राज्य में लोकसभा की 14 सीट पर लड़ाई आमने-सामने की है। एक तरफ एनडीए तो दूसरी तरफ यूपीए या कहें इंडिया गठबंधन है। सभी 14 सीटों पर जीत हासिल करने का मंसूबा लेकर चल रही एनडीए के सामने 12 सीटों पर वापसी की चुनौती है। वहीं सत्ताधारी यूपीए गठबंधन के सामने सीटें बचाए रख कर बढ़त हासिल करने का लक्ष्य है। विधानसभा चुनाव में बड़े भाई के रूप में रहने वाला झामुमो लोकसभा चुनाव में छोटे भाई की मुद्रा में है। कांग्रेस सात, झामुमो पांच और राजद और माले की एक-एक सीट पर सहमति बनी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के खाते में 12 सीटें आई थीं। भाजपा ने 11, आजसू ने एक सीट पर कब्जा किया था। यूपीए से कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में एक-एक सीट गई थी। राजमहल से झामुमो के विजय हांसदा जीते थे तो सिंहभूम से कांग्रेस की गीता कोड़ा ने जीत हासिल की थी।
भाजपा सोरेन कुनबे के घोटाले, हेमंत शासन में घोटालों, जनता से जुड़ी केंद्रीय योजनाओं की उपलब्धियों और सनातन के एजेंडे को लेकर मैदान में है। वहीं झामुमो केंद्र के सौतेला रवैए, केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग, हेमंत के प्रति साजिश, सरना धर्म कोड, पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण, सर्वजन पेंशन, अबुआ आवास, आदिवासी कल्याण जैसी योजनाओं को लेकर मुखर है।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin April 29, 2024 sayısından alınmıştır.
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