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अपनी खेती अपने बीज
Modern Kheti - Hindi
|1st January 2025
पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना की ओर से सिफारिश अधिकतर बीज देसी किस्मों से संशोधित बीज हैं, विशेष तौर पर सब्जियों के। अनाज वाली फसलों के अधिकतर बीज हरित क्रांति की तकनीकों के द्वारा विकसित किये अधिक उत्पादन देने वाले हैं। पीएयू की ओर से अब तक गेहूं एवं धान की किसी भी हाईब्रिड किस्म की सिफारिश नहीं की गई है परन्तु मक्का की अधिकतर किस्में हाईब्रिड हैं।
खेती का इतिहास 10 हजार वर्ष पुराना बताया जाता है। बीज खेती का धुरा है। किसान अपने बीज स्वयं तैयार करते थे और स्वयं ही संभालते थे। विधवित खेती के हजारों वर्षों के इतिहास पर दृष्टि डालें तो पता लगता है कि कैसे मनुष्य ने अपनी समझ एवं तजुर्बे से जंगलों से ढूंढ कर फसलों का चयन किया और इन फसलों की खेती के बारे महारत हासिल की। 100 वर्ष पहले परंपरागत, जिसको अब देसी बीज भी कहा जाता है, बीज ही बोये और संभाले जाते थे। बीज विज्ञानी भी इन बीजों से ही प्राकृतिक तौर पर परंपरागत तरीकों से नये एवं संशोधित बीज तैयार करते थे।
बीज एवं बीज व्यापार की यात्रा : कृषि इतिहासकारों के अनुसार पहला हाईब्रिड बीज ब्रिटिश बागवानी के एक माहिर थोमस फेअरचाईल्ड (Thomas Fairchild) ने 18वीं सदी के पहले मध्य में की थी जिसको करीब 200 वर्ष बाद चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) और ग्रेगोर मैडल (Gregor Mendal) ने 20वीं सदी के तीसरे दशक में व्यापारिक स्तर पर मक्का की क्रास-ब्रीडिंग के द्वारा प्रचलित किया जिसका परिणाम यह है कि आज अमेरिका सहित लगभग सारी दुनिया में मक्का समेत कई फसलों जिनका प्राकृतिक तौर पर परपरागण होता है, पूरे विश्व में हाईब्रिड बीजों के द्वारा खेती की जाती है। इस नस्ली सुधार से न सिर्फ नई किस्में पैदा की गईं बल्कि एक ही फसल की अलगअलग किस्मों की कई कमियां भी दूर की गईं। 20वीं सदी के 6वें दशक में बीज विज्ञानी नौरमन बोरलोग (Norman Borlaugh) ने अधिक उत्पादन वाली गेहूं की किस्में विकसित करके कृषि जगत में एक क्रांति लेकर आई, जिसको हरित क्रांति (Green Revolution) का नाम दिया गया है।

Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 1st January 2025 baskısından alınmıştır.
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