एक दिन दादापोता दोनों मिल कर टीवी पर एशियाई खेलों का सीधा प्रसारण देख रहे थे. खेल देखते समय दादा ने अर्जुन की आंखों में वही चमक देखी जो कभी उन में थी और वे जान गए कि यह लड़का भी एक अच्छा एथलीट बन सकता है.
"दद्दू, एक दिन मैं भी इन अद्भुत एथलीटों की तरह एशियाई खेलों में भाग लूंगा," अर्जुन ने कहा.
उस का चेहरा दृढ़ संकल्प से चमक रहा था.
"बेशक, मेरे बेटे, कड़ी मेहनत और समर्पण से तुम कुछ भी हासिल कर सकते हो," दादा ने गर्व से उस की पीठ थपथपाते हुए उत्तर दिया.
उस दिन से अपने दद्दू के निर्देशानुसार अर्जुन ने खुद को प्रशिक्षण के लिए समर्पित कर दिया. अब वह हर सुबह सूरज उगने से पहले सड़क पर दौड़ता था. उस के दिन दौड़ने और लंबी कूद से ले कर तैराकी और साइकिल चलाने तक विभिन्न खेलों का अभ्यास करने में व्यतीत होने लगे.
"अब तुम्हें अन्य एथलीटों की तरह विभिन्न प्रतियोगिताओं में भी भाग लेना चाहिए ताकि तुम्हारा आत्मविश्वास जागृत हो सके," एक दिन दद्दू ने अर्जुन को समझाया.
दद्दू के कहे अनुसार अर्जुन ने अपने स्कूल में होने वाली वार्षिक खेल प्रतियोगिताओं में भाग लिया. उस के बाद अंतर्विद्यालय प्रतियोगिताओं में, फिर जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेने लगा. अपनी लग्न और परिश्रम से हर बार वह शीर्ष पर रहता था.
जैसेजैसे साल बीतते गए, अर्जुन की प्रतिभा और समर्पण ने उन के शहर के प्रसिद्ध खेल कोच कुमार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. अर्जुन के कौशल से प्रभावित हो कर कर कोच कुमार ने उसे अपनी अकादमी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, जहां वे युवा एथलीटों को उन की क्षमता अनुसार प्रशिक्षित करते थे.
निमंत्रण पा कर अर्जुन का दिल तेजी से धड़क उठा. दादादादी भी यह समाचार सुन कर बहुत खुश हुए, क्योंकि वे जानते थे कि अर्जुन के एशियाई खेलों में भाग लेने के सपने को पूरा करने की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम था.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin September Second 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin September Second 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
जंगल में क्रिकेट का बुखार
वुडीवुड्स जंगल का राजा श्याम सिंह शेर आलस से अंगूर खा रहा था, तभी शाही डाक आ गई. श्याम सिंह ने जंगल क्रिकेट एसोसिएशन बोर्ड के लिफाफे को घूरकर देखा..
नन्हा खरगोश
अपनी दीदी दीप्ति व मम्मीपापा के साथ 5 वर्षीय भावित पिकनिक मनाने गया. उन्होंने साथ में खानेपीने व खेलने का सामान लिया और अपनी कार से शहर से बाहर एक झील के किनारे जा पहुंचे.
रहस्यमय रास्ता
एक समय की बात है, गारो घाटी में एक छोटा सा गांव था. वह पहाड़ियों और घुमावदार नदी से घिरा हुआ था. वहां दो दोस्त मोहित और रोशन रहते थे. मोहित के भूरे घुंघराले बाल और काली चमकदार आंखें थीं. उसे पढ़ना काफी पसंद था. रोशन को बाहर रहना और प्रकृति का आनंद लेना पसंद था. वे दोनों 7 साल के थे और अपने आसपास की दुनिया का पता लगाना पसंद करते थे.
जिफ्फी ने डाला वोट
डेरी हिरण अपने स्कूटर् से जा रहा था तो रास्ते में उसकी मुलाकात जिफ्फी बंदर से हुई. “जिफ्फी, तुम सजधज कर कहां जा रहे हो?\" डेरी ने अपना स्कूटर रोक कर पूछा.
चीकू की समुद्री यात्रा
चीकू खरगोश को ऐडवेंचर का शौक था. एक दिन चीकू गोआ में एक बीच पर अपने झूले पर लेटा समुद्री यात्रा के रोमांच के बारे में एक किताब पढ़ रहा था. किताब में वास्को डि गामा की पुर्तगाल से कालीकट तक भारत के नए समुद्री रास्ते की खोज करती यात्रा का वर्णन था.
ब्रेड और बटर
\"अरे, चलो, हम जल्दी से अपने लंचबौक्स ले कर पीपल के पेड़ के नीचे इकट्ठा होते हैं,\" लंच ब्रेक की घंटी सुनते ही नेहा ने खुशी से चिल्लाते हुए कहा...
बहादुर अग्निशामक
औरोरा वैली स्कूल में अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस पर छात्रों को संबोधित करने के लिए अग्नि नाम के भालू को आमंत्रित किया गया था. हाल ही में अग्नि को उस की उत्कृष्ट सेवाओं के लिए औरोरा वैली फायर डिपार्टमैंट की ओर से पदक प्रदान किया गया था.
गुस्सैल अप्पप्पन
तियान और जुआन नाम के जुड़वां बच्चे मेपल लेन के एक छोटे से आरामदायक घर में रहते थे. दोनों बड़े शरारती थे...
मजेदार विज्ञान
घटती चौक - देखिए, कैसे एक साधारण उपाय से चौक बिना जोर लगाए टूट जाती है.
सभी के लिए मातृ दिवस
आज सारा के स्कूल में तीसरी कक्षा के बच्चों को मदर्स डे के बारे में बताया गया, जो जल्दी आने वाला था. शिक्षकों ने बच्चों को मदर्स यानी मातृ दिवस का अर्थ और महत्त्व बताया...