खासकर डेस्टिनेशन की खोज करते वक्त टाइम कैप्सूल में जाने जैसा कुछ नहीं होता. स्मारक, कला दीर्घाएं और ऐतिहासिक इमारतें किसी शहर की सांस्कृतिक विरासत का आंतरिक हिस्सा होती हैं. वे इसके गौरवशाली अतीत के रहस्यों को उजागर करती हैं. इसी तरह, व्यंजनों की भूमिका को अक्सर सांस्कृतिक पहचान की अभिव्यक्ति के रूप में देखा गया है.
क्या होगा अगर ये दोनों तत्व एक प्लेट पर विरासत का एक टुकड़ा पेश करने के लिए एकजुट हो जाएं? यह देश के शहरों का सबसे नया चलन है, रेस्तरां और कैफे तेजी से ऐतिहासिक विरासत ढांचों के अंदर आश्रय पा रहे हैं.
देश भर के सांस्कृतिक संस्थानों के भीतर कुछ प्रमुख रेस्तरांओं की जानकारी:
दिल्ली
देश की राजधानी के बारे में कोई भी बातचीत संस्कृति और भोजन के जिक्र के बिना पूरी नहीं होती. देश की कुछ सबसे प्रतिष्ठित विरासत संरचनाओं-लाल किले से कुतुब मीनार, हुमायूं के मकबरे से इंडिया गेट तक से इस शहर का चरित्र बना है. ताज्जुब नहीं कि खान-पान के प्रति दिल्ली का प्रेम संस्कृति में भी अपना रास्ता बनाता है, कई कैफे और रेस्तरां इसके अतीत की समृद्धि को दर्शाते हैं.
इसकी एक मिसाल मशहूर लाल किले के भीतर कैफे दिल्ली हाइट्स है. ऐसा दावा किया जाता है कि यह भारत का पहला रेस्तरां है जो किसी राष्ट्रीय स्मारक के परिसर के अंदर खोला गया. कैफे की टीम ने बैठने की सीमित जगह और खूबसूरत साज-सज्जा के साथ इसके इतिहास से छेड़छाड़ किए बिना मूल सेटिंग को संरक्षित करने की कोशिश की है.
दिल्ली के विरासत प्रेमियों के लिए एक और लोकप्रिय स्थान सुंदर नर्सरी (हुमायूं के मकबरे से सटा हुआ) है जिसमें शहर की पहली वनस्पति वाटिका (आर्बरेटम) है. यहां झील के पास फैबकैफे बड़ी-बड़ी छतरियों और झील के किनारे के दृश्य की वजह से लोकप्रिय है. यहां मुलायम इडली से लेकर बेक्ड समोसे तक, ग्लूटेन-मुक्त डेसर्ट से लेकर मोमोज तक, हर किसी के लिए कुछ न कुछ है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin January 03, 2024 sayısından alınmıştır.
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