बेगूसराय के इस परिवार में हैं 15 सदस्य
बेगूसराय के इस परिवार में 15 सदस्य हैं। इस " परिवार की सदस्य वनिता पाठिका डॉ. कुमारी रिचा अभी यूजीसी नेट की तैयारी कर रही हैं। रिचा कहती हैं, "हमारे परिवार में ससुर जी सबसे बड़े हैं। उनकी उम्र 64 है, जबकि मेरा बेटा प्रियांश सबसे छोटा है, उसकी उम्र 9 साल है। मेरे पति 3 भाइयों में सबसे छोटे हैं। हालांकि कुछ समय पहले मेरे पति की तबादला चंपारण हो गया और उन्हें कुछ सेहत संबंधी दिक्कतें थीं, जिस कारण मुझे भी फिलहाल यहीं रहना है।"
संयुक्त परिवारों की सबसे अच्छी या बुरी बात क्या है, इस पर रिचा कहती हैं, "बच्चों की परवरिश संयुक्त परिवार में बहुत अच्छी होती है। इसके अलावा विपरीत परिस्थिति में जब पूरा परिवार साथ होता है, तो यह एक बड़ा मॉरल सपोर्ट होता है व्यक्ति के लिए। कोरोना के दौरान हमने परिवार की अहमियत और गहराई से जानी है। हालांकि कुछ जगहों पर हमने यह भी देखा है कि लोग तो कई होते हैं, मगर कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता। तो ऐसे में संयुक्त परिवार नहीं चल सकते। मेरे पति के तीनों भाई अपने-अपने परिवारों के साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं। मैं परिवार की सबसे छोटी बहू हूं, लेकिन सभी मुझे सहयोग करते हैं। हम लोग मिलजुल कर काम करते हैं। हमें लगता है कि बच्चे तो बड़े हो रहे हैं, धीरे-धीरे पंख फैलाएंगे। रहना तो हमें साथ है, तो आपस में अच्छी तरह रहना चाहिए। वैसे भी हम कहीं भी रहें, सामंजस्य तो करना ही होता है। बिना सहयोग और सामंजस्य के कोई भी रिश्ता नहीं टिकता। कभीकभार टकराव हो सकता है, लेकिन सब जल्दी ही एक-दूसरे को माफ करके आगे बढ़ते हैं, तभी रिश्ते मजबूत बने रह सकते हैं। अभी मैं कुछ समय से अपने परिवार से दूर हूं, तो साथ बैठ कर चाय पीना, गपशप करना, नाश्ता करना सब मिस कर रही हूं। लेकिन हां, इस एकांत का पूरा उपयोग मैं अपनी पढ़ाई के लिए कर रही हूं। मैं मिथिलांचल की हूं । मिथिला में लोक कला के इतिहास पर मेरी रिसर्च है। हमारे घर में बरसों से काम करनेवाले ड्राइवर और कुक दीदी भी हमारे परिवार का हिस्सा हैं। हम उन्हें हमेशा परिवार में गिनते आए हैं।"
कोशिश से संवरते हैं रिश्ते
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