Panchjanya Magazine - May 07, 2023Add to Favorites

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In this issue

समझ पर हमला ......

किसी कपोल कल्पित बात को एक समाचार के रूप में प्रस्तुत करना किसी
वास्तविक पत्रकार के लिए भले ही किसी पाप की तरह हो, युद्ध नीति
के वृहद खेल में यह मात्र एक हथियार है। एक ऐसा सूचनागत
आतंकवाद, जिसका इरादा पूरी तरह शत्रुवत होता है।

फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा

अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है

फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा

3 mins

नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा

नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा

3 mins

मंदिरों के रास्ते भारत पर चोट

ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड में खालिस्तानी तत्व भारत, मोदी सरकार और हिन्दू विरोधी कृत्यों के लिए मंदिरों को निशाना बना रहे। वे धमकियां दे रहे हैं कि 'खालिस्तानी एजेंडे का समर्थन करो नहीं तो पूजा नहीं करने देंगे'

मंदिरों के रास्ते भारत पर चोट

5 mins

स्वरोजगार में जुटे शरणार्थी

दिल्ली में रहने वाले 58 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को कई सेवाभावी संगठनों की ओर से रोजगार के लिए दी गई मदद । कोई सब्जी, तो कोई फल, तो कोई बेच रहा है कचौरी

स्वरोजगार में जुटे शरणार्थी

4 mins

लोकजागरण के लिए लोकोत्सव

जनसाधारण को जलवायु परिवर्तन और बढ़ते वैश्विक तापमान से परिचित कराने के लिए कोल्हापुर में पंचमहाभूत लोकोत्सव का आयोजन हुआ। इसमें बड़ी संख्या में जनसामान्य के साथ पर्यावरणविदों ने भाग लिया

लोकजागरण के लिए लोकोत्सव

2 mins

पाप कांग्रेस का, धो रही है भाजपा

सोनिया- मनमोहन सरकार ने 2014 में लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद एक राजपत्र जारी कर दिल्ली की 123 संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को देने का निर्णय लिया था। भारत सरकार ने उन्हें अपने पास ही रखने का फैसला लिया है

पाप कांग्रेस का, धो रही है भाजपा

6 mins

धर्मस्थलों की निखरेगी सूरत

कर्नाटक में बसवराज बोम्मई की सरकार ने मठ-मंदिरों के पुनरुद्धार के लिए बजट में 1,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इसमें संदेह नहीं है कि कर्नाटक की भाजपा सरकार राज्य के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के स्थलों को निखारने के लिए संकल्पबद्ध दिखती है

धर्मस्थलों की निखरेगी सूरत

5 mins

मजहब से अब नहीं मतलब

दुनिया भर में बड़ी संख्या मुसलमान इस्लाम छोड़ रहे हैं। खासकर, केरल में तो बीते कुछ वर्षों में इस्लाम त्यागने वालों की संख्या काफी बढ़ी है। लेकिन मजहब से नाता तोड़ने वालों को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक यातनाएं झेलनी पड़ती हैं। अब ऐसे लोगों के पीछे ‘एक्स मुस्लिम्स ऑफ केरल' नामक संगठन मजबूती से खड़ा है

मजहब से अब नहीं मतलब

7 mins

तुर्किये में 'ऑपरेशन दोस्त'

भारत मानवीयता के आधार पर आपदाग्रस्त तुर्किये और सीरिया की खुले मन से सहायता कर रहा है। भारत विरोधी तुर्किये को यह बात समझ आ गई है कि पाकिस्तान नहीं, बल्कि भारत उसका सच्चा दोस्त है जो कठिन समय में उसकी मदद में जुटा है

तुर्किये में 'ऑपरेशन दोस्त'

6 mins

समृद्धि की जुड़ीं असंख्य कड़ियां

देश के बड़े उद्योगपति ही नहीं, बल्कि विदेशी उद्योगपतियों के लिए भी उत्तर प्रदेश पसंदीदा स्थल बना है। यही कारण है कि इस बार उत्तर प्रदेश वैश्विक सम्मेलन में लक्ष्य से तीन गुना अधिक निवेश आया

समृद्धि की जुड़ीं असंख्य कड़ियां

9 mins

फिर से भव्य हुआ गोवा का 'सोमनाथ'

गोवा की प्रमोद सावंत सरकार विदेशी आक्रांताओं की कुदृष्टि का शिकार हुए मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार कराकर भारत के सनातन गौरव को वापस लाने में जुटी। ऐतिहासिक श्री सप्तकोटेश्वर मंदिर का हुआ जीर्णोद्धार

फिर से भव्य हुआ गोवा का 'सोमनाथ'

2 mins

अपनी भाषा बढ़ाए आशा

अंग्रेजों का काल यह बता चुका है कि कैसे भारत पर अंग्रेजी लादे जाने के बाद वैश्विक जीडीपी में भारत की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत तक घट गई। मातृभाषा में बच्चों द्वारा शीघ्र सीखे जाने के निष्कर्ष कई शोधों में सामने आ चुके हैं। मातृभाषा में शिक्षा देने से ही ज्यादा से ज्यादा मानव संसाधन देश निर्माण में अपना योगदान दे सकेगा

अपनी भाषा बढ़ाए आशा

7 mins

प्रगति पश्चिमीकरण नहीं : जयशंकर

फिजी के नादी में भारत और फिजी सरकार के संयुक्त तत्वावधान में संपन 12वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि औपनिवेशिक युग के दौरान दबा दी गई भाषाएं अब वैश्विक मंच पर आवाज उठा रही हैं। अब सांस्कृतिक पुनर्संतुलन आवश्यक है

प्रगति पश्चिमीकरण नहीं : जयशंकर

6 mins

“भारतीय संस्कारों ने दिलाया दुनिया में भारतवंशियों को सम्मान"

फिजी के उप प्रधानमंत्री प्रो. बिमान प्रसाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण की प्रगति के बारे में सुनते हैं तो उनकी आंखों की कोर गीली हो जाती हैं। कह उठते हैं- 'एक राम मंदिर फिजी में भी बनना चाहिए'। उनकी बातों में अपने पुरखों की माटी के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का भाव है। हिन्दी के प्रति उनका स्नेह देखते ही बनता है। वे आगे बढ़ते भारत की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि आज दुनिया हर क्षेत्र में भारत की धाक मानती है। भारत के बढ़ते कदम उनके मन को सुकून देते हैं। अपनी भारत यात्रा के दौरान नई दिल्ली स्थित फिजी उच्चायोग में उप प्रधानमंत्री प्रो. बिमान प्रसाद ने पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर से फिजी-भारत संबंधों के विभिन्न पक्षों पर खुलकर बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

“भारतीय संस्कारों ने दिलाया दुनिया में भारतवंशियों को सम्मान"

10+ mins

साहित्य, संस्कृति और डिजिटल तकनीक

साहित्यिक संस्थाएं प्रौद्योगिकी के प्रयोग के माध्यम से न सिर्फ अपनी पहुंच बढ़ा सकती है बल्कि आर्थिक अभावों का भी मुकाबला कर सकती हैं

साहित्य, संस्कृति और डिजिटल तकनीक

3 mins

सत्य ही शिवत्व

प्रेम प्राणीमात्र को एकसूत्र में बांधने वाली शक्ति है, प्रेम का आधार शिवत्व ही है । शिवत्व अर्थात् कल्याण के उच्चतर स्तर पर उठना जहां दूसरा कोई शेष न रहे

सत्य ही शिवत्व

2 mins

सृष्टि को सहेजने की सीख देती है शिवपूजा

भगवान् शिव अपने संपूर्ण स्वरूप से जिस तरह समूची प्रकृति को रूपायित करते हैं, वह अपने आप में विलक्षण है। शिव की आराधना हमें प्रकृति को सहेजना सिखाती है

सृष्टि को सहेजने की सीख देती है शिवपूजा

4 mins

माटी का मोल

गढ़मुक्तेश्वर के पास ढाना देवली स्थित 'माटी कला केंद्र' के परिसर में आधुनिक मशीनों के माध्यम से मिट्टी के 30 से अधिक प्रकार के बर्तन बनाए जा रहे हैं। इससे जहां लगभग 500 परिवारों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है, वहीं पर्यावरण की रक्षा भी हो रही

माटी का मोल

4 mins

समस्या खड़ी करने में माहिर वामपंथी

वामपंथी एक अच्छे विषय को उपयोगिता की सीमा से परे ले जाकर वहां खड़ा हैं, वह समस्या बन जाता है। वे स्त्रियों के अधिकारों को परिवार की संरचना, मजदूरों के वेतन के विषय को उद्योगों और पर्यावरण के प्रश्न को आर्थिक प्रगति के विरुद्ध खड़ा कर देते हैं।

समस्या खड़ी करने में माहिर वामपंथी

2 mins

एकनिष्ठ भारतभक्ति ही सच्चा भारतीयकरण

आज जब ‘इंडिया फर्स्ट' और 'मेक इन इंडिया' का दौर चल रहा है, तब भारतीयकरण का मुद्दा प्रासंगिक हो जाता है। अप्रैल, 1970 में पाञ्चजन्य के भारतीयकरण विशेषांक के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरुजी का पाञ्चजन्य के तत्कालीन संपादक श्री देवेंद्र स्वरूप ने साक्षात्कार लिया था। प्रस्तुत है उस साक्षात्कार का संपादित अंश

एकनिष्ठ भारतभक्ति ही सच्चा भारतीयकरण

7 mins

सनातन धर्म योद्धा

छत्रपति शिवाजी जैसे आदर्श शासक और संगठक विश्व के इतिहास में दूसरे नहीं हैं। उन्होंने एक राजा के तौर पर निष्पक्ष शासन किया और राजकीय व्यवस्था एवं सेना खड़ी करने की उनकी क्षमता अद्भुत थी

सनातन धर्म योद्धा

4 mins

समाज और स्वतंत्रता की जगाई अलख

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने जहां एक ओर वेदों का प्रचार किया, वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता की लड़ाई में भी भाग लिया। यही कारण है कि उनके अनेक शिष्यों ने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया

समाज और स्वतंत्रता की जगाई अलख

7 mins

बचा लीं बेटियां

असम में बाल विवाह की स्थितियां भयावह रही हैं और माना जाता था कि उन्हें सुधार पाना आसान नहीं है। कभी इसके लिए सामाजिक बातें की जाती थीं, तो कभी कानूनों में मौजूद कमियों का हवाला दिया जाता था। लेकिन इस बार हिमंता सरकार ने बाल विवाह के विरुद्ध निर्णायक कार्यवाही की है। जो बच्चियां दुलहन बनाई जा सकती थीं, अब उन्हें डरने की आवश्यकता नहीं रह गई है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा उनके संरक्षक बनकर खड़े हो गए हैं

बचा लीं बेटियां

8 mins

चीन की चीन द्वारा चीन के लिए

नेपाल में शेर बहादुर देउबा को झटका देकर पुष्प कमल दहल प्रचंड ने नाटकीय ढंग से सरकार तो बनाई ही, संसद में 'प्रचंड' बहुमत भी साबित कर दिखाया। नई गठबंधन सरकार चीन के अनुकूल होने के चलते तेजी से अपने एजेंडे पर काम करना शुरू भी कर चुकी है

चीन की चीन द्वारा चीन के लिए

6 mins

माफी नहीं मांगने पर मिली फांसी

अंग्रेजी फौज को लेकर जा रही रेलगाड़ी को उड़ाने के आरोप में हेमू कालाणी को 10 वर्ष की सजा हुई थी, लेकिन बाद में एक अंग्रेज अधिकारी ने उन्हें मौत की सजा दे दी

माफी नहीं मांगने पर मिली फांसी

2 mins

पाञ्चजन्य का महानाद

पाञ्चजन्य का अर्थ पञ्चजनों यानी समाज के सभी वर्गों का उद्धार करने वाला है। वेदों में पाञ्चजन्य का पद इसी संदर्भ में लिया गया है

पाञ्चजन्य का महानाद

2 mins

अब मुंडारी और संथाली में रामायण

मुंडारी और संथाली झारखंड के जनजातीय समाज की दो प्रमुख भाषाएं हैं। इन दोनों भाषाओं में रामायण का अनुवाद हो रहा है। यही नहीं, निकट भविष्य में महाभारत का संथाली संस्करण भी आने वाला है

अब मुंडारी और संथाली में रामायण

4 mins

फिर जीवंत हुई परम्परा

तमिलनाडु में धर्म और संस्कृति के प्रतीक जल्लीकट्टू के आयोजन पर जब सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिबंध लगाया, तब हिंदू समाज ने व्यापक आंदोलन किया। अंततः राज्य सरकार को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक पारित कर 'जल्लीकट्टू' के आयोजन के लिए नया रास्ता निकालना पड़ा

फिर जीवंत हुई परम्परा

4 mins

धरती क्यों दरकी!

धार्मिक नगरी जोशीमठ आज संकट से घिरी है। यही हाल नैनीताल का भी होने का भय है। पता चला है कि उत्तरकाशी में भी कुछ जगहों पर भू-धंसाव हो रहा है। पहाड़ क्यों रूठ रहे हैं और धरती क्यों दरक रही है? इसके कारण और निदान, दोनों की चिंता करनी होगी

धरती क्यों दरकी!

5 mins

मीडिया की देखादेखी!

एक ओर सर्वोच्च न्यायालय हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर कब्जा जमाने वाले मुसलमानों के प्रति नरमी दिखाता है, दूसरी ओर हिंदुओं से जुड़े ऐसे ही मामले में कठोर बन जाता है। हल्द्वानी मामले में शीर्ष अदालत का रवैया सेकुलर मीडिया से अलग नहीं है

मीडिया की देखादेखी!

5 mins

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Panchjanya Magazine Description:

PublisherBharat Prakashan (Delhi) Limited

CategoryPolitics

LanguageHindi

FrequencyWeekly

स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।

अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।

किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।

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