बेरोजगारों से सरकार ने कमाए 696 करोड़ रु
मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार ह के द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान एक जबरदस्त चमत्कार किया गया। इस अवधि में मध्यप्रदेश में बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षा से सरकार ने 696 करोड़ रुपए कमा लिए हैं। कर्मचारी चयन बोर्ड के द्वारा विद्यार्थियों से रु. 500 की फीस लेकर 250 रुपए में परीक्षा करने का ठेका दे दिया जाता है। इस तरह शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार देना भी सरकार के लिए कमाई का जरिया बन गया है।
कर्मचारी चयन बोर्ड प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड व्यापमं ये सरकार की वो संस्था है, जिसका नाम भले ही बदला हो, लेकिन घाटा कभी नहीं हुआ। अलबत्ता मुनाफा हर साल डबल होता गया। कर्मचारी चयन बोर्ड पर प्रदेश के सरकारी विभागों की भर्ती परीक्षाएं कराने का जिम्मा है। पिछले कुछ सालों में हर भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी हुई है। कुछ परीक्षा रद्द कर दी गईं तो कुछ होल्ड कर दीं, लेकिन कर्मचारी चयन बोर्ड का रेवेन्यू कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
इस बारे में जब पड़ताल की गई तो पता चला कि कर्मचारी चयन बोर्ड एक छात्र से औसतन 500 रुपए एप्लीकेशन फीस लेता है। परीक्षा कराने पर उसका खर्च 250 रुपए आता है। यानी 50 प्रतिशत मुनाफा।
फीस 200 रु. से 600 रु. हो गई
बालाघाट के दीनदयाल पांचे 9 साल में मध्यप्रदेश सरकार की नौकरी के लिए 30 से ज्यादा भर्ती परीक्षाएं दे चुके हैं। कुछ परीक्षा में उनकी तैयारी कमजोर रह गई तो कुछ परीक्षाएं सरकार ने किसी न किसी घपले के कारण रद्द कर दीं। इसके बावजूद दीनदयाल ने हिम्मत नहीं हारी। जब भी कोई नई भर्ती निकलती वो फीस का जुगाड़ करते और फॉर्म भरते। दीनदयाल बताते हैं कि पहले एक आवेदन की फीस 200 रुपए होती थी, अब तो 600 से कम नहीं लगते, लेकिन ऐसे ही 'दीनदयालों' से परीक्षा फीस के नाम पर कर्मचारी चयन बोर्ड ने 700 करोड़ रु का मुनाफा कमाया है। मध्यप्रदेश में ऐसे लाखों युवा हैं जो सरकारी नौकरी के चक्कर में फीस देकर भर्ती फॉर्म भरते हैं, लेकिन उनके सपने किसी न किसी घपले की भेंट चढ़ जाते हैं। कुछ दिनों पहले सरकार ने हर परीक्षा के लिए एक ही फीस की घोषणा की है, लेकिन अभी तक युवाओं को इसका फायदा नहीं मिला है।
Bu hikaye Rising Indore dergisinin 06 September 2023 sayısından alınmıştır.
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