पिछले दिनों चार घंटे के भीतर कोटा में दो विद्यार्थियों की आत्महत्या ने मुझे झकझोर कर रख दिया। आखिर यह क्या हो रहा है? विद्यार्थियों के साथ-साथ आखिर उनके अभिभावक समझ क्यों नहीं पा रहे कि किसी एक इम्तिहान के नतीजे पर आंखों में पल रहे सपनों का हिसाब-किताब लगाना संभव नहीं है।
लाखों छात्र और उनके माता-पिता जिन्होंने अंकों के आधार पर अपने सपने बुन लिए थे, वे टेस्ट में आए निराशाजनक नंबर के भंवर में अपनी उम्मीद की कश्ती को डुबो रहे हैं। सच्चाई यह है कि टेस्ट के नंबर आंकड़ों से ज्यादा कुछ नहीं होते। दुनिया के किसी भी टेस्ट में वह ताकत नहीं जो किसी बच्चे के हुनर और काबिलियत का सही मूल्यांकन कर सके।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin October 02, 2023 sayısından alınmıştır.
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