This story is from the January-march2020 edition of Swasthya Vatika.
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एंटी ऑक्सीडेंट्स- वृद्धावस्था में उपयोगी
एंटी-ऑक्सिडेंट्स खाद्य पदार्थ में मौजूद वे पोषक तत्व हैं, जो शरीर में ऑक्सीकरण संबंधी नुकसान की गति को कमजोर करने या उसे पूरी बेअसर करने में सक्षम होते है। ऑक्सीजन का इस्तेमाल करते समय शरीर की कोशिकाओं से ऐसे बाय-प्रोडक्ट उत्पन्न होते हैं, जो शरीर के लिए नुकसानदेह होने के साथ-साथ कई बीमारियों का जन्मस्थान बन सकते हैं। एंटी-ऑक्सिडेंट्स को हम सफाई करनेवाले समर्पित कर्मचारी कह सकते हैं।
आयुर्वेद द्वारा इम्युनिटी वृद्धि
आज संपूर्ण विश्व में कोरोना वायरस से त्राहि-त्राहि मची हुई है। भारत में कोरोना वायरस के दस्तक देने के साथ ही ये बहस शुरू हो गई कि इस वायरस का उपचार आधुनिक चिकित्सा पद्धति में तो नहीं है सिर्फ लाक्षणिक चिकित्सा दे सकते हैं। विचार किया गया कि क्या इस वायरस से निपटने के लिए कोई वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति हो सकती है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष मंत्रालय के तहत आयुर्वेद तज्ञों की मीटिंग बुलाकर चर्चा की कि जिनकी इम्युनिटी मजबूत है वे इस वायरस से मुकाबला कर सकते हैं । जबकि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में वनौषधियों व जीवन शैली का वर्णन है । अतः आयुर्वेद तज्ञों ने इम्युनिटी बढ़ाने में आयुर्वेद की भूमिका को लेकर चर्चा की। हमारे रसोई घर में उपलब्ध अनेक खाद्य वस्तुओं व मसालों से इम्युनिटी बढ़ सकती है ऐसा निष्कर्ष निकाला गया।
कोविङ-19 का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
पिछले कुछ महिनों से पूरे विश्व में नोवेल कोरोना वायरस पर जोरों से चर्चा शुरू है। इसका प्रभाव सिर्फ भारत पर ही नहीं पूरे विश्व पर पड़ा है जल्द ही कुछ समय में इस वायरस ने दुनिया को अपनी आगोश में जकड़ लिया।
कॉर्न में अग्नि कर्म
पैर के तलवे में होने वाली मामूली सी तकलीफ कॉर्न इतनी पीड़ा दायक होती है कि रोगीका चलना भी मुश्किल कर देती है। जरा सी ठोकर लगने पर रोगी कराह उठता है।मजाने कितने उपायन चिकित्सा करता है परंतु राहत नहीं पाता, ऐसे रुग्णों में आयुर्वेद की अग्निकर्म चिकित्सा के उत्तम परिणाम मिखते है। आइये, कॉर्न व अग्निकर्म की जानकारी प्राप्त करें।
मुंहासों के लिए योग चिकित्सा
दोनों हाथों को उपर उठाकर सामने झुके और दोनों हाथों को जमीन पर फैलाये ताकि कोहनियाँ सीधी रहे। नाक या माष्या जमीन पर विना मुझे उठाये लगाने की चेष्टा करें। 20-25 श्वास-प्रश्वास होने तक इस आसन की स्थिति में रूके फिर उपर उठे. एक बार इसे दोहरायें।
“सतसंगति मिले सु तरिआ
पांचवी पातशाही श्री गुरु अरजनदेव महाराज ने अपने शिष्य माधवदास जी को गुरवाणी प्रचार हेतु कश्मीर भेजा जहां वे प्रतिदिन कथा कीर्तन संगत को सुनाया करते थे व संगत भी बड़े उत्साह के साथ दूर दराज से सुनने आती थी।
वृद्धावस्था में स्वाथ्य सुरक्षा
वृद्धावस्था मानव जीवन का वह पड़ाव है, जहां व्यक्ति एकान्त मेंशान्तिपूर्ण जीवन बिता सकता है, उसकी शारीरिक शक्ति भले ही कम हो जाये, किन्तु अगर उसकी मानसिक शक्ति अर्थात इच्छाशक्ति मजबूत हो , तो वह सभी कार्य कुशलता से कर सकता है। आयु बढ़ना एक स्वाभाविक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसलिये इससे बुढ़ापे की हीन भावना नहीं आनी चाहिए कि मैं तो अब कमजोर हूं, लाचार हूं, दूसरों पर निर्भर हूं, बल्कि इसके विपरीत आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भर होकर दूसरों का भी सहयोगी बनकर स्वंय को उपयोगी सिद्ध करना चाहिए. वृद्धावस्था जीवन की वह सांझ है, जहां अनुभव का प्रकाश दमकता है, जहां मधुर वाणी की बयार बहती है, जहां प्रेम और स्नेह की भागीरथी प्रवाहित होती है
स्त्रियों की आम बीमारी ल्यूकोरिया
आमतौर पर किसी भी महिला के योनि मार्ग में उतना ही स्त्राव होता है, जितना कि उसके जननांगों को ( योनि को ) गीला रखने के लिये काफी होता है । यह बहुत ही सीमित मात्रा में होता है । सामान्य स्वस्थ महिला में यह हल्का यह योनि प्राकृतिक तौर पर हुआ सापाया जाता है । जमा स्त्राव गर्भावस्था के दौरान, शिशु जन्म के तुरन्त बाद के महीनों में, गर्भपात के बाद, एवं मासिकधर्म आने के पहले बढ़ जाता है । यह बिल्कुल सामान्य है एवं उसमें कुछ भी बीमारी सरीखी बात नहीं होती है । यह स्त्राव यौन उत्तेजना के समय भी बढ़ जाता है ।
सिकल सेल एनिमिया
सामान्य रूप से लाल रक्त कोशिकाओं की आयु 120 दिनों तक होती है किंतु सिकल सेल वाले रक्त कोशिकाओं की आयु 15-20 दिनों तक रह जाती है। जितनी संख्या में लाल रक्त कोशिकाएं टूटती है उतनी संख्या में उनका निर्माण नहीं हो पाता इसलिए सिकल सेल एनिमिया रोग से पीड़ित व्यक्तियों में हमेशा खून की कमी बनी रहती है।
महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य
सुखी एवं प्रसन्न रहने के लिए महिलाओं का शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ और निरोगी होना जरूरी है। लेकिन कई महिलाएं शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हा भी मानसिक तौर पर अस्वस्थ रहती हैं। मानसिक अस्वस्थता का मतलब यह नहीं कि वे विक्षिप्त या अर्द्धविक्षिप्त होती हैं। किसी भी तरह की मानसिक परेशानी, उलझन, तनाव, डिप्रेशन आदि मानसिक अस्वस्थता की निशानी है। वैसे तो स्त्री और पुरुष दोनों ही मानसिक अस्वस्थता के शिकार हो सकते हैं, लेकिन यहां केवल महिलाओं के मानसिक स्वास्थ की चर्चा की जा रही है।