इन दिनों मूड स्विंग होना या अवसाद होना आम हो चला है। खान-पान में सावधानी न बरतना इसका मुख्य कारण है। हमारा मानसिक स्वास्थ्य ज्यादातर हमारे खान-पान पर निर्भर करता है। आपने सुना ही होगा जैसा 'अन्न वैसा मन' इसलिए जरूरी है कि हम अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छा खाना खाएं अपने खान-पान का ध्यान रखें। चूंकि, त्योहार का मौसम है तो जाहिर है कि आप उसकी तैयारियों में जुट जाएंगे ऐसे में कई बार आपको घबराहट होने लगती है। अति-उत्साहित होने से हमारा रक्त प्रवाह तेज होने लगता है, जिसकी वजह से ऐसी स्थिति बन जाती है। वैसे तो त्योहार का महीना बहुत सकारात्मक होता है लेकिन हमें कई बार इन दिनों में तैयारियों को लेकर एंजायटी होने लगती है। एंजायटी लोगों में आम होने लगी है। जैसा कि हम जानते हैं कि एंजायटी होना हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरा है। इसलिए हम इस लेख में ये जानेंगे कि आप एंजायटी से और खासकर त्योहारों में होने वाली एंजायटी से आप खुद को कैसे स्थिर और स्वस्थ रखें।
मेन्टल हेल्थ क्या है?
व्यक्ति के जीवन पर मानसिक स्वास्थ्य का बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि मानसिक स्वास्थ्य अच्छा न हो तो व्यक्ति परेशान रहने लगता है। खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मानसिक स्वास्थ्य हमारे आत्मविश्वास पर निर्भर करता है। मनोवैज्ञानिक स्तर, भावनात्मक संतुलन और सामाजिक खुशहाली मानसिक स्वास्थ्य के अंतर्गत आता है।
Bu hikaye Grehlakshmi dergisinin October 2022 sayısından alınmıştır.
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बच्चे की आंखें खराब कर सकती है मोबाइल फोन की लत
आजकल परिवार में जितने लोग हैं उतने ही मोबाइल फोन। बड़ों से लेकर बच्चों तक के हाथ स्मार्ट फोन दिन-रात रहता है। बच्चों में स्मार्टफोन की आदत उनके बचपन को शारीरिक और मानसिक तौर पर बुरी तरह प्रभावित कर रही है।
पुनर्जन्म की कहानियां सुनाती हैं बॉलीवुड की ये 5 फिल्में, आज भी हैं लोकप्रिय
बॉलीवुड में हमें न जाने कितनी ही ऐसी कहानियां देखने को मिलती हैं जो प्रेम कहानी, देशभक्ति, डरावनी या पुनर्जन्म पर आधारित हो। इन्हें बहुत पसंद किया जा रहा है। इनमें भी पुनर्जन्म की कहानियों को दर्शक बहुत पसंद करते हैं। तो चलिए जानते हैं उन कहानियों के बारे में -
जानिए अक्षय तृतीया के दिन क्यों खरीदा जाता है सोना चांदी
साल 2024 में अक्षय तृतीया का त्यौहार 10 मई को मनाया जाएगा। इस दिन गुरु का राशि परिवर्तन हो रहा है। अक्षय तृतीया को बहुत शुभ माना जाता है। भक्तजन इस दिन विधि-विधान से धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जाने से पहले ये बातें जरूर जान लें
रोमांच और जंगल दोनों का मेल बहुत अद्भुत होता है, यदि आप इसका आनंद उठाना चाहते हैं तो मई और जून की छुट्टियों में परिवार के साथ यहां जरूर जाएं। हिमालयी राज्य उत्तराखंड में स्थित यह 1318 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
बच्चों का टिफिन हो सेहत और स्वाद वाला
रोज-रोज अपने गोलू को टिफिन में पराठा और सब्जी देंगे, तो वो नाक-मुंह सिकोड़ेगा ही। बच्चे अक्सर एक ही तरह की चीज से ऊब जाते हैं, तो आप परेशान नहीं। चलिए आपको बताएं अलग-अलग तरह के स्वादिष्ट और पौष्टिक टिफिन।
अनियमित पीरियड्स से इस तरह पाएं छुटकारा
आजकल लगभग हर महिला अपने पीरियड्स से परेशान है, उनके मन में सवाल आता है कि ऐसा क्यों होता है। तो चलिए आपकी इस समस्या के बारे में ठीक तरह से जानते हैं।
अपने होनहार को सिखाएं अधिक से अधिक भाषाएं
नए दौर के माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा ज्यादा से ज्यादा भाषाएं बोले क्योंकि भाषा आपके व्यक्तिगत विकास में सहायक होता है। लेकिन आपको तय करना है कि बच्चे कि पहली बोली कौन सी होनी चाहिए, उसकी मातृ भाषा, राजभाषा या फिर ग्लोबल भाषा।
मां के हाथों की मालिश दे शिशु को प्यार का एहसास
मां जब अपने नवजात शिशु को मालिश करती है तो उसके हाथों की गर्माहट बच्चे को आराम पहुंचाती है। धीरे-धीरे बच्चा मां का स्पर्श पहचानने लगता है और इस तरह दोनों में एक गहरा संबंध विकसित होता है जिसे हम मां-बच्चे का प्यार कहते हैं।
डिलीवरी के बाद पहले 40 दिनों में क्या करें और क्या न करें
प्रसव के बाद महिला का बदन कच्चा होता है इसलिए शुरू के 40 दिन उसका विशेष ख्याल रखा जाता है। इस अवधि को जापा कहा जाता है। कुछ लोग जापे के लिए मेड या दाई रखते हैं जोकि काफी महंगा विकल्प होता है। चलिए समझते हैं कि जापे में क्या करना चाहिए और क्या नहीं। साथ ही जापा दाई का विकल्प भी आपको बताते हैं।
नए बच्चे के आने पर बड़े बच्चे को माता-पिता इस तरह करें तैयार
घर के पहले बच्चे को माता-पिता सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, लेकिन जब छोटा भाई या बहन पैदा होता है तो यही प्यार बंट जाता है। ऐसे में बड़ा बच्चा असुरक्षित महसूस करने लगता है। इन परिस्थितियों में माता-पिता को बड़े बच्चे को मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए।