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खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि नीति पर आम सहमति जरूरी
Modern Kheti - Hindi
|1st February 2025
पंजाब के किसान एक बार फिर आंदोलन पर उतर आए हैं। इस बार वे इसलिए परेशान हैं क्योंकि वे अपनी धान की उपज एपीएमसी मंडियों में सरकारी खरीद केंद्रों पर बेच नहीं पा रहे हैं। राज्य में चावल के लिए भंडारण क्षमता की कमी को इसका कारण बताया जा रहा है।
दशकों से पंजाब चावल और गेहूं की खरीद में अग्रणी रहा है। राज्य की एजेंसियों की खरीद के बाद गेहूं और चावल भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के नियंत्रण में आ जाते हैं। वहां से उन्हें उनका उपभोग वाले राज्यों को भेजा जाता है। आमतौर पर इन्हें रेलवे के जरिए भेजा जाता है, हालांकि हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर तक इसकी ढुलाई ट्रकों से होती है। इस तरह दूसरे राज्यों में अनाज भेजे जाने से अगले साल की खरीद के लिए भंडारण की जगह बनती है। चावल केवल ढके हुए गोदामों में रखा जाता है, जबकि गेहूं को ढके हुए गोदामों और प्लिंथ (सीएपी) स्टोरेज में भी रखा जाता है।
पंजाब में भंडारण समस्या क्यों
वर्ष 2023-24 के खरीफ मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के अंत तक पंजाब में एफसीआई को 124 लाख टन चावल डिलीवर किया गया था। लेकिन इसमें से केवल सात लाख टन बाहर भेजा जा सका। इसका प्रमुख कारण ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में चावल की अधिक खरीद है। पारंपरिक रुप से इन राज्यों में चावल की खरीद कम होती है। बिहार और पश्चिम बंगाल ने भी चावल की खरीद बढ़ाई है। नतीजतन, इन राज्यों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए खाद्यान्न की आवश्यकता स्थानीय खरीद से पूरी हो रही है। यह अलग बात है कि 2014 में केंद्र सरकार ने खुद राज्यों को गेहूं और चावल पर बोनस नहीं देने को कहा था। केंद्र की तरफ से कहा गया था कि यदि विकेंद्रीकृत खरीद (डीसीपी) वाले राज्य चावल और गेहूं के लिए एमएसपी से अधिक बोनस घोषित करेंगे, तो केंद्र उस राज्य के पीडीएस के लिए जरुरी मात्रा पर ही सब्सिडी देगा।
बाद के वर्षों में इस नीति में बदलाव आया है। अब छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और हाल में ओडिशा ने धान 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा है, जो एमएसपी से 700 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है।
इस बोनस के अलावा कई राज्य कृषि के लिए बिजली पर बहुत अधिक सब्सिडी भी दे रहे हैं। प्रतिष्ठित थिंक टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरमैंट एंड वाटर (सीईईडब्लू) का अनुमान है कि 2022-23 में कृषि क्षेत्र के लिए बिजली पर लगभग 1,01,745 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई। इन प्रोत्साहनों के कारण पीडीएस की जरुरत पूरी करने के लिए पंजाब से चावल की मांग कम हुई है।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 1st February 2025 baskısından alınmıştır.
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