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Dakshin Bharat Rashtramat Bengaluru - November 08, 2025

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November 08, 2025

हर कोई लांघ रहा है अनुशासन की सीमा

जी वन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक है। यदि अनुशासन का पालन नहीं किया जाए तो जीवन उच्छृंखल बन जाएगा। हमारे देश की आज यही हालत है। ऐसा लगता है जैसे अनुशासन को हमने अपने शब्दकोष से ही निकाल दिया है। यही कारण है कि हर क्षेत्र में अनुशासनहीनता का बोलबाला बढ़ गया है। विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका को लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तंभ माना जाता है। इसमें चौथे स्तंभ के रूप में मीडिया को शामिल किया गया। कहा जाता है कि लोकतंत्र की सफलता के लिए जरूरी है कि उसके ये चारों स्तंभ मजबूत हों। चारों अपना अपना काम पूरी जिम्मेदारी, ईमानदारी व निष्ठा से करें। मगर ये बातें अब कागजों तक सीमित होकर रह गई है। लोकतंत्र के इन स्तम्भों पर एक नजर डालें तो सर्वत्र अनुशासनहीनता ही देखने को मिलेगी। केंद्र और राज्य सरकारें सरेआम एक दूसरे को नीचा दिखाने पर तुली है। प्रधानमंत्री पद की मर्यादाओं को ताक पर रख दिया गया है।

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चिंताजनक है महिलाओं पर डिजिटल हिंसा की मार

दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ डिजिटल साधनों का दुरुपयोग एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। आज डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके महिलाओं को बदनाम करने, परेशान करने और ब्लैकमेल करने की घटनाएं आम होती जा रही हैं। इस समस्या की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष 25 नवंबर से 10 दिसंबर तक के 16 दिवसीय सक्रियता अभियान की थीम ही महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध डिजिटल हिंसा को समाप्त करने पर केंद्रित की है। इस अभियान का उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ डिजिटल हिंसा को समाप्त करने के लिए वातावरण तैयार करना है।

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सुरों की साधिका सुलक्षणा पंडित नहीं रहीं

छ ह नवंबर 2025 को हिंदी फिल्म और संगीत जगत की सुरमयी आवाज़ सदा के लिए खामोश हो गई। प्रसिद्ध गायिका और अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित का मुंबई के नानावटी अस्पताल में निधन हो गया। वे 71 वर्ष की थीं और पिछले कई वर्षों से अस्वस्थ थीं। उनके जाने से फिल्म इंडस्ट्री के एक स्वर्णिम युग की स्मृतियाँ फिर से ताज़ा हो उठीं - वो दौर, जब गीतों में आत्मा होती थी और चेहरों पर अभिनय नहीं, भावनाएँ बोलती थीं। सुलक्षणा पंडित का जन्म 12 जुलाई 1954 को छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में हुआ था। उनका परिवार भारतीय संगीत परंपरा का एक सम्मानित स्तंभ रहा। वे महान शास्त्रीय गायक पंडित जसराज की भतीजी थीं, जबकि उनके भाई जतिन-ललित ने 90 के दशक में हिंदी सिनेमा को अनगिनत अमर धुनें दीं। उनकी बहन विजयता पंडित भी फिल्म जगत से जुड़ी रहीं। इस संगीतपूर्ण वातावरण में पली-बढ़ी सुलक्षणा के भीतर कला का बीज बचपन से ही गहराई तक बोया गया था। संगीत उनके लिए केवल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि एक साधना थी।

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