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रोडरेज की समस्या
बढ़ते सड़क हादसों के साथ रोडरेज यानी रास्ते चलते झगड़ा, गालीगलौज और मारपीट करने की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं. रोड पर लोग छोटीछोटी बातों पर भी हिंसक होने लगे हैं. आखिर ऐसा क्यों?
ममता से बंगाल छीनने की ललक
ममता बनर्जी के राजनीतिक सफर की कामयाबी पर उन के प्रतिद्वंदियों को रश्क होता है. आज ममता और बंगाल एकदूसरे के पर्याय हैं, जिस में सेंध लगाने की कोशिश हर राजनीतिक पार्टी कर रही है. फिर चाहे वह कांग्रेस हो, वाम पार्टियां या भाजपा हों.
लव जिहाद पौराणिकवाद थोपने की साजिश
पौराणिकवादी विचारधारा का पोषक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू लड़कियों को आजाद नहीं छोड़ना चाहता. वह उन्हें अपनी पसंद का जीवन जीने या जीवनसाथी चुनने का अधिकार नहीं देना चाहता. मनुवादी व्यवस्था का समर्थक संघ पितृसत्ता को प्रभावशाली बनाना चाहता है ताकि ब्राह्मणों की दुकान चलती रहे. लव जिहाद का नाम ले कर बनाए गए धर्मांतरण कानून के जरिए हिंदू स्त्री को दहलीज के भीतर धकेले रखने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन यह 'सरकारी हिंदुत्व' लव जिहाद की आड़ में और भी बहुतकुछ करना चाहता है.
डाक्टरों के लिए मरीज का मनोविज्ञान जरूरी
मरीज शारीरिक रूप से ही नहीं, मानसिक रूप से भी बीमार होता है. डाक्टर और दवा के साथसाथ उसे मानसिक रूप से संतुष्ट कर दिया जाए तो उपचार के और बेहतर परिणाम सामने आएंगे.
नया साल कुछ नया करें
नया साल आता है और एक बार फिर मन करता है कुछ नया करने का. वैसे भी आने वाला साल पिछले सालों से कुछ अलग होगा. सुखदुख को अपने में समेटे आइए आगे बढ़ कर नए साल के लिए कुछ नया सोचें और नया करें.
नया साल नया फोन
नए साल की शुरुआत करें एक नए फोन के साथ. लेकिन अपने बजट का भी रखें पूरा ध्यान. यहां आप को स्मार्टफोन की दुनिया के सब से बेहतर फीचर्स के साथ बेहतरीन फोन की जानकारी प्राप्त होगी.
औनलाइन फास्टिंग
वर्क फ्रोम होम यानी तकरीबन पूरा काम औनलाइन. जो भी नैट के जरिए ड्यूटी कर रहे हैं उन की ड्यूटी का समय तय नहीं है. वे 24x7 ड्यूटी पर रहते हैं. ऐसे में वे तमाम प्रोब्लम्स के शिकार हो रहे हैं. सो, उन्हें चाहिए कि वे औनलाइन फास्टिंग करें.
किसान आंदोलन उलट आरोपों से बदनाम कर राज की तरकीब
सरकार ने अपने पुराने हथियार को निकाल कर किसान आंदोलन में माओवादियों, देशद्रोहियों के शामिल होने का हल्ला मचाना शुरू किया तो कितने ही हिंदी, अंगरेजी चैनलों व अखबारों ने इस हल्ले को सरकार की फेंकी हड्डी समझ कर लपकने में देर न लगाई रातदिन एक कर दिए.
हवेली चाहे जाए मुजरा होगा ही
निजीकरण के फायदे वही गिना रहे हैं जिन की जेब में मोटा पैसा है. इन में से 90 फीसदी वे ऊंची जातियों के अंधभक्त हैं जो सरकार के लच्छेदार जुमलों के झांसे में आ जाते हैं. इन में से कई लोग शौक तो सरकारी नौकरी का पालते हैं लेकिन सरकारी कंपनियां बिक जाएं, तो उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता. ऐसे में युवाओं को सोचना है कि बिन सरकारी कंपनी के सरकारी नौकरी कैसे संभव है.
लक्ष्मी पूजन फिर भी जेब खाली की खाली
कोरोना के नाम पर पूरे देश में केंद्र सरकार द्वारा असफल तालाबंदी लागू की गई. परिणाम इतना भयावह है कि तालाबंदी थोपे जाने के 8 माह बाद भी देश किसी भी स्तर पर संभल नहीं पाया है. मजबूरीवश देशवासियों ने इस साल तमाम त्योहारों पर हाथ भींच लिए और अब दीवाली, शादियों की धूमधाम भी तालाबंदी की भेंट चढ़ रही है.