतिबंधों के साथ कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के नागरिक को कहीं भी घूमने की व जीने की स्वतंत्रता है।

कोरोना ने 'कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश एक है की भावना को 'तार-तार तो नहीं कर दिया है?

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गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती की मुहर

कोरोना जैसे संकट में जब पूरी दुनिया दहशत में थी, तब भारत के महानगरों से अपने घर जाने के लिए, लाखों-करोड़ों प्रवासी श्रमिक भी वापिस कूच कर गए। सरकार द्वारा चलाई गई विशेष श्रमिक रेलों से, बसों से, पैदल भी मजदूर परिवार सहित घर लौट चले। रास्ते की हर कठिनाई का सामना किया, सफर की हर मुश्किल झेली। उनका ये हौसला देखकर दुनिया दंग थी। 2-2 हजार किलोमीटर से वापिस अपने गांव-बसेरे पर लौटते, गरीबी और हाशिए पर खड़े प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी- रोटी की पहाड़ सी समस्या मुंह बाये खड़ी थी। आजीविका का अभाव, गुजर-बसर की जद्दोजहद में राहत की राह देख रहे करोड़ों श्रमिकों के लिए भारत सरकार की गरीब कल्याण रोजगार अभियान प्रकाश स्तंभ के रूप में आयी।

गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती की मुहर

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लॉकडाउन के दौरान भारत में नयी जीवनशैली बन गया वर्क फ्रॉम होम

एकल परिवारों में कामकाजी महिलाओं के लिए घर व ऑफिस में सामंजस्य बिठाना मुश्किल होता है। अमेरिका में हुए मॉम क्रॉप्स के सर्वे में पता चला कि वर्क फॉम होम की सुविधा मिले, तो वहां 50 फीसदी महिलाएं थोड़े कम पैकेज पर भी काम करने को तैयार रहती हैं। देश एवं दुनिया में कोरोना महामारी एवं प्रकोप ने न केवल हमारी जीवनशैली बल्कि कार्यशैली में भी आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है। जिन देशों में लॉकडाउन हुआ और तीन-तीन, चार-चार महीनों तक इन स्थितियों को सामना करना पड़ा, उन सभी देशों में वर्क फॉम होम की कार्यशैली को अपनाना पड़ा। कंपनियों को अपने वर्कर के लिये वर्क फॉम होम शुरू करना पड़ा था।

लॉकडाउन के दौरान भारत में नयी जीवनशैली बन गया वर्क फ्रॉम होम

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PublisherOpen Eye Media Publications

CategoryNews

LanguageHindi

FrequencyMonthly

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