Saras Salil - Hindi Magazine - April Second 2024Add to Favorites

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In this issue

Saras Salil is a very strong Delhi Press brand that is published in 5 languages namely Hindi, Marathi, Gujarati, Tamil and Telegu, Saras Salil provides news, information and entertainment in a language that is simple to understand for the young educated masses. The magazine raises issues that are pertinent to the socio-cultural milieu of the urban and rural masses, including issues of class based discrimination, caste politics, identity, employment, economy, and societal framework from the perspective of working class households in urban and rural areas. Over the last 2 decades, the magazine has toed an extremely bold and progressive line in raising these issues with the aim of aiding the societal and economic upliftment of the masses. At the same time, the magazine has an entertaining side to it with a mix of racy imagery, satire, and buoyant stories. In the respect, Saras Salil is a complete read for the progressive working younger generation, with a strong emphasis on politics and social issues as matter to him, balanced with entertainment. Most importantly, the presentation of the magazine is such that the reader identifies himself with the context of the magazine, and which blends in with his socio-cultural environment.

भोजपुरी सिनेमा की टूटती जोड़ियां

भोजपुरी सिनेमा में यह बात जगजाहिर है कि हीरोइनों का कैरियर केवल भोजपुरी ऐक्टरों के बलबूते ही चलता रहा है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में भोजपुरी के टौप ऐक्टरों के हिसाब से ही फिल्मों में हीरोइनों को कास्ट किया जाता है.

भोजपुरी सिनेमा की टूटती जोड़ियां

4 mins

गुंजन जोशी तो 'फाड़' निकले

\"दिल्ली के नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ऐक्टिंग की ट्रेनिंग ले कर आया तो था ऐक्टर बनने, पर बन गया फिल्म स्टोरी राइटर. इस फील्ड में भी मुझे दर्शकों और फिल्म इंडस्ट्री के लोगों का प्यार मिला, क्योंकि मेरा शौक एक आर्टिस्ट बनना ही था, जिस में राइटिंग, डायरैक्शन, ऐक्टिंग सब शामिल रहा है. मेरे आदर्श गुरुदत्त हैं, क्योंकि उन्होंने लेखन से ले कर अभिनय तक सब किया और दोनों में कामयाब रहे,\" यह कहना है गुंजन जोशी का.

गुंजन जोशी तो 'फाड़' निकले

3 mins

सैक्स रोगों की अनदेखी न करें

सैक्स से जुड़े रोग आदमी और औरत दोनों में सैक्स के प्रति अरुचि बढ़ाते हैं. इस के साथ ही ये शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह की परेशानियों को भी बढ़ाते हैं.

सैक्स रोगों की अनदेखी न करें

3 mins

एक थप्पड़ की कीमत

वैसे तो रवि अपने एकलौते बेटे सोहम को प्यार करता था, पर जबतब उसे थप्पड़ भी मार देता था. एक दिन उस ने फिर वही सब दोहराया, लेकिन यह थप्पड़ उस पर ही भारी पड़ गया. लेकिन कैसे?

एक थप्पड़ की कीमत

3 mins

वर्मा साहब गए पानी में

वर्मा साहब की रिटायरमैंट गाजेबाजे के साथ हुई. घर पर दावत भी दी गई, पर उस के बाद उन की पत्नी ने ऐसा बम फोड़ा कि वर्मा साहब के कानों तले की जमीन खिसक गई...

वर्मा साहब गए पानी में

5 mins

नाजायज संबंध औनलाइन ज्यादा महफूज

सदियों से मर्दऔरतों में नाजायज संबंध बनते आए हैं. अब तो इस तरह के एप आ गए हैं, जहां औनलाइन डेटिंग की जा सकती है. इसे एक सुरक्षित तरीका बताया जाता है. क्या वाकई में ऐसा है?

नाजायज संबंध औनलाइन ज्यादा महफूज

5 mins

कत्ल करने से पीछे नहीं हट रही पत्नियां

एक पारिवारिक झगड़े के मसले पर फैसला देते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की है कि \"बीते डेढ़ दशक में प्रेम प्रसंगों के चलते होने वाली हत्याओं की दर बढ़ी है, जिस से समाज पर बुरा असर पड़ा है. इस पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है.'

कत्ल करने से पीछे नहीं हट रही पत्नियां

5 mins

आसाराम का ढहता साम्राज्य

आसाराम के संदर्भ में आज का समय हमेशा याद रखने लायक हो गया है, क्योंकि धर्म के नाम पर अगर कोई यह समझेगा कि वह देश की जनता और कानून को ठेंगा बताता रहेगा, तो उस की हालत भी आसाराम बापू जैसी होनी तय है.

आसाराम का ढहता साम्राज्य

3 mins

अडाणीजी यह राष्ट्रवाद क्या है ?

जिस तरह भारत के बड़े रुपएपैसे वाले, चाहे अडाणी हों या अंबानी की जायदाद बढ़ती चली जा रही है और दुनिया के सब से बड़े पूंजीपतियों की गिनती में इन को शुमार किया जाने लगा है, उस से यह संकेत मिलने लगा था कि कहीं न कहीं तो दो और दो पांच है.

अडाणीजी यह राष्ट्रवाद क्या है ?

3 mins

सोशल मीडिया: 'पठान' के बहाने नफरती ट्रैंड का चलन

सुनामी चाहे कोई समुद्र उगले या कोई फिल्म, ज्वार का जोश ठंडा होने पर ही पता चलता है कि तबाही किस हद तक की थी. कुछ ऐसा ही महसूस हुआ फिल्म 'पठान' को ले कर.

सोशल मीडिया: 'पठान' के बहाने नफरती ट्रैंड का चलन

4 mins

धर्म का धंधा लूट का जरीया

हम बचपन में जब कहानियों की कोई भी किताब पढ़ा करते थे, उन में एक कहानी इस टाइप की जरूर होती थी कि एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था. एक दानवीर राजा था, जो सवेरेसवेरे राज्य के 100 ब्राह्मणों को सोने की 100 मोहरें और 100 गाएं दान दिया करता था वगैरह.

धर्म का धंधा लूट का जरीया

9 mins

नोरा और जैकलीन में ठनी

इस मामले में नोरा फतेही की शिकायत पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनवाई करने का फैसला लिया था, पर अब यह सुनवाई 25 मार्च, 2023 तक के लिए टाल दी गई है.

नोरा और जैकलीन में ठनी

1 min

टैलीविजन स्टार अदनान खान की चाहत

टैलीविजन सीरीज 'इश्क सुभान अल्लाह' से मशहूर हुए कलाकार अदनान खान दुबई से हैं. उन्हें बचपन से ही फिल्में देखने का शौक था. ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने थोड़े समय के लिए नौकरी की, लेकिन उन्हें यह काम पसंद नहीं आया और वे ऐक्टिंग और डायरैक्शन की ओर मुड़ गए.

टैलीविजन स्टार अदनान खान की चाहत

3 mins

फेसबुक बना अधकचरी - सैक्स बुक

ये और ऐसे सैकड़ों बेमतलब के और बेहूदा सवाल फेसबुक पर पूछे जाते हैं, जिन का हकीकत और विज्ञान से दूरदूर तक कोई वास्ता नहीं होता है.

फेसबुक बना अधकचरी - सैक्स बुक

2 mins

जब छात्र जिंदगी में खुदकुशी के बन जाएं चश्मदीद

ऐसा नहीं है कि होस्टल में किसी छात्र की खुदकुशी कोई नई बात हो, बल्कि आएदिन हम असली जिंदगी में भी खबरें पढ़ते रहते हैं कि तनाव के चलते फलां कालेज के लड़के या लड़की ने खुदकुशी कर ली.

जब छात्र जिंदगी में खुदकुशी के बन जाएं चश्मदीद

4 mins

क्या गलत कहा चंद्रशेखर ने धार्मिक जकड़न और शिकंजे से घबराते दलित

32 साला ओंकार रजक (बदला हुआ नाम) भोपाल के एक पौश इलाके में लौंड्री चलाते हैं, जिस से उन्हें तकरीबन 50,000 रुपए महीने की आमदनी हो जाती है.

क्या गलत कहा चंद्रशेखर ने धार्मिक जकड़न और शिकंजे से घबराते दलित

4 mins

'पंच परमेश्वर' पर भाजपा का 'फंदा'

यह आज का कड़वा सच है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी और उन की सरकार का एक ही मकसद है सभी 'संवैधानिक संस्थाओं' को अपनी जेब में रख लेना और अपने हिसाब से देश को चलाना. किसी भी तरह के विरोध को नेस्तनाबूद कर देना.

'पंच परमेश्वर' पर भाजपा का 'फंदा'

3 mins

कुश्ती में घमासान नफरत का तूफान

इस पूरे मामले पर भारतीय कुश्ती महासंघ को इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन की ओर से फटकार का सामना करना पड़ा था कि वह अपने खिलाड़ियों को कंट्रोल में क्यों नहीं रख पाता है ?

कुश्ती में घमासान नफरत का तूफान

4 mins

कुंडली भाग्य - औरतों की फूटी किस्मत

फिर तय करते हैं कपड़ों के रंगरूप की तरह चरित्र और रूप और फिर जोड़ते हैं एक नया रिश्ता... मनचाही सब्जी खरीद ली हो जैसे... और उस के बाद कहते हैं कि रिश्ता तो ऊपर वाला तय करता है.

कुंडली भाग्य - औरतों की फूटी किस्मत

2 mins

मैं खुद को हरफनमौला मानती हूं - इक्शा केरुंग, हीरोइन, पुलिस अफसर, बौक्सर, सुपर मौडल

सिक्किम के एक गांव के किसान की बेटी इक्शा केरुंग. इन दिनों फिल्म 'लकड़बग्घा' में ऐक्टिंग करने को ले कर चर्चा में हैं, पर 21 साल की कम उम्र में ही उन्होंने जो काम किए हैं, वह बिरला ही कर सकता है.

मैं खुद को हरफनमौला मानती हूं - इक्शा केरुंग, हीरोइन, पुलिस अफसर, बौक्सर, सुपर मौडल

2 mins

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में गायक से नायक बने स्टार्स का है दबदबा - शुभम तिवारी

भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार शुभम तिवारी ज्यादा लाइमलाइट में नहीं रहते हैं, फिर भी उन्होंने कई हिट फिल्में दी हैं. वे 'सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड' के पहले सीजन से एंकरिंग का जिम्मा संभालते रहे हैं.

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में गायक से नायक बने स्टार्स का है दबदबा - शुभम तिवारी

3 mins

बिकिनी में सहज महसूस करती हूं - महिमा गुप्ता

भोजपुरी सिनेमा अब पहले जैसा नहीं रहा, जहां गदराए बदन वाली हीरोइनों के साथ फिल्में बनती थीं और दर्शक भी ऐसी हीरोइनों को पसंद करते थे. अब भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में छरहरे बदन वाली हौट हीरोइनों का बोलबाला है. ये हीरोइनें न केवल बेहतर ऐक्टिंग, बल्कि अपने बोल्ड अंदाज के चलते भी अकसर चर्चा में रहती हैं.

बिकिनी में सहज महसूस करती हूं - महिमा गुप्ता

3 mins

देख रहा है विनोद...पोस्टमार्टम 2022

ब्रह्मांड का एकलौता 'गड़े मुरदे उखाड़ने वाला' चैनल 'विक्की मीडिया' में आप का स्वागत है हमारे संवाददाता नारद बेखबर, कैमरामैन धृतराष्ट्र और व्यंग्य की समझ से पैदल व्यंग्याचार्य श्री सवा एक सौ आठ विनोद 'विक्की' के साथ आइए कुछ खास घटनाओं का मजाकिया अंदाज में पोस्टमार्टम करते हैं, जो साल 2022 के ऐतिहासिक कलैंडर में दर्ज और दफन हो चुकी हैं.

देख रहा है विनोद...पोस्टमार्टम 2022

3 mins

अंधविश्वास का जाल

मनोरमा देवी पर अपने गुरुजी का इतना ज्यादा असर था कि वे घर में उन के कहे मुताबिक सब काम करती थीं. पर घर की बहुओं को गुरुजी नहीं सुहाते थे. क्या थी इस की वजह?

अंधविश्वास का जाल

5 mins

आंसू खुशी के

इशहाक शबाना से बहुत प्यार करता था. वह भी उस से निकाह करना चाहती थी, पर इशहाक अपनी गरीबी की वजह से झिझक रहा था. बहुत कहने पर वह शबाना के अब्बू से मिलने उन के घर पहुंचा. आगे क्या हुआ...?

आंसू खुशी के

7 mins

जब घर का ही कोई करे छेड़छाड़

तकरीबन रोजाना ही अखबारों त में आने वाली रेप की घटनाएं हम सभी को परेशान करती हैं.

जब घर का ही कोई करे छेड़छाड़

4 mins

चाय बेचिए करोड़पति बनिए

जीहां, चाय बेच कर भी करोड़पति बना जा सकता है. यह सुन कर आप को हैरानी जरूर होगी, लेकिन सचाई यह है कि चाय बनाने और बेचने का धंधा काफी मुनाफा देने वाला हो सकता है. यह मैं नहीं बोल रहा, बल्कि पटना वुमंस कालेज के सामने चाय बेचने वाली 'ग्रेजुएट चाय वाली' प्रियंका गुप्ता का कहना है.

चाय बेचिए करोड़पति बनिए

4 mins

'नेताजी' बेचैन क्यों हैं

राहुल की 'भारत जोड़ो यात्रा'

'नेताजी' बेचैन क्यों हैं

3 mins

गुलाम नबी आजाद की डूबती नैया

गुलाम नबी आजाद की छवि कांग्रेस को छोड़ने के बाद भी एक 'कांग्रेस मैन' की है. वे कांग्रेस को ठोकर मार कर कश्मीर में अपने पैर जमाने के लिए आगे बढ़ गए। थे, मगर नए हालात में एक तरह से उन की बोलती बंद हो गई है.

गुलाम नबी आजाद की डूबती नैया

2 mins

आदिवासी आरक्षण सवालों की सूली पर

होना तो यह चाहिए था कि आदिवासी 31 के नाते समुदाय की होने छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके नए विधेयक का स्वागत करते हुए न केवल उस पर दस्तखत कर अपनी मंजूरी देतीं, बल्कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का शुक्रिया भी अदा करतीं, जो उन्होंने गैरआदिवासी होते हुए भी आदिवासियों के भले की पहल की, लेकिन हुआ उलटा.

आदिवासी आरक्षण सवालों की सूली पर

6 mins

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Saras Salil - Hindi Magazine Description:

PublisherDelhi Press

CategoryEntertainment

LanguageHindi

FrequencyFortnightly

Saras Salil is a very strong Delhi Press brand that is published in 5 languages namely Hindi, Marathi, Gujarati, Tamil and Telegu, Saras Salil provides news, information and entertainment in a language that is simple to understand for the young educated masses. The magazine raises issues that are pertinent to the socio-cultural milieu of the urban and rural masses, including issues of class based discrimination, caste politics, identity, employment, economy, and societal framework from the perspective of working class households in urban and rural areas. Over the last 2 decades, the magazine has toed an extremely bold and progressive line in raising these issues with the aim of aiding the societal and economic upliftment of the masses. At the same time, the magazine has an entertaining side to it with a mix of racy imagery, satire, and buoyant stories. In the respect, Saras Salil is a complete read for the progressive working younger generation, with a strong emphasis on politics and social issues as matter to him, balanced with entertainment. Most importantly, the presentation of the magazine is such that the reader identifies himself with the context of the magazine, and which blends in with his socio-cultural environment.

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