कहते हैं किसी नेता के सियासी कैरियर में टिकट कट जाने से ज्यादा बड़ा ग्रहण तब लगता है जब चुनाव हार चुके उम्मीदवार पर पार्टी एक बार फिर दांव खेले और पार्टी को निराशा ही हाथ लगे। कहानी यहीं नहीं रुकती। पार्टी दो बार हार चुके उम्मीदवार को फिर मौका देने का सोचती है और इस बार भी पार्टी को निराशा ही हाथ लगती है। मतलब 2008 में विधानसभा चुनाव और दो लोकसभा चुनाव हार उसके खाते में जुड़ जाते हैं। फिर भी, पार्टी हारे हुए नेता के नेतृत्व में ही 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ने का सोचती है। इस बार नेता पार्टी के अरमानों पर खरा उतरता है और पार्टी उसे मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंप देती है।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin June 26, 2023 sayısından alınmıştır.
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जाति और जनतंत्र
पत्रकार और इतिहासकार अरविंद मोहन की जातियों का लोकतंत्र शृंखला की महत्वपूर्ण पुस्तक है, जाति और चुनाव। विशेष कर 18वीं लोकसभा के चुनाव के मौके पर इसका महत्व और बढ़ जाता है।
बिसात पर भारत की धाक
देश के प्रतिभावान खिलाड़ी इस खेल में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं और नई-नई प्रतिभाओं की आमद हो रही है
परदे पर राम राज की वापसी
आज राम रतन की चमक छोटे और बड़े परदे पर साफ दिख रही है, हर कोई राम नाम की बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है
ईवी बिक्री की धीमी रफ़्तार
कीमतें घटने के बावजूद इलेक्ट्रिक गाड़ियों की उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी
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पहाड़ों की रानी शिमला आधुनिक निर्माण के लिए पेड़ों की भारी कटाई से तबाह होती जा रही, क्या उस पर पुनर्विचार किया जाएगा
कंगना का चुनावी कैटवॉक
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बागियों और दल-बदल कर रहे नेताओं के कारण इस बार राज्य में चुनाव हुआ रोचक, दारोमदार आदिवासी वोटों पर
एक और पानीपत युद्ध
भाजपा की तोड़ में हुड्डा समर्थकों और जाति समीकरणों पर कांग्रेस का दांव
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यूपी में वोटर भाजपा समर्थक और विरोधी में बंटा, पार्टी की वफादारी के बजाय लोगों पर जाति का दबाव सिर चढ़कर बोल रहा, बाकी सभी मुद्दे वोटरों की दिलचस्पी से गायब दिख रहे