वसंत पंचमी के दिन दूर-दूर तक फैले रेगिस्तान के बीच स्थित अबू धाबी शहर का बाहरी इलाका संस्कृत के श्लोकों के उच्चारण से गूंज उठा. संयुक्त अरब अमीरात में सबसे बड़े हिंदू मंदिर के उद्घाटन के मौके पर एक हफ्ते तक चलने वाले समारोह के सिलसिले में पिछले कुछ महीनों से दुनियाभर से यहां जुटे हजारों हरिभक्त (स्वयंसेवक) खुशी और गर्व से फूले नहीं समा रहे थे. 14 फरवरी को गुजरात स्थित स्वामिनारायण संप्रदाय के आध्यात्मिक नेता महंत स्वामी ने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन समारोह का हिस्सा बने.
मंदिर का निर्माण हिंदू धर्म के वैष्णव संप्रदाय से जुड़ी बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था यानी बीएपीएस की तरफ से कराया गया है, जिसकी स्थापना 1800 के दशक की शुरुआत में घनश्याम पांडे ने की थी. घनश्याम पांडे अयोध्या में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे एक विद्वान संन्यासी थे, जिन्होंने घूम-घूमकर अपनी आस्था का प्रचार किया अपने प्रवचनों के जरिए उन्होंने बड़ी संख्या में अनुयायी बनाए. पांडे अपने अनुयायियों के बीच सहजानंद स्वामी और अंतत: भगवान स्वामिनारायण के तौर पर जाने गए, जिन्हें उनके भक्त भगवान कृष्ण का अवतार मानते हैं. सहजानंद गुजरात जाकर बस गए और अपने जीवनकाल के दौरान दो क्षेत्र बनाए-वडताल गडी (खेड़ा) और अहमदाबाद गडी. इनसे चार और संप्रदाय उभरेबीएपीएस, मणिनगर गडी, वसना गडी और सोखदा गडी. बीएपीएस संप्रदाय वडताल गडी से उपजा है.
बीएपीएस की स्थापना 1907 में शास्त्रीजी महाराज ने की थी. संस्था का दावा है कि दुनियाभर में उसके दस लाख से अधिक सदस्य, 80,000 स्वयंसेवक 1,550 से अधिक मंदिर और 5,025 केंद्र हैं. इसकी ओर से 17,000 साप्ताहिक आयोजन होते हैं. रॉबिंसविले (न्यू जर्सी), नई दिल्ली और गांधीनगर (गुजरात) स्थित अक्षरधाम मंदिरों के अलावा बीएपीएस के कुछ और भी ख्यात मंदिर हैं, जिसमें लंदन, ह्यूस्टन, शिकागो, अटलांटा, टोरंटो, लॉस एंजेलिस और नैरोबी स्थित मंदिर शामिल हैं. बीएपीएस के प्रवक्ता बंसल भालजा कहते हैं कि अगले मंदिर पेरिस, सिडनी और जोहान्सबर्ग में निर्मित हो रहे हैं. वहीं, बहरीन के शाह ने भी मंदिर के लिए जमीन की पेशकश की है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin February 28, 2024 sayısından alınmıştır.
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