राज्य में चौथे और अंतिम चरण का मतदान होना है, मगर 7 मई को तीसरे चरण का मतदान कई मायने में सबसे अहम हो गया। कयास है कि 7 मई के चरण में जो पार्टी सबसे ज्यादा सीटें पाने में कामयाब रहेगी, केंद्र में उसी का दबदबा रहेगा। वजह कई गिनाई जा रही हैं। एक, तीसरे चरण के मतदान में प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री और एक केंद्रीय मंत्री के भाग्य का फैसला मतपेटियों में कैद हो चुका है। दूसरे, ये तीनों नेता उन सीटों से भाग्य अजमा रहे हैं, जिन सीटों का वे लंबे समय तक प्रतिनििधत्व कर चुके हैं। ये उनकी पारंपरिक सीटें मानी जाती रही हैं। तीसरा और सबसे अहम इनमें से दो राष्ट्रीय कद के नेता अपना पिछला लोकसभा चुनाव हार चुके हैं।
इस बार के चुनावी चक्र में अपने भाग्य का फैसला आजमाने वाले दो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, दिग्विजय सिंह और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। चौहान फिलहाल बुधनी विधानसभा सीट से विधायक और विदिशा संसदीय सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं।
विदिशा लोकसभा सीट देश की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है। 1967 में स्थापना के साथ ही विदिशा भगवा का गढ़ रहा है। भाजपा इसे देशभर की सबसे सुरक्षित सीटों में मानती आ रही है। यही कारण है कि इस सीट से भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने चुनाव लड़कर न सिर्फ बड़ी जीत हासिल की, बल्कि देश की सत्ता के शिखर तक भी पहुंचे। यहां से रामनाथ गोयनका, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सांसद रह चुके हैं। खुद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां से पांच बार सांसद रह चुके हैं।
शिवराज सिंह चौहान को उम्मीद है कि प्रदेश की लाड़लियों और भांजियों की दुआएं उन्हें 19 सालों बाद फिर चुनावी रण में विजयी बनाएगी। वहीं, इस सीट पर कांग्रेस पार्टी महज सिर्फ दो बार ही अपना कब्जा जमाने में सफल हो पाई है। कांग्रेस ने विदिशा से 2 बार सांसद रहे प्रताप भानु शर्मा को मैदान में उतारा है।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin May 27, 2024 sayısından alınmıştır.
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