Open Eye News Magazine - June 2020
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OPEN EYE NEWS JUNE 2020 ISSUE
नुकसान तो बहुत हुआ है पर अब फिर उठ खड़े होकर आगे बढ़ने का समय
समस्याएं सब गिना रहे हैं, समाधान कोई नहीं बन रहा है। 12 करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं और उद्योग-व्यापार ठप्प है। देश में गरीबी की सीमा रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या 21.7 प्रतिशत से बढ़ कर 40 प्रतिशत से ऊपर तक होने की संभावनाएं हैं। अब लॉकडाऊन आंशिक रूप से उठ गया है, इससे सामान्य जीवन के धीरे-धीरे पटरी पर लौटने में मदद मिलेगी। यही वह क्षण है जिसकी हमें प्रतीक्षा थी और वह सोच है जिसका आह्वान है अभी और इसी क्षण हमें कोरोना महामारी के साथ जीने की संयम, धैर्य एवं मनोबल पूर्ण एवं सावधानीपूर्ण तैयारी करनी होगी। कोरोना लम्बा चलने वाला है और उससे पीड़ितों की संख्या भी चौंकाने वाली होगी, इसलिये असली परीक्षा अब है। हम अपनी जमीं को इतना उर्वर बना लें जिस पर उगने वाला हर फल हम सबके जीवन को रक्षा दे और हर फूल अपनी सौरभ हवा के साथ कोरोना मुक्ति का स्वस्थ परिवेश सब तक पहुंचा दें।
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उच्चतम न्यायालय की स्वतःप्रेरणा से प्रवासियों श्रमिकों पर निर्णय!
उच्चतम न्यायालय की स्वतःप्रेरणा से प्रवासियों श्रमिकों पर निर्णय!
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मोदी सरकार के एक साल राज्यों में शिकस्त के बाद भी भाजपा ने कायम रखी अपनी ताकत
लोकसभा चुनाव के बाद, एक के बाद एक विधानसभा चुनाव में मिली हार से भाजपा में निराशा के भाव बढ़ती जा रही थी। भाजपा दिल्ली को लेकर अति उत्साहित थी। दिल्ली में इस साल फरवरी में चुनाव हुए। भाजपा ने पूरा दमखम लगाया परंतु कामयाबी नहीं मिल पाई। साल 2019 में दोबारा सत्ता में वापसी के बाद भाजपा ने देश में अपने प्रभुत्व को बरकरार रखा। 2014 में जब नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा केंद्र की सत्ता में आई थी, उसके बाद से लगातार इस पार्टी का दबदबा देश के अन्य भागों में भी बढ़ता गया।
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विश्व में 'लॉकडाउन की नीति' कहीं 'गलत' व 'असफल' तो सिद्ध नहीं हो रही है?
'कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिये कमोवेश पूरे विश्व में लॉकडाउन की नीति अपनाई, जिसके परिणाम स्वरूप आज विश्व के लगभग 200 देशों की आधी से ज्यादा आबादी घर में कैद है, और आर्थिक रथ का चक्का जाम हो गया हैं। इसके बावजूद कमोवेश कुछ को छोड़कर प्रायः हर देश में संक्रमित मरीजों की संख्या में औसतन वृद्धि ही हो रही है।हमारा देश भारत भी इससे अछूता नहीं बचा है। तो फिर क्यों न यह माना जाए कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये लॉकडाउन की नीति ही मूल रूप से गलत हैं? इसलिए कि इससे संक्रमण को रोकने के घोषित उद्देश्य की प्राप्ति तो हुई नहीं ? अलावा इसके परिणाम स्वरूप सभी देशों का आर्थिक स्वास्थ्य बीमार हो जाने के कारण इससे पैदा हुई दूसरी नई (आर्थिक) बीमारी के चलते अधिकांश देश बेरोजगारी व आर्थिक मंदी के गर्त में चले गये।
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'बस' की राजनीति! 'लोकतंत्र' की 'जिजीविषा' का द्योतक है
'विगत दिनों से उत्तर प्रदेश में 1000 बसों पर राजनीति चल रही है, लेकिन बस, सिर्फ “बस
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आत्मनिर्भर भारत कृषि क्रान्ति का नया सोपान
सब कुछ थम गया कोविड-19 की विपरीत परिस्थितियों में शहर थम गए, रेल रुक गई, हवाई जहाज नहीं उड़े, पर जो नहीं ठहरा, वह भारत का किसान था। देश का मेरुदंड बनकर तना हुआ खड़ा था। कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में रबी की फसल पककर कटने को तैयार थी। किसी विद्वान ने कहा है कि 'दुनिया में सारी चीजें प्रतीक्षा कर सकती है, पर कृषि नहीं ।ये काम नियत समय पर ही होना था। भारत सरकार ने भी इसकी अनिवार्यता जानते हुए लॉक डाउन में सबसे पहले खेती से जुड़े कामों को करने की रियायत दी। पर केवल बंधनों में छूट देने पर ही नहीं रुकी सरकार। कृषक और कृषि की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार राहत का पैकेज लाई।
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कोरोना बीमारी कहीं हिंदी भाषा को अंग्रेजी से संक्रमित तो नहीं कर कर रही है?
इस कोरोना काल में कई नए नए शब्दों का ईजाद हो रहा है। इनसे हम रोज रूबरू हो रहे हैं। इन शब्दों को देखने से यह बात ध्यान में आई किये सब अंग्रेजी शब्द जिनका उपयोग वर्तमान में धड़ल्ले से हो रहा है, क्या इनके हिंदी शब्द नहीं हैं? जिनका अर्थ समान व सामान्य रूप से वही समझा जा सके? वैसे भी आज के जमाने में “शुद्धता“ कहां रह गई है? 'मिश्रण (मिलावट) का जमाना है। इसी कारण हिंदुस्तान के नागरिकों के जीवन में ज्यादातर अंग्रेजी मिश्रित हिंदी का प्रयोग काफी समय से बहुत ज्यादा में चलन में है
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आरोग्य सेतु एप पर आखिर इतने सवाल उठ क्यों रहे हैं?
अगर वैज्ञानिक आविष्कारों और तकनीक के विकास के दौरान यह भुला दिया जाये कि मानवाधिकारों का आदर या सम्मान नहीं होगा तो, किसी भी तरह का विकास टिकाऊ साबित नहीं होगा।
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सिजोफ्रेनियाः मानसिक रोगी
हमारे शरीर में रोग के दो स्थान होते हैं एक शरीर और दूसरा मन दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं, यदि शरीर रुग्ण हो तो उसका प्रभाव मन पर पड़ता हैं और मन से रुग्ण होता हैं तो उसका प्रभाव शरीर पर भी पड़ता .अतः हम समझ नहीं पाते की यह मानसिक रोगी हैं या शारीरिक रोगी हैं. कारण मन के रोगी को समझना और उसका नामकरण कभी कभी कठिन होता हैं ,उसके लिए आजकल मनोचिकित्सक या सायुरोग चिकित्सक की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं पर आयुर्वेद में भी इसका इलाज़ हैं, भ्रम रोग में रोगी का शरीर मुख्यतः सर घूमता हैं ,वह चक्कर खाकर भूमि पर बार बार गिरता हैं इस रोग में रजोगुण और वात और पित्त का प्राधान्य रहता हैं इस रोग में मानसिक दोष रज और शारीरिक दोष वात और पित्त दोष रहते हैं इस अवश्था में तमोगुण की अल्पता से चेतना का नाश नहीं होता अतः रोगी शरीर और मष्तिष्क में होने वाली चक्कर की क्रिया का अनुभव भलीभांति करता हैं. वात और पित्त के कारण मतिविभ्रमता होती हैं.
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पैकेज किसके लिए?
करोड़ रुपये की वृद्धि की है। दूसरे प्रदेशों से लौट रहे श्रमिकों के समक्ष गहरा आर्थिक संकट है। उन्हें रोजगार की अधिक जरूरत है ताकि उनकी जिंदगी चल सके।
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Open Eye News Magazine Description:
Publisher: Open Eye Media Publications
Category: News
Language: Hindi
Frequency: Monthly
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