स्मोकिंग धुआं धुआं जिंदगी
Vanitha Hindi|March 2024
आइए, मार्च के दूसरे बुधवार को नो स्मोकिंग डे पर शपथ लें कि सिगरेट को हाथ नहीं लगाएंगे। स्मोकिंग के नुकसान की गंभीरता को देखते हुए हमें आज ही इससे तोबा कर लेनी चाहिए।
गोपाल सिन्हा
स्मोकिंग धुआं धुआं जिंदगी

हर फिक्र को धुएं में उड़ाने का शौक रखने वालों को पता नहीं होता कि वे अपनी जिंदगी को धुएं में उड़ा रहे हैं। जी हां, स्मोकिंग करना मजा नहीं, ऐसी सजा है, जिसे ना केवल आप भुगतते हैं, बल्कि आपके आसपास रहने वालों को भी यह झेलनी पड़ती है।

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, दिल्ली में सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. निखिल मोदी कहते हैं कि एक बार सिगरेट पीना शुरू करते हैं तो इसकी लत लगना बहुत मुमकिन है। सिगरेट में तंबाकू होता है, जिसमें एक पदार्थ निकोटिन होता है, जो एडिक्शन का मुख्य कारक होता है। जब यह सिगरेट के धुएं के माध्यम से हमारी बॉडी में जाता है तो हमारे ब्रेन और नर्स पर असर डालता है। इससे हमें एक आनंद की अनुभूति होती है, हम रिलैक्स फील करते हैं, हमारी एंग्जाइटी कम हो जाती है। जब हम 7 सिगरेट पीने से अच्छा फील करते हैं तो हमारा मन बार-बार स्मोकिंग करने का होता है। लेकिन हर बार स्मोकिंग करने से पहले जितनी मात्रा में आनंद का अनुभव नहीं होता। धीरे-धीरे हमारे शरीर को उतनी मात्रा में आनंद का अनुभव करने के लिए अधिक मात्रा में निकोटिन की जरूरत पड़ने लगती है। इस तरह सिगरेट पीना हमारी आदत में शुमार हो जाता है। एक लेवल के बाद हमें इससे इतना आनंद आने लगता है कि लगता है हम इसके बिना रह ही नहीं पाएंगे। ऐसे में कभी हम इसे छोड़ने की कोशिश करें तो विदड्रॉअल सिंप्टम्स दिखने लगते हैं। हमारा हार्ट रेट एकदम बढ़ जाता है, पसीना आने लगता है, घबराहट होने लगती है, एसिडिटी की समस्या होने लगती है। और जब हमें लगने लगता है कि सिगरेट छोड़ देने से हमारी बॉडी तकलीफ में पड़ जाती है तो हम स्मोकिंग की मात्रा भी बढ़ा देते हैं। निकोटिन एक तरह से हमें अपना गुलाम बना लेता है।

स्मोकिंग के नुकसान 

This story is from the March 2024 edition of Vanitha Hindi.

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