सनस्क्रीन एक ऐसा सौन्दर्य उत्पाद है, जिसके कई लाभ है, उसके बारे में यह कहा जाए कि वह त्वचा के लिए ठीक नहीं भी हो सकता है, तो यह आश्चर्य वाली बात है। यहां बात सनस्क्रीन की हो रही है, जो आपकी त्वचा को सूरज की क्षति से बचाने, बारीक रेखाओं और हाइपरपिग्मेंटेशन को रोकने का काम करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ सनस्क्रीन त्वचा के लिए सही नहीं होते हैं, खासकर मुंहासे वाली त्वचा के लिए और मुंहासे का कारण बनते हैं। ऐसे में हमारे सामने यह सवाल उठता है कि क्या वाकई सनस्क्रीन मुंहासे का कारण बन सकते हैं।
सनस्क्रीन के प्रकार
सनस्क्रीन स्वयं सीधे मुंहासे का कारण नहीं बनता है। वास्तव में, यह आपकी त्वचा को हानिकारक यूवी किरणों से बचाने, सनबर्न, समय से पहले बुढ़ापा और त्वचा कैंसर को रोकने के लिए जरूरी है। यह जरूर है कि कुछ व्यक्तियों को कुछ खास तरह के सनस्क्रीन का उपयोग करने के बाद मुंहासों का अनुभव हो सकता है। हालांकि, ये रीएक्शन अक्सर अन्य फैक्टर के कारण होती हैं, जैसे कि सनस्क्रीन में उपलब्ध इनग्रेडिएंट्स या यह आपकी त्वचा के साथ कैसे संपर्क में आता है। मुख्य तौर पर दो तरह की सनस्क्रीन होती हैं जो हमारी त्वचा के लिए सुरक्षित होती है।
नॉन-कॉमेडोजेनिक सनस्क्रीन
नॉन-कॉमेडोजेनिक सनस्क्रीन विशेष रूप से बंद छिद्रों को कम करने के लिए तैयार किए जाते हैं और मुंहासे पैदा होने की आशंका कम हो जाती है। नॉन-कॉमेडोजेनिक, तेल मुक्त या मुंहासे वाली त्वचा के लिए उपयुक्त लेबल किए गए उत्पादों की तलाश करना जरूरी है। बेहतर तो यह होगा कि आप जेल आधारित या फ्लूइड आधारित सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। ये रोमछिद्रों को बंद नहीं करते हैं और इस तरह से मुंहासे होने का कारण नहीं बनते हैं।
जेल युक्त सनस्क्रीन
Bu hikaye Grehlakshmi dergisinin June 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Grehlakshmi dergisinin June 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
बच्चे की आंखें खराब कर सकती है मोबाइल फोन की लत
आजकल परिवार में जितने लोग हैं उतने ही मोबाइल फोन। बड़ों से लेकर बच्चों तक के हाथ स्मार्ट फोन दिन-रात रहता है। बच्चों में स्मार्टफोन की आदत उनके बचपन को शारीरिक और मानसिक तौर पर बुरी तरह प्रभावित कर रही है।
पुनर्जन्म की कहानियां सुनाती हैं बॉलीवुड की ये 5 फिल्में, आज भी हैं लोकप्रिय
बॉलीवुड में हमें न जाने कितनी ही ऐसी कहानियां देखने को मिलती हैं जो प्रेम कहानी, देशभक्ति, डरावनी या पुनर्जन्म पर आधारित हो। इन्हें बहुत पसंद किया जा रहा है। इनमें भी पुनर्जन्म की कहानियों को दर्शक बहुत पसंद करते हैं। तो चलिए जानते हैं उन कहानियों के बारे में -
जानिए अक्षय तृतीया के दिन क्यों खरीदा जाता है सोना चांदी
साल 2024 में अक्षय तृतीया का त्यौहार 10 मई को मनाया जाएगा। इस दिन गुरु का राशि परिवर्तन हो रहा है। अक्षय तृतीया को बहुत शुभ माना जाता है। भक्तजन इस दिन विधि-विधान से धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जाने से पहले ये बातें जरूर जान लें
रोमांच और जंगल दोनों का मेल बहुत अद्भुत होता है, यदि आप इसका आनंद उठाना चाहते हैं तो मई और जून की छुट्टियों में परिवार के साथ यहां जरूर जाएं। हिमालयी राज्य उत्तराखंड में स्थित यह 1318 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
बच्चों का टिफिन हो सेहत और स्वाद वाला
रोज-रोज अपने गोलू को टिफिन में पराठा और सब्जी देंगे, तो वो नाक-मुंह सिकोड़ेगा ही। बच्चे अक्सर एक ही तरह की चीज से ऊब जाते हैं, तो आप परेशान नहीं। चलिए आपको बताएं अलग-अलग तरह के स्वादिष्ट और पौष्टिक टिफिन।
अनियमित पीरियड्स से इस तरह पाएं छुटकारा
आजकल लगभग हर महिला अपने पीरियड्स से परेशान है, उनके मन में सवाल आता है कि ऐसा क्यों होता है। तो चलिए आपकी इस समस्या के बारे में ठीक तरह से जानते हैं।
अपने होनहार को सिखाएं अधिक से अधिक भाषाएं
नए दौर के माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा ज्यादा से ज्यादा भाषाएं बोले क्योंकि भाषा आपके व्यक्तिगत विकास में सहायक होता है। लेकिन आपको तय करना है कि बच्चे कि पहली बोली कौन सी होनी चाहिए, उसकी मातृ भाषा, राजभाषा या फिर ग्लोबल भाषा।
मां के हाथों की मालिश दे शिशु को प्यार का एहसास
मां जब अपने नवजात शिशु को मालिश करती है तो उसके हाथों की गर्माहट बच्चे को आराम पहुंचाती है। धीरे-धीरे बच्चा मां का स्पर्श पहचानने लगता है और इस तरह दोनों में एक गहरा संबंध विकसित होता है जिसे हम मां-बच्चे का प्यार कहते हैं।
डिलीवरी के बाद पहले 40 दिनों में क्या करें और क्या न करें
प्रसव के बाद महिला का बदन कच्चा होता है इसलिए शुरू के 40 दिन उसका विशेष ख्याल रखा जाता है। इस अवधि को जापा कहा जाता है। कुछ लोग जापे के लिए मेड या दाई रखते हैं जोकि काफी महंगा विकल्प होता है। चलिए समझते हैं कि जापे में क्या करना चाहिए और क्या नहीं। साथ ही जापा दाई का विकल्प भी आपको बताते हैं।
नए बच्चे के आने पर बड़े बच्चे को माता-पिता इस तरह करें तैयार
घर के पहले बच्चे को माता-पिता सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, लेकिन जब छोटा भाई या बहन पैदा होता है तो यही प्यार बंट जाता है। ऐसे में बड़ा बच्चा असुरक्षित महसूस करने लगता है। इन परिस्थितियों में माता-पिता को बड़े बच्चे को मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए।