कोविड महामारी में दिल्ली के 44 वर्षीय कारोबारी नितिन चड्डा (बदला हुआ नाम) का वजन 23 किलो बढ़ गया. इससे दांपत्य जीवन पर असर पड़ा, उन्हें आत्मग्लानि भी होने लगी. वे कहते हैं, "खुद को आईने में देखना या तस्वीरें लेना जैसे गुनाह हो गया." फिर वे डॉक्टर के पास गए जो उनके भाई की डायबिटीज का इलाज कर रहे थे. उनके भाई राइबेल्सस दवाई ले रहे हैं, जो ओजेम्पिक दवा का टैबलेट स्वरूप है. इन दोनों में सेमाग्लूटाइड नाम का बेजोड़ रासायनिक घटक है. यह डायबिटीज काबू करने के साथ वजन भी घटाता है. चड्ढा बताते हैं, "कुछ महीनों में मेरे भाई का सात किलो वजन घट गया. मैं दवाई लेने लगा तो मेरा वजन भी 10 किलो घट गया." चड्ढा को डायबिटीज नहीं, मोटापे का रोग है. उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 34 है. वे चार महीने से राइबेल्सस ले रहे हैं.
- 10.1 करोड़ भारतीय डायबटीज रोग से 2021 में ग्रस्त बताए गए, आइसीएमआर इंडियाबी अध्ययन, 2023 के मुताबिक; फिर 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबेटिक थे
- 56.7% महिलाओं का कूल्हा - कमर अनुपात उच्च जोखिम स्तर पर, पुरुषों में यह 47.7 फीसद है, एननफएचएस-5 के डेटा से खुलासा
- 272 मृत्यु दर दिल के मर्ज से प्रति 1,00,000 आबादी में; यह दुनिया में प्रति एक लाख पर 235 से अधिक है
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin March 27, 2024 sayısından alınmıştır.
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